एक बार फिर कोरोना विश्व के लिए आफत बनता जा रहा है। नए ओमीक्रॉन वैरिएंट ने दुनियाभर में फिर से पाबंदियों का दौर ला दिया है। कोरोना से त्रस्त देशों में धीरे-धीरे खत्म हो रहे प्रतिबंधों पर अब अचानक से ब्रेक लग गया है। हालांकि टीकाकरण की तेज रफ्तार के साथ ही कोरोना का असर घटने लगा है। लेकिन प्रतिदिन अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन जैसे देशों से रोज रिकॉर्ड कोविड केस आ रहे हैं। इतनी गति से बढ़ते मामलों ने एक बार फिर से पूरे विश्व को सख्त प्रतिबंधों की वापसी के लिए विवश कर दिया है। कोरोना से विश्व में लगे लॉकडाउन ने देशों पर गंभीर प्रभाव डाले हैं। ब्रिटेन में कोरोना संकट में लगे लॉकडाउन ने स्कूल जाने वाले बच्चों को प्रभावित किया है।
अब जब ब्रिटेन में स्कूल खुल गए हैं, तब भी लगभग सवा लाख से अधिक बच्चे स्कूल नहीं आ रहे हैं या फिर कभी कभार ही स्कूल आते हैं। इन बच्चों को यहाँ ‘घोस्ट चाइल्ड’ कहा जा रहा है।
साइकोलॉजिस्ट डॉ. जेन ग्लीमर का कहना है कि इन दिनों ऐसे कई अभिभावक अपने बच्चों को डॉक्टर को दिखाने के लिए ला रहे हैं। दरअसल, कोरोना काल के दौरान बच्चों में एकाकीपन और लोगों से मेलजोल में काफी कमी आई, ऐसे में बच्चे अंतर्मुखी हो गए। वे अपने आप में सिमटने लगे।
कोरोना काल के दौरान बच्चों में एकाकीपन और लोगों से मेलजोल में काफी कमी आई, ऐसे में बच्चे अंतर्मुखी हो गए।
2020 और 2021 के दाैरान ब्रिटेन में कई बार लॉकडाउन लगाया गया। इससे कई बच्चों में स्कूल जाने और पढ़ाई की इच्छा ही खत्म हो गई। सेंटर फॉर सोशल जस्टिस के अनुसार ऐसे बच्चों को मनोचिकित्सा की जरूरत पड़ रही है। डॉ. बैटिना का कहना है कि टीनएजरों पर अपने आदेशों को थोपें नहीं। इसकी बजाए टीनएजरों को अब वापस स्कूल जाने के बारे में प्रेरित करे।
साइकोलॉजिस्ट डॉ. बैटिना हॉनेन के अनुसार बच्चे यदि स्कूल जाने में आनाकानी करें तो अभिभावक अपने स्तर पर भी कुछ प्रयास करें। अभिभावक अपने बच्चों के साथ लगातार संवाद कायम रखें। उन्हें अकेला न महसूस करने दें। उनके साथ खूब बातें करें। बच्चे से स्कूल नहीं जाने के कारणाों के बारे में पूछें। यदि बच्चों में पढ़ाई के प्रति अनिच्छा आ रही है तो उन्हें समझाएं। 2020 और 2021 के दाैरान ब्रिटेन में कई बार लॉकडाउन लगाया गया। इससे कई बच्चों में स्कूल जाने और पढ़ाई की इच्छा खत्म हो गई।