पाकिस्तान क्रिकेट टीम की कमान संभाल कर पाकिस्तान को विश्वविजेता बनाने वाले इमरान खान अब पूरे देश की कमान संभालने की तैयारियों में जुट चुके हैं।
पाकिस्तान में 25 जुलाई को हुए चुनाव शांतिपूर्ण ढंग से हो गए। देर रात तक मतगणना हुई और नतीजे वैसे ही आ रहे हैं जिसकी कल्पना लोग कर रहे थे। इमरान खान की पाटी तहरीक ए इंसाफ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सामने आ रही है। दूसरे नम्बर पर नवाज शरीफ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लीम लीग (नवाज) और तीसरे नम्बर पर पाकिस्तान पिपुल्स पार्टी है। पाकिस्तान की कई बड़े मीडिया हाउस और हिन्दुस्तान के भी समाचार एजेंसियों ने तो इस बात की घोषणा कर दी है कि इमरान अब पाकिस्तान की बागडोर संभालने की तैयारी करना शुरू कर दें।
पाकिस्तान चुनाव आयोग के नतीजे आने से पहले ही मीडिया की इस घोषणा की वजह पहली और दूसरी पार्टी में पचास से भी ज्यादा सीटों का अंतर है और खबर लिखे जाने तक इमरान की पार्टी बहुमत से सिर्फ 13 सीटें पीछे थी।
वैसे इमरान खान के साथ जिस तरह से आर्मी और मीडिया आकर खड़ा हो गया था उससे इन नतीजों की घोषणा चुनावी पंडित पहले की कर चुके थे और चुनाव के दिन जो मंजर पाकिस्तान में पोलिंग बूथ पर देखने को मिला उसने भी इसी बात की तस्दीख की। पाकिस्तान आर्मी का एक बड़ा हिस्सा चुनाव करवाने के लिए तैनात कर दिया गया। इस बार कहीं हिंसा नहीं हुई और न ही कोई बड़ा हादसा हुआ। इमरान ने पाकिस्तानी आतंकी संगठन के साथ खड़े होकर वहां की आर्मी और आतंकियों दोनों को अपने साथ कर लिया था। इसी का नतीजा हुआ की पाकिस्तान में चुनाव अब तक के सबसे शांतिपूर्ण चुनाव हुए।
जो थोड़ी बहुत अशांति हुई वो चुनाव के बाद नतीजे आने में देरी को लेकर हुई। चुनाव आयोग पर दबाव और नतीजों में उलट फेर करने का आरोप पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) के लोगों ने लगाया और इसका विरोध किया। विरोध को बढ़ता देख कर चुनाव आयोग के आला अधिकारी बाबर याकूब मीडिया के सामने आए और इस पर सफाई दी।
अपनी सफाई में उन्होंने कहा कि चुनावी नतीजों में देरी का कारण ‘रिजल्ट ट्रांसमिशन सिस्टम’ आरटीएस को बताया। उन्होंने बताया कि जब हजारों चुनाव अधिकारियों ने इसका एक साथ इस्तेमाल करना शुरू किया तो मशीन ने काम करना बंद कर दिया। जिसके कारण देरी हुई।
नवाज शरीफ के जेल जाने के बाद पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) की कमान संभालने वाले शहबाज शरीफ ने मतगणना के समय हुई खामियों के खिलाफ सभी पार्टी को संगठित करके आवाज उठाने की बात कही है। हालांकि इन चुनावों में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी ‘तहरीक ए इंसाफ’ और प्रधानमंत्री की कुर्सी के एकदम पास पहुंच चुके इमरान खान को इससे बहुत ज्यादा फर्क पड़ता नहीं दिख रहा है।
अब औपचारिकताएं खत्म होने के बाद यह देखना बहुत महत्वपूर्ण रहेगा कि प्रधानमंत्री पद पर पहुंचने के बाद इमरान अपने पड़ोसी मुल्कों के लिए कैसा रुख इख्तियार करते हैं और जिस ‘न्यू पाकिस्तान’ का सपना उन्होंने देश को दिखाया है उसे वह हांसिल करने के लिए पाकिस्तान आर्मी को किस तरह मनाते हैं और काम करते हैं।