- प्रियंका यादव, प्रशिक्षु
पड़ोसी देश म्यांमार में पिछले साल हुए सैन्य तख्तापलट के बाद भारत के पूर्वोत्तर राज्य मिजोरम में आए शरणार्थियों को राज्य सरकार ने पहचान पत्र जारी करना शुरू कर दिया है। इन सभी ने पिछले साल फरवरी से इस राज्य में शरण ले रखी है। मिजोरम के गृह मंत्रालय के अनुसार जारी किए जा रहे पहचान पत्र सिर्फ मिजोरम में वैध होंगे और शरणार्थियों की शीघ्रता से तथा आसानी से पहचान सुनिश्चित करने में मदद करने के अलावा राज्य की मतदाता सूची में उनके नाम शामिल होने से भी रोकेंगे। इस मामले से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि शरणार्थियों के बारे में बुनियादी सूचना देने के अलावा इन पहचान पत्रों में इस बात का भी उल्लेख होगा कि पहचान पत्र धारक ने मानवीय आधार पर मिजोरम में शरण ले रखी है।
गौरतलब है कि म्यांमार में तख्तापलट के बाद मिजोरम में कुल 29 हजार 532 शरणार्थियों ने शरण ली थी।इस दौरान शरणार्थियों ने मिजोरम के सभी 11 जिलों में शरण मांगी थी । अधिकांश शरणार्थी म्यांमार के चिन राज्य से हैं और मिजोरम के साथ जातीय संबंध साझा करते हैं। उनमें से अधिकांश शरणार्थी शिविरों में रहते हैं, जबकि अन्य अपने रिश्तेदारों के साथ या किराए के घरों में रहते हैं।
दरअसल सरकार ने जिला प्रशासन को पहचान पत्र जारी करने का काम सौंपा गया है। अलग-अलग जिलों ने अलग-अलग तारीखों पर यह प्रक्रिया शुरू कर दी है, जबकि कुछ जिलों ने अभी तक यह प्रक्रिया शुरू नहीं की है। सेरछिप जिले ने फरवरी में प्रक्रिया शुरू की, जबकि हनहथियाल ने सात अप्रैल को 1 हजार 110 कार्ड वितरित किए और म्यांमार की सीमा से लगे लॉंगतलाई ने अब तक 4 हजार 794 कार्ड जारी किए हैं। आइजोल में शरणार्थियों को पहचान पत्र जारी करने की प्रक्रिया अगले हफ्ते शुरू होगी। मिजोरम के छह जिले म्यांमा के चिन प्रांत से 510 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार अब तक जारी किए गए ऐसे दस्तावेजों की सही संख्या का मिलान किया जाना बाकी है।
आधिकारिक आंकड़ों में कहा गया है कि दक्षिण मिजोरम के सियाहा जिले में सबसे ज्यादा 9 हजार 464 म्यांमार के नागरिक रहते हैं, इसके बाद चंफाई में 7 हजार 810 और लवंगतलाई में 5 हजार 475 हैं।
रिपोर्ट के अनुसार कम से कम 1 हजार 916 म्यांमार के लोगों ने आइजोल जिले में शरण ले रखी है जबकि 1 हजार 986 लुंगलेई में, 1 हजार 732 हनहथियाल में, 433 सेरछिप में, कोलासिब में 149, ममित में 450, ख्वाजावल में 64 और सैतुअल में 53 लोगों ने शरण ली है।
म्यांमार के 29 हजार लोगों ने मिजोरम में ली शरण
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, ‘म्यांमार के कुल 29 हजार 532 नागरिक अपना घर-बार छोड़ कर पलायन कर गए थे और उन्होंने अपने देश में सैन्य तख्तापलट होने के बाद से मिजोरम के 11 जिलों में शरण ले रखी है। जिला प्रशासन को पहचान पत्र जारी करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। राज्य के कई जिलों ने अलग-अलग तारीखों पर यह प्रक्रिया शुरू कर दी है, जबकि कुछ जिलों द्वारा यह कार्य शुरू किया जाना बाकी है।
बेबस शरणार्थी
मिजोरम के ६ जिले म्यांमार के चिन प्रान्त से ५१० किलोमीटर लम्बी अंतर्राष्ट्रीय सीमा साझा करते है। मिजोरम मुख्यमंत्री जोरमथंगाने ने २९ मार्च को कहा था कि म्यांमार में सैन्य तख्ता पलट होने के बाद से ही वहां के २४ हजार से अधिक नागरिको ने राज्य में शरण ले रखी है। इन लोगो को राज्य सरकार ,एनजीओ ,चर्चो ,छात्र इकाइयों संगठनों की और भोजन ,शेल्टर ,अन्य सुविधाएं मानवीय सहायता की तौर पर उपलब्ध कराई जा रही है। ये शरणार्थी अब शरण चाहते हैं। मिजोरम शरणार्थीयों का कहना है कि वो चाहते है कि केवल मिजोरम सरकार ही नहीं केन्द्र सरकार भी उनकी मदद कर उन्हें स्वीकार करें। 70 वर्षीय शरणार्थी परमाविया उनका कहना था कि उन्हें सबसे ज्यादा जरूरत स्वास्थ्य कर्मियों कि है जो महीने में कम से कम एक बार शरणार्थियों की जांच कर सके। म्यांमार से पलायन किए हुए एक शरणार्थी ने शरणार्थियों के लिए जारी किए गए पहचान पत्र को लेकर चिंता जताई और कहा भले ही राज्य में मौजूद मिजो नेशनल फ्रंट सरकार ने उन्हें शरणार्थी कार्ड प्रदान करें हो लेकिन भविष्य की सरकार उन्हें अमान्य घोषित कर सकते हैं। क्योंकि हम इस स्थान से नहीं है, क्या हमारी सुरक्षा की कोई गारंटी होगी ?