इमरान खान जब से प्रधानमंत्री बने हैं, तब से दिक़्क़तों का सामना कर रहे हैं। कभी वे सीमा विवाद तो कभी देश की खस्ताहाल अर्थव्यवस्था को लेकर चौतरफा आलोचनाओं से घिरे रहे हैं। इस बीच इमरान खान के एक बयान से फिर उनकी चारों ओर तीखी आलोचना हो रही है। दरअसल, पिछले सप्ताह पाकिस्तान में हजारा शिया समुदाय के 11 मजदूरों की बड़ी निर्ममता से हत्या कर दी गई थी। दोषियों की गिरफ्तारी को लेकर हजारा शिया समुदाय के लोग पिछले कई दिनों से विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं।
प्रदर्शनकारियों ने ये भी कहा है कि जब तक इमरान खान उनसे मिलने नहीं आएंगे, तब तक हमले में मारे गए लोगों को दफनाया नहीं जाएगा।इमरान खान ने कल आठ जनवरी को इस्लामाबाद में एक कार्यक्रम में प्रदर्शनकारियों की मांग को ब्लैकमेलिंग कहकर खारिज कर दिया।
PM Imran Khan says the Hazara community can’t blackmail a prime minister into condoling by refusing to bury their dead. Then he negotiates – bury your dead first.
As if the most marginalised mourners should be told how to mourn, how to protest, how to seek comfort. 1/2 pic.twitter.com/W7QR4bCOsh
— Amber Rahim Shamsi (@AmberRShamsi) January 8, 2021
इमरान खान ने कहा, “मैंने प्रदर्शनकारियों को संदेश पहुंचा दिया है कि जब आपकी सारी मांगें मानी जा रही हैं तो फिर मेरे आने तक मृतकों को ना दफनाने की जिद क्यों की जा रही है। किसी भी मुल्क के प्रधानमंत्री को इस तरह से ब्लैकमेल नहीं किया जा सकता है। इस तरह से तो हर कोई देश के प्रधानमंत्री को ब्लैकमेल करना शुरू कर देगा। इमरान खान ने कहा, मैं इस मंच के जरिए कहना चाहता हूं कि आप उन्हें आज (मृतकों) दफना दीजिए, मैं आपको क्वेटा आने की गारंटी देता हूं। इमरान खान ने कहा कि वह पिछले ढाई साल से इस तरह की ब्लैकमेलिंग झेल रहे हैं। उनका इशारा ‘पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट’ की तरफ था जो लगातार उनके इस्तीफे की मांग कर रहा है।
पकिस्तान के अशांत दक्षिण-पश्चिमी बलूचिस्तान प्रांत में शिया हजारा समुदाय के लोग किस प्रकार यहां कट्टरपंथी हिंसा का शिकार हो रहे हैं, यह कोई छिपी बात नहीं रह गई है। ह्यूमन राइट्स वाच भी यहां सांप्रदायिक हिंसा में कट्टरपंथियों द्वारा हजारा समुदाय के लोगों को निशाना बनाने की तस्दीक कर चुका है। ताजा मामला बलूचिस्तान के मछ कोलफील्ड में काम करने वाले हजारा समुदाय के 11 निर्दोष खनिकों का है, जिन्हें बंदूकधारियों ने बीते हफ्ते रविवार 3 जनवरी को गोली मार दी थी। पीड़ितों के परिजन उसी दिन से न्याय की मांग को लेकर यहां धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं।
अपनों की लाशें लिए पीड़ितों के परिजन बीते करीब एक सप्ताह से कड़ाके की ठंड के बीच खुले आसमान में प्रदर्शन कर रहे हैं, जिसमें उनका साथ उनके समुदाय के अन्य लोग दे रहे हैं। हजारा समुदाय के लोगों से पकिस्तान के विपक्षी नेताओं मरियम नवाज और बिलावल जरदारी भुट्टो ने भी मुलाकात की और उनके साथ संवेदना व एकजुटता जताई, पर प्रधानमंत्री इमरान खान उनकी एक मांग को लगातार अनसुना कर उन्होंने इस संबंध में जो कुछ भी कहा है, उससे लोगों में यह सवाल भी उठाना शुरू कर दिया है कि उनमें संवेदना बची भी है या नहीं।
इमरान खान के इस बयान की चौतरफा आलोचना हो रही है। विश्लेषकों , पत्रकारों, बुद्धिजीवियों और यहां की अवाम ने भी सोशल मीडिया के जरिये इमरान खान के प्रति नाराजगी जताई है और कहा कि उनका बयान बेहद ‘असंवेदनशील’ है, जो जाहिर करता है कि उनमें संवेदना नहीं बची है और उन्हें हजारा समुदाय के लोगों के साथ किसी तरह की सहानुभूति नहीं है। पकिस्तान में सोशल मीडिया पर #ApatheticPMIK हैशटैग भी ट्रेंड कर रहा। पत्रकार अंबर राहिम शम्सी ने प्रधानमंत्री इमरान खान की आलोचना करते हुए कहा कि यह प्रस्ताव देकर कि वे पहले लाशों को दफनाएं, उन्होंने खुद हजारा समुदाय के साथ ‘निगोशिएशन’ की शुरुआत की है।
वहीं, पत्रकार फहद हुसैन ने लिखा, प्रधानमंत्री ने बेहद गलत शब्द का प्रयोग किया। यह उन लोगों के साथ असंवेदशीलता और उनके अपमान को दर्शाता है, जो पहले ही एक बड़ी त्रासदी को झेल रहे हैं। पत्रकार हामिद मीर ने लिखा, ‘अपनों की लाशें लिए बैठे ये लोग कैसे किसी को ब्लैकमेल कर सकते हैं?’
वहीं वरिष्ठ अधिवक्ता रीमा कमर ने अपने ट्वीट में कहा कि प्रधानमंत्री का यह कहना है कि पहले लोग लाशों को दफनाएं, फिर वह उनसे मिलेंगे, यह जाहिर करता है कि प्रधामनंत्री खुद लोगों को ‘ब्लैकमेल’ कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर ऐसे कई बयान हैं, जिनमें इमरान खान के शब्दों की कड़ी निंदा की गई है और उनसे अपने बयान वापस लेने की मांग की गई है। अब देखना यह है कि प्रधानमंत्री पर इसका कितना असर होता है और वह आगे इस मामले में क्या करते हैं और क्या कहते हैं।
अपनी ही अवाम के लिए ये क्या बोल गए इमरान खान?
उनकी यही मांग इमरान खान को नागवार गुजर रही है। वह हजारा समुदाय के लोगों की इस मांग को मानने के लिए तैयार नहीं हैं और कह दिया कि वे प्रधानमंत्री को ब्लैकमेल कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी देश के प्रधानमंत्री को इस तरह से ब्लैकमेल नहीं किया जा सकता। फिर तो हर कोई प्रधानमंत्री को ब्लैकमेल करेगा। इसमें उन्होंने विपक्ष को भी शामिल किया और उन्हें ‘डाकुओं का टोला’ करार देते हुए कहा कि वे भी तो अपने भ्रष्टाटाचार केस में माफी को लेकर ढाई साल से सरकार को ब्लैकमेल कर रहे हैं और सरकार गिराने की बातें कर रहे हैं।
क्या है हजारा समुदाय की मांग?
हजारा समुदाय के लोग 11 मासूम खनिकों की हथियारबंद आतंकियों द्वारा हत्या किए जाने से नाराज हैं। आतंकियों ने मछ कोलफील्ड के आवासीय परिसर से इन लोगों को बंधक बनाया था। आतंकियों ने अन्य लोगों को छोड़ दिया था, जबकि इस समुदाय के लोगों को अलग कर उनके हाथ बांध दिए और उनकी आंखों पर पट्टी बांधकर पहाड़ी इलाके में ले जाकर उन्हें गोली मार दी। इस वारदात की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट (IS) ने ली है।
हजारा समुदाय के लोग उसी दिन से अपनों की लाशें लिए क्वेटा के पश्चिमी बाईपास पर बैठे हैं, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। उनका कहना है कि जब तक प्रधानमंत्री इमरान खान आकर उनसे नहीं मिलते और उन्हें सुरक्षा का आश्वासन नहीं देते, वे उन्हें दफनाएंगे नहीं ।