पड़ोसी देश पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम इमरान खान की मुश्किलें खत्म नहीं हो रही है। जब से प्रधानमंत्री बने हैं तभी से मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। उन्हें हर मोर्चे पर निराशा ही हाथ लगी है। पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति लंबे समय से बदत्तर बनी हुई है। उस पर सेना का दबाव अलग से है। यह तो हर कोई जानता है कि इमरान खान को प्रधानमंत्री बनाने के पीछे वहां की खुफिया एजेंसी आईएसआई और पाक सेना का हाथ है। लेकिन अब वही सेना पाकिस्तान के पूर्व पीएम नवाज शरीफ के साथ खड़ी नजर आ रही है। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो पाकिस्तान की सेना ने पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को देश लौटने का संकेत दिया है। पाकिस्तानी सेना और सरकार के बीच बढ़ती तकरार की खबरें सामने आ रही है। कहा जा रहा है कि इमरान खान को बाहर का रास्ता दिखाने की योजना पाक सेना ने बना ली है।
दरअसल, सरकार और सेना आईएसआई के नए मुखिया की नियुक्ति को लेकर आमने-सामने है। हालात यह है कि इमरान खान और सेना प्रमुख जावेद कमर बाजवा की तकरार चरम पर है। यह अब पूरी दुनिया जान चुकी है। सरकार की ओर से लिए गए फैसले के बाद लेफ्टिनेंट जनरल नदीम अंजुम आईएसआई के डीजी पद को संभालने की तैयारी कर रहे हैं तो वहीं बाजवा चाहते हैं कि आईएसआई प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद को फिलहाल पद पर बनाया रखा जाए।
सूत्रों की मानें तो फिलहाल इमरान खान के सामने दो विकल्प रखे गए हैं। पहला विकल्प यह है कि इमरान खान खुद इस्तीफा दे दंे। वहीं, दूसरा विकल्प पाकिस्तानी संसद में विपक्ष इन हाउस बदलाव करेगा। इन विकल्पों को विस्तार से देखें तो दोनों में ही इमरान खान का पद से जाना लगभग तय है। ऐसे में कहीं न कहीं इमरान की मुश्किलें बढ़ सकती है। कहा जा रहा है कि आने वाले दिनों में पाकिस्तान की सत्तारूढ़ पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ का साथ उसके गठबंधन के सहयोगी भी छोड़ सकते हैं। इसमें मुतहिदा कौमी मूवमेंट (एमक्यूएम) और पाकिस्तान मुस्लिम लीग शामिल है। खबर यह भी है कि पीटीआई के परवेज खटक और पाकिस्तान मुस्लिम लीग के शहबाज शरीफ संभावित प्रधानमंत्री पदों की रेस में सबसे आगे हैं।
इमरान और सेना में तकरार
आईएसआई चीफ की नियुक्ति को लेकर इमरान और बाजवा के बीच तकरार खत्म नहीं हुई कि दोनों के बीच फिर से लकीरें खिंच गई है। इस बार कारण पाकिस्तान का एक आतंकी संगठन बना है। प्रधानमंत्री इमरान खान ने तहरीक-ए-लब्बैक के प्रदर्शनकारियों पर बल प्रयोग करने का आदेश आर्मी चीफ को दिया था। लेकिन बाजवा ने साफ कर दिया कि वो तहरीक-ए-लब्बैक के खिलाफ बल का प्रयोग नहीं करेंगे। बता दें कि तहरीक-ए-लब्बैक इमरान के लिए गले की हड्डी बन गई है। जैसे ही इस संगठन ने इस्लामाबाद कूच किया इमरान सरकार की धड़कने तेज हो गई। आनन-फानन में रेंजर्स को तैनात किया गया लेकिन वो भी इन्हें रोकने में नाकाम नजर आने लगे। तब इमरान ने आर्मी चीफ बाजवा से मुलाकात कर तहरीक-ए- लब्बैक के खिलाफ एक्शन लेने की बात कही। लेकिन बाजवा ने इससे साफ इनकार कर दिया।
नवाज को जेल में रखने का दबाव
वर्ष 2018 में हुए आम चुनाव बाद के इमरान खान के प्रधानमंत्री बनने को लेकर एक रिपोर्ट सामने आई है। पाकिस्तान की मीडिया में आई ये रिपोर्ट बताने के लिए काफी है कि वहां की न्यायपालिका कितनी करप्ट है। यह रिपोर्ट पूर्व पीएम नवाज शरीफ और उनकी बेटी मरियम नवाज से जुड़ी है। गिलगिट बाल्टिस्तान के पूर्व जज राणा एम शमीम ने अपने एक शपथ पत्र में कहा है कि उन पर पंजाब हाईकोर्ट से इस बात का दवाब बनाया गया कि नवाज और उनकी बेटी मरियम किसी भी हाल में 25 जुलाई 2018 के आम चुनाव से पहले जेल से बाहर न आ पाए। दरअसल भ्रष्टाचार के मामले में दोषी ठहराए गए नवाज शरीफ ने हाईकोर्ट में जमानत के लिए अर्जी लगाई थी। भ्रष्ट जज की वजह से सुनवाई आम चुनाव के बाद हुई। अब पूर्व जज की तरफ से हलफनामा भी दाखिल किया गया है। कहा जा रहा है कि ये हलफनामा भी सेना की अनुमति लेकर ही दाखिल किया गया है।
गौरतलब है कि भ्रष्टाचार के दो मामलों-एवेन फील्ड संपत्तियों और अल-अजीजिया स्टील मिल्स में दोषी ठहराए गए शरीफ को दिसंबर 2019 में इस्लामाबाद उच्च न्यायालय द्वारा भगोड़ा घोषित किया गया था क्योंकि वह इस संबंध में कोर्ट के सामने पेश होने में विफल रहे थे। पाकिस्तान की एक जवाबदेही अदालत ने 2018 में शरीफ को आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति रखने के लिए 10 साल और जांच में सहयोग नहीं करने के लिए एक साल की सजा सुनाई थी।