अमेरिकी सरकार की निगरानी एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में अफगानिस्तान(AFGANISTAN) सरकार के लिए बेहद दुःखद दावा किया है। अमेरिकी रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान के हमलों में लगातार वृद्धि के बाद अफगानिस्तान एक “अस्तित्व संकट” का सामना कर रहा है, जो देश से अमेरिका (America) और गठबंधन सैनिकों की वापसी से काफी पहले शुरू हुआ था। अमेरिकी रिपोर्ट में कहा गया है कि ये स्थिति अफगानिस्तान के लिए ठीक नहीं है।
अफगानिस्तान सरकार पर खतरा !
अफगानिस्तान शांति वर्ता के लिए अमेरिका (America) के स्पेशल इंस्पेक्टर जनरल ने 30 जुलाई को जारी एक नई रिपोर्ट में कहा कि अफगानिस्तान सैनिकों ने भले ही तालिबान के नियंत्रण से कुछ जिलों को वापस ले लिया है और अफगान सरकार भले ही अभी भी दावा करती है कि राजधानी काबुल सहित सभी 34 प्रांतों की राजधानी पर सरकार की ही नियंत्रण है, लेकिन जमीनी हकीकत आश्चर्यकित करने वाले हैं। ग्राउंड रिपोर्ट में पता चल रहा है कि अफगान सेना को लगातार आश्चर्यकित किया जा रहा है और अफगानिस्तान की सरकार ‘अस्तित्व संकट’ से जूझ रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ”अफगानिस्तान की कुल मिलाकर स्थिति अफगानिस्तान सरकार के नजरिए से बेहद खराब है और सरकार अस्तित्व संकट से गुजर रही है और अब इसे बदलना काफी मुश्किल है”
अफगानिस्तान(Afganistan) को लेकर तैनात किए गये अमेरिका के सबसे बड़े अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में सरकार को लेकर काफी चिंताजनक रिपोर्ट दिए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका-तालिबान सौदे के बाद से अफगान बलों को हमलों का सामना करना पड़ा है। अमेरिकी कांग्रेस को 52वीं तिमाही रिपोर्ट में कहा गया है कि अफगानिस्तान के पुननिर्माण में अमेरिका ने 1448 अरब डॉलर खर्च किए हैं। इंस्पेक्टक जनरल ने अपनी रिपोर्ट में यूएस फोर्सेज-अफगानिस्तान के आंकड़ों का हवाला देते हुए दावा किया है कि फरवरी 2020 के यूएस-तालिबान समझौते पर हस्ताक्षर के बाद से तालिबान ने अफगानिस्तान के अंदर काफी तेजी से हमले करने शुरू कर दिए। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल फरवरी महीने से मई 2021 तक अफगानिस्तान में 10 हजार 383 तालिबानी हमले हुए हैं।
आख़िर इतना मजबूत कैसे हो गया तालिबान ?
रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछली तिमाही के दौरान तालिबान ने अफगान राष्ट्रीय रक्षा और सुरक्षा बलों के खिलाफ कई जिला केंद्रों पर बेहद घातक हमले किए हैं। लेकिन तालिबान ने अपनी रणनीति बदलते हुए अमेरिकी फोर्स और गठबंधन की सेना पर हमला करना बंद कर दिया। रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान ने अपने हमलों में इस बात का ध्यान रखा कि किस तरह से अफगानिस्तान सरकार के इनकम को कम कर दिया जाए और सीमा राजस्व पर तालिबान का नियंत्रण हो जाए, ताकि तालिबान के पास पैसे पहुंचे। इसके साथ ही अफगानिस्तान सीमा पर तालिबान ने एक स्टिंग को जब्ज कर लिया, जहां से अफगान सरकार को सीमा शुल्क पहुंचा करता था।
अमेरिका के इंस्पेक्टर जनरल ने अपनी रिपोर्ट में कहा गया है कि हेराज, कंधार और कुंदूज से अफगान सरकार को कुल राजस्व का 34.4 प्रतिशत का प्राप्त होता है और इन इलाकों पर काफी तेजी के साथ तालिबान ने हमले किए। रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान(Afganistan) की सीमा ने तालिबान हमलों के बीच बगैर अमेरिकी सेना या बगैर नाटो की सेना के तालिबान के खिलाफ ऑपरेशन को अंजाम देना कम करना शुरू कर दिया। लिहाजा तालिबान मजबूती से आगे बढ़ता चला गया। ‘सिगार’ रिपोर्ट में कहा गया है कि विदेशी फौज के निकलने के बाद अफगानिस्तान एयरफोर्स काफी तनाव में आ चुकी है और अब अफगानिस्तान में सिर्फ 25 प्रतिशत ऑपरेशन ही एयरफोर्स के जरिए हो रहे हैं।
तालिबान(Taliban) का बढ़ता प्रभाव
विश्व बैंक की रिपोर्ट का हवाला देते हुए ‘सिगार’ की रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान और अन्य सरकार विरोधी सशस्त्र समूहों ने हाल के महीनों में अफगानिस्तान में विश्व बैंक द्वारा दी जाने वाली आर्थिक मदद में हिस्सेदारी को काफी बढ़ा दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान की बढ़ती मांग और अफगानिस्तान की बिगड़ती सुरक्षा के कारण बैंक के कार्यक्रम कम हो गये हैं और अब अफगानिस्तान में 20 प्रतिशत स्वास्थ्य कार्यक्रम बंद हो चुके हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि स्थिति ये है कि 2021 में अब आधे से ज्यादा अफगानिस्तान में रहने वाले लोगों को मानवीय सहायता की जरूरत है।