इमरान खान सरकार पर आया संकट फिलहाल टल गया है। नेशनल एसेंबली में कल सात मार्च को इमरान सरकार की तरफ से लाए गए विश्वासमत प्रस्ताव के दौरान पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी की अगुवाई वाली सरकार के पक्ष में कुल 178 वोट पड़े। सरकार बचाने के लिए कम से कम 171 सांसदों की जरूरत थी। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने संसद में प्रस्ताव रखा है, जिस पर वोटिंग शुरू होने के बाद इमरान खान सरकार ने विश्वास मत हासिल कर लिया लेकिन सदन में विश्वास मत हासिल करने के बाद भी इमरान ख़ान की मुश्किलें ख़त्म नहीं हुई हैं । दरअसल , इमरान ख़ान के सहयोगी उनसे और मंत्रालय देने की मांग कर रहे हैं। मंत्रालय के अलावा सीनेट के चेयरमैन और डिप्टी चेयरमैन की पोस्ट पर भी सहयोगियों की नजर है।
उधर विपक्षी पीडीएम भी इमरान की सहयोगी पार्टियों को प्रलोभन दे रही है। खबरों के अनुसार मुत्ताहिदा क़ौमी मूवमेंट (एमक्यूएम) ने इमरान ख़ान से सीनेट के डिप्टी चेयरमैन पोस्ट की मांग की है, तो दूसरी तरफ पीडीएम के नेता यूसुफ़ रज़ा गिलानी ने एमक्यूएम के नेता ख़ालिद मक़बूल से मुलाक़ात की है। मुलाक़ात के बाद गिलानी ने कहा कि प्रधानमंत्री अपनी ही पार्टी के सांसदों पर शक कर रहे हैं। गिलानी ने कहा कि सांसदों के लिए ‘बिकाऊ’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल गलत है । गिलानी ने कहा कि उन्होंने एमक्यूएम से गुज़ारिश की है कि वो पीडीएम का साथ दें। ख़ालिद मक़बूल ने कहा कि इस बारे में कोई अंतिम फ़ैसला पार्टी की राब्ता कमेटी करेगी।
इमरान की सरकार पर संकट के बादल तब छाए जब बीते तीन मार्च को पाकिस्तानी संसद के ऊपरी सदन सीनेट के लिए हुए चुनाव में इमरान ख़ान की पार्टी के उम्मीदवार मौजूदा वित्त मंत्री हफ़ीज़ शेख़ इस्लामाबाद की प्रतिष्ठित सीट हार गए थे। उसके बाद इमरान ख़ान ने फ़ैसला किया था कि वो संसद में विश्वास मत हासिल करेंगे।
शनिवार छह मार्च को विश्वास मत हासिल करने के बाद इमरान ख़ान ने संसद में दिए अपने भाषण में चुनाव आयोग पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “यह जो सीनेट के चुनाव हुए हैं, मुझे शर्म आती है स्पीकर साहब, बकरा मंडी बनी हुई है। हमें एक महीने से पता था। चुनाव आयोग ने कहा कि हमने बड़ा अच्छा इलेक्शन कराया है। इससे मुझे और सदमा लगा। अगर यह इलेक्शन आपने अच्छा कराया है तो फिर पता नहीं कि बुरा इलेक्शन कैसा होता है। “मैं चुनाव आयोग से कहना चाहता हूं कि पाकिस्तान की एजेंसियों से एक ख़ुफ़िया ब्रीफ़िंग लें ताकि आपको पता चले कि चुनाव में कितना पैसा चला.” इमरान ख़ान ने अपनी लड़ाई जारी रखने का विश्वास दिलाते हुए कहा, “मैं आख़िरी गेंद तक लड़ने वाला हूं और अगर पूरी पार्टी भी मेरा साथ छोड़ गई तो भी मैं अकेला लड़ूँगा.”।
दरअसल तीन मार्च को हुए सीनेट के चुनाव में ग्यारह विपक्षी पार्टियों के समूह पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) के साझा उम्मीदवार पूर्व प्रधानमंत्री यूसुफ़ रज़ा गिलानी ने इमरान ख़ान की पार्टी के उम्मीदवार मौजूदा वित्त मंत्री हफ़ीज़ शेख़ को हरा दिया था। कहा जा रहा है कि चुनाव के दौरान इमरान ख़ान की पार्टी के कई सांसदों ने पार्टी के उम्मीदवार के हक़ में वोट नहीं दिया था और क्रॉस वोटिंग की थी। इमरान ख़ान ने आरोप लगाया था कि इस चुनाव में पैसों की ख़ूब लेन-देन हुई है जिसके कारण उनके उम्मीदवार चुनाव हार गए।