ईरान की मानवाधिकार कार्यकर्ता नरगिस मोहम्मदी ईरान की महिलाओं के हक़ लिए और लोकतंत्र के लिए लड़ती आई है। इस साल के नोबेल पुरष्कार से भी उन्हें सम्मानित किया गया है। मौजूदा समय में नरगिस मोहम्मदी कारावास में हैं और उन्होंने वहीं भूंख हड़ताल शुरू कर दी है।
भूख हड़ताल की वजह
मीडिया रिपोर्ट्स अनुसार नरगिस मोहम्मदी की तबीयत खराब है। उनके परिवार अनुसार नरगिस के तीन नसों में ब्लॉकेज है और फेफड़ों में भी समस्या है। उन्हें इलाज की जरूरत है। लेकिन जेल अधिकारीयों ने उन्हें अस्पताल ले जाने से इंकार कर दिया क्योंकि नरगिस ने हिजाब पहन कर जाने से मना कर दिया। यही मुद्दा उनके भूंख हड़ताल की वजह बनी । नरगिस ने रोगी को इलाज के लिए सुविधाएं न मुहैया कराने और हिजाब विरोध में हुए भूंख हड़ताल की। परिवार ने बताया कि नरगिस मोहम्मदी सिर्फ पानी, शुगर और नमक ले रही हैं और उन्होंने अपनी दवाइयां भी लेनी बंद कर दी हैं।
नोबेल विजेता नरगिस मोहम्मदी मानवाधिकारों को लेकर लगातार अभियान चलाती रहीं हैं। महिला और मानवाधिकारों के लिए लड़ने के लिए उन्हें नोबेल पुरष्कार से सम्मानित किया गया था। नरगिस मोहम्मदी के लिए नोबेल समिती ने भी ईरान सरकार से अपील की है कि वह मोहम्मदी को मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध कराएं।
नोबेल समिति का भी कहना है कि महिला कैदियों को अस्पताल में भर्ती कराने के लिए हिजाब की अनिवार्यता अमानवीय है और नैतिक तौर पर भी यह स्वीकार्य नहीं किया जा सकता । नरगिस विभिन्न आरोपों में 12 साल जेल की सजा काट रही हैं। मोहम्मदी पर ईरान की सरकार के खिलाफ भ्रामक प्रचार करने का भी आरोप है।
हिजाब पहनना है अनिवार्य
ईरानी सरकार ने सार्वजनिक स्थलों पर महिलाओं का हिजाब पहनना अनिवार्य कर रखा है। जिसके विरोध में पिछले साल से ही महिलाएं और कई सामाजिक कार्यकर्ता विरोध करते आए हैं। पिछले वर्ष सितंबर में पुलिस की हिरासत में महसा अमीनी नाम की एक लड़की की मौत हो गई थी। इसके बाद पूरे ईरान में इसे लेकर विरोध प्रदर्शन हुआ था। पुलिस ने महसा को इसलिए गिरफ्तार किया था कि वह हिजाब नहीं पहनी थी।