[gtranslate]
world

डरे हुए हैं इमरान

इमरान खान जब से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने हैं तब से लगातार दिक्कतों का सामना कर रहे हैं। एक तरफ सीमा विवाद तो दूसरी तरफ देश की खस्ताहाल अर्थव्यवस्था उनकी नींद हराम करती रही है। इस बीच देश में एक और नई आफत पैदा हो गई। फ्रांस के राजदूत को देश से बाहर करने की मांग को लेकर पैदा हुई हिंसा की लपटों ने प्रधानमंत्री को इतना परेशान किया कि सरकार को कट्टरपंथियों के सामने झुकना पड़ा। इमरान सरकार ने कट्टरपंथी संगठन तहरीए-ए-लब्बैक पाकिस्तान  के सामने सरेंडर कर दिया है। खबरों के मुताबिक इमरान सरकार अपनी नाक बचाने और मामले को टालने के लिए संसद में बहस का प्रस्ताव ला रही है। इमरान खुद कह चुके हैं कि अगर फ्रेंच एम्बेसेडर को निकाला तो पूरी यूरोपीय यूनियन और पश्चिमी देश पाकिस्तान के खिलाफ हो जाएंगे।

ऐसे में पाकिस्तान का वजूद ही खतरे में पड़ जाएगा। एफएटीएफ भी पाकिस्तान को ग्रे से ब्लैक लिस्ट में डाल सकता है। मुस्लिम देश भी उसका साथ देने के लिए तैयार नहीं हैं। सरकार ने संसद में एक प्रस्ताव पेश किया। इसमें कहा गया  कि फ्रांस के राजदूत को निकालने की तहरीक-ए-लब्बैक पार्टी की मांग पर अब संसद में  बहस शुरू होगी। दरअसल, कुछ महीने पहले फ्रांस में पैगम्बर मोहम्मद साहब का कार्टून बनाया गया था। इसका मुस्लिम देशों में काफी विरोध हुआ था। तब से तहरीक-ए-लब्बैक पार्टी मांग कर रही है कि फ्रांस से सभी डिप्लोमैटिक रिलेशन यानी राजनयिक संबंध खत्म किए जाएं और उसके एम्बेसेडर को इमरान सरकार देश से निकाले। इसी मांग को लेकर देशभर में कई दिनों से सिविल वाॅर जैसे हालात बने हुए थे।

इमरान की दिक्कत यह है कि कट्टरपंथियों के चलते पाकिस्तान हिंसा से जूझ रहा है। अगर उनकी मांग मानते हुए फ्रांस के राजदूत को निकलने हैं तो यूरोपीय यूनियन और पश्चिमी देश पाकिस्तान के खिलाफ हो सकते हैं 

इससे पहले फरवरी में ही तहरीक-ए-लब्बैक पार्टी ने आंदोलन की चेतावनी दी थी। तब इमरान सरकार ने इस संगठन से लिखित समझौता किया था। इसमें सरकार ने कहा था कि वो फ्रेंच एम्बेसेडर को निकालने की मांग पर 20 अप्रैल तक संसद में प्रस्ताव लाएगी। 11 अप्रैल को सरकार वादे से मुकर गई। ताकतवर तहरीक-ए -लब्बैक पार्टी ने मुल्क बंद करने की धमकी दी तो उसके चीफ साद रिजवी को गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद पूरे देश में हिंसा हुई। मीडिया कवरेज पर रोक लगा दी गई और इंटरनेट बंद कर दिया गया। हिंसा में 4 पुलिसवालों समेत कुल 11 लोग मारे गए। तालिबान और दूसरे आतंकी संगठनों ने तहरीक-ए-लब्बैक पार्टी को समर्थन देने का ऐलान किया तो सरकार की सांसें फूल गईं।
पाकिस्तान सरकार ने पिछले हफ्ते ही तहरीक-ए-लब्बैक पार्टी को आतंकी संगठन बताते हुए इसे बैन कर दिया था। फिलहाल, बैन तो नहीं हटाया गया, लेकिन बातचीत की शुरुआत हो गई है।

इसके बाद ही होम मिनिस्टर शेख रशीद ने संसद में प्रस्ताव लाने की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि तहरीक-ए -लब्बैक पार्टी मेंबर्स पर लगे सभी केस वापस लिए जाएंगे। इमरान ने भी मुल्क के नाम पैगाम दिया था। कहा था-फ्रेंच एम्बेसेडर को निकालने के गंभीर नतीजे होंगे। उन्होंने भारत पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया था। साथ ही ये भी कहा था कि तहरीक-ए-लब्बैक पार्टी और सरकार का लक्ष्य एक, लेकिन तरीके अलग हैं। दरअसल, देश में पिछले 13 अप्रैल को जबरदस्त हिंसा भड़क गई थी। इस दौरान कई शहरों में पुलिस और इस्लामिक कट्टरपंथी पार्टी तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान के कार्यकर्ताओं के बीच हिंसक झड़प हुई। पिछले कई महीनों से फ्रांस के राजदूत को लेकर टीएलपी प्रदर्शन कर रही है। प्रदर्शन के दौरान टीएलपी के मुखिया साद रिजवी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया, जिसके बाद हिंसा भड़क उठी।

इस हिंसा ने विकराल रूप तब लिया जब धार्मिक नेता साद हुसैन रिजवी और उनके कई सहयोगियों को  गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने साद रिजवी समेत तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान पार्टी (टीएलपी) के कई नेताओं के खिलाफ आतंकवाद रोधी कानून के तहत मुकदमा दर्ज किया। एफआईआर में कहा गया कि इन्होंने लोगों को हिंसा करने और जाम लगाने के लिए उकसाया। इसके लिए लाउडस्पीकर से ऐलान करने और सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के आरोप भी लगाए गए जिसके बाद अपने नेताओं की गिरफ्तारी का विरोध कर रहे कार्यकर्ताओं ने जान लेने के इरादे से पत्थरबाजी की और पुलिसकर्मियों पर हमले किए। एफआईआर के मुताबिक प्रदर्शनकारियों ने कई पुलिसकर्मियों को पीटा जिसमें चार सिपाहियों  की मौत हो गई। इसके बाद भी देशभर में प्रदर्शन हो रहे जिससे कई इलाकों में जनजीवन भी प्रभावित हुआ।

You may also like

MERA DDDD DDD DD