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इमरान की रवानगी तय!

इमरान की सबसे बड़ी मुश्किल है देश की लगातार गिरती आर्थिक स्थिति। ऊपर से सेना का दबाव अलग से है। बची-खुची कसर विपक्षी दलों और सत्ता पक्ष के कुछ सांसदों ने उनकी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाकर पूरी कर दी है इसके चलते इमरान की कुर्सी खतरे में पड़ गई है

पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम इमरान खान की मुश्किलें दिन प्रतिदिन कम होने के बजाय बढ़ती ही जा रही हैं। जब से इमरान प्रधानमंत्री बने तब से अब तक उन्हें हर मोर्चे पर निराशा ही हाथ आई है। काफी लंबे समय से देश की आर्थिक स्थिति भी चरम पर है। इसके चलते इमरान खान पर इस्तीफा देने का दबाव बढ़ गया है। आर्मी चीफ बाजवा ने इमरान से इस्तीफे की मांग की है। ऐसे में कहा जा रहा है कि इमरान खान किसी भी वक्त इस्तीफा दे सकते हैं। इमरान की सबसे बड़ी मुश्किल है देश की लगातार गिरती आर्थिक स्थिति। ऊपर से सेना का दबाव अलग से है। बची-खुची कसर विपक्षी दलों और सत्ता पक्ष के कुछ सांसदों ने उनकी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाकर पूरी कर दी है। इससे देश की राजनीतिक सरगर्मियां एक बार फिर से तेज हो गई है। इन विपरीत हालातों में अब इमरान की कुर्सी खतरे में पड़ गई है।

दरअसल, विपक्षी दल उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए हैं। इसके चलते उन्हें प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ सकता है। विपक्ष का दावा है कि उनके पास जरूरी संख्या बल है। यही नहीं खुद इमरान की पार्टी से भी उनके खिलाफ कुछ सांसदों के बगावती तेवर भी सामने आ रहे हैं। पाकिस्तान के नेशनल असेंबली के अध्यक्ष असद कैसर ने प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए सदन का सत्र बुलाने की घोषणा की है। पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के लगभग 100 सांसदों ने इसी महीने 8 मार्च को नेशनल असेंबली सचिवालय के समक्ष अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है। इसमें आरोप लगाया गया था कि इमरान खान की सरकार देश में आर्थिक संकट और बढ़ती महंगाई के लिए जिम्मेदार है।

विपक्ष की मांग है कि अविश्वास प्रस्ताव पेश किए जाने के 14 दिनों के भीतर सत्र बुलाया जाना चाहिए। इसके बाद नेशनल असेंम्बली के अध्यक्ष ने फैसला दिया कि निचला सदन प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर विचार करेगा। पाकिस्तान के संविधान के अनुसार एक बार जब प्रस्ताव औपचारिक रूप से सदन द्वारा ले लिया जाता है तो मतदान तीन से सात दिनों के भीतर किया जाना चाहिए। इमरान खान गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं। ऐसे में अगर कुछ सहयोगी दल विपक्ष का साथ देते हैं तो उनकी कुर्सी चली जाएगी।
गौरतलब है कि इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) की दो दिवसीय बैठक की समाप्ति के बाद सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा के नेतृत्व में पाकिस्तानी सेना के शीर्ष अधिकारियों ने उन्हें इस्तीफा देने के लिए कहा है। पाकिस्तान मीडिया में चर्चा जोरों पर है कि पाकिस्तानी सेना प्रमुख और इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) प्रमुख नदीम अंजुम की इमरान खान से मुलाकात के बाद उन्हें सत्ता से बेदखल करने का फैसला बाजवा और तीन अन्य वरिष्ठ लेफ्टिनेंट जनरलों ने लिया था।

खबरों के अनुसार सभी चार सैन्य अफसरों ने इस बार क्रिकेटर से नेता बने इमरान खान को बचने का कोई रास्ता नहीं देने का फैसला किया है। पीटीआई सरकार के खिलाफ चल रहे अविश्वास प्रस्ताव के बीच इमरान खान ने इसी हफ्ते सेना प्रमुख बाजवा से मुलाकात की थी। बैठक कथित तौर पर देश में हाल के राजनीतिक घटनाक्रमों के इर्द-गिर्द घूमती रही।  दरअसल, इमरान खान और सेना के बीच दरार तब दिखाई दी जब 11 मार्च को सेना प्रमुख बाजवा के विपक्षी नेताओं के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी का उपयोग नहीं करने के सुझाव को खारिज कर दिया था। जेयूआई-एफ नेता मौलाना फजलुर रहमान का जिक्र करते हुए इमरान खान ने कथित तौर पर कहा, ‘मैं सिर्फ जनरल बाजवा (पाकिस्तानी सेना के प्रमुख) से बात कर रहा था और उन्होंने मुझसे फजल को ‘डीजल’ नहीं कहने के लिए कहा था। लेकिन मैं ऐसा नहीं कह रहा हूं। लोगों ने उनका नाम डीजल रखा है।’

सरकार बचाने के लिए चाहिए 172 वोट

पाकिस्तान के नेशनल असेंबली में सदस्यों की संख्या 342 है। इमरान खान को हटाने के लिए विपक्ष को 172 वोटों की जरूरत है। पीटीआई के सदन में 155 सदस्य हैं। सरकार में बने रहने के लिए उसे कम से कम 172 सांसदों की जरूरत है। पार्टी को कम से कम छह राजनीतिक दलों के 23 सदस्यों का समर्थन प्राप्त है। सत्तारूढ़ दल के लगभग दो दर्जन असंतुष्ट सदस्य हाल ही में प्रधानमंत्री खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान से पहले खुलकर सामने आए हैं। इसके चलते सरकार ने विपक्षी दलों पर खरीद-फरोख्त का आरोप लगाया है।

 

प्रधानमंत्री के मामले में पाक का इतिहास

पाकिस्तान के 75 साल के इतिहास में एक भी प्रधानमंत्री अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सका है। इमरान खान से पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को पनामा केस में दोषी करार देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अयोग्य घोषित कर दिया था जिसके बाद नवाज शरीफ को इस्तीफा देना पड़ा था। 90 के दशक के बाद से पाकिस्तान के इतिहास को देखें तो 1990 में पहली बार नवाज शरीफ पाकिस्तान के प्रधानमत्री बने थे। 95 तक उनको प्रधानमंत्री रहना चाहिए था लेकिन 1993 में पद छोड़ना पड़ा।

97 में दोबारा पीएम बने और 99 तक प्रधानमंत्री रहे। 2013 में तीसरी बार नवाज शरीफ ने पाकिस्तान में प्रधानमंत्री का पदभार संभाला लेकिन 2017 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कुर्सी चली गई। और अब मौजूदा पीएम इमरान खान का कार्यकाल पूरा नहीं हुआ है। उन्होंने 18 अगस्त, 2018 को पाकिस्तान इस्लामी गणराज्य के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। आर्मी और पाकिस्तान से जो सियासी संकेत मिल रहे हैं उन सबके बीच यह माना जा रहा है कि इमरान खान बतौर पीएम सबसे मुश्किल दौर में हैं। और यदि बीच में उनकी कुर्सी चली जाती है तो पाकिस्तान एक बार फिर अपने इतिहास को दोहराएगा।

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