पड़ोसी देश पकिस्तान में इमरान खान जब से देश के प्रधानमंत्री बने हैं तब से दिक़्क़तों का सामना कर रहे हैं। कभी सीमा विवाद तो कभी देश की खस्ता हाल अर्थव्यवस्था उनकी चुनौती बनी हुई है । इन विपरीत हालातों में अब इमरान की कुर्सी खतरे में पड़ गई है। विपक्षी दल उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए हैं। विपक्ष का दावा है कि उनके पास जरूरी संख्या बल है। यही नहीं खुद इमरान की पार्टी से भी उनके खिलाफ कुछ सांसदों के बगावती तेवर भी सामने आ रहे हैं। इसके चलते पाकिस्तान के नेशनल असेंबली के स्पीकर ने 25 मार्च को सदन का सत्र बुलाया है। इस सत्र में इमरान को अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ेगा।
दरअसल ,पाकिस्तान के नेशनल असेंबली के अध्यक्ष असद कैसर ने प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए 25 मार्च को सदन का सत्र बुलाने की घोषणा की है । पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के लगभग 100 सांसदों ने 8 मार्च को नेशनल असेंबली सचिवालय के समक्ष अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था। इसमें आरोप लगाया गया था कि इमरान खान की सरकार देश में आर्थिक संकट और बढ़ती महंगाई के लिए जिम्मेदार है।
गौरतलब है कि विपक्ष ने कानूनी आवश्यकताओं के अनुसार आज 21 मार्च तक सत्र बुलाने की मांग की थी। पाकिस्तान के नेशनल असेंबली के सचिवालय ने कल 20 मार्च को एक अधिसूचना जारी कर 25 मार्च को सत्र बुलाने की जानकारी दी है । अधिसूचना के अनुसार सत्र 25 मार्च को बुलाया जाएगा जो मौजूदा नेशनल असेंबली का 41वां सत्र होगा।
ओआईसी शिखर सम्मेलन के चलते सत्र बुलाने में हुई देर
विपक्ष की मांग थी कि अविश्वास प्रस्ताव पेश किए जाने के 14 दिनों के भीतर सत्र बुलाया जाना चाहिए। वहीं आंतरिक मंत्री शेख रशिद ने कहा था कि असाधारण परिस्थितियों के कारण इसमें देरी हो सकती है। इस मामले में देरी 22 मार्च से संसद भवन में शुरू हो रहे इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी ) के हाई-प्रोफाइल 48वें शिखर सम्मेलन के कारण हुई है। शुरू में विपक्ष ने समय पर सत्र नहीं बुलाने पर सदन में धरना देने की धमकी दी थी। हालांकि पूरे विपक्ष ने इस बात पर जोर देते हुए अपने रुख को नरम किया कि पाकिस्तान की राजनीतिक उथल-पुथल को किसी भी तरह से इस आयोजन को प्रभावित नहीं करने दिया जाएगा।
निचला सदन 25 मार्च को प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर विचार करेगा। पाकिस्तान के संविधान के अनुसार एक बार जब प्रस्ताव औपचारिक रूप से सदन द्वारा ले लिया जाता है तो मतदान तीन से सात दिनों के बीच किया जाना चाहिए। इमरान खान गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं। अगर कुछ सहयोगी दल विपक्ष का साथ देते हैं तो उनकी कुर्सी चली जाएगी।