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आज एक ओर जहां दुनिया भर में महिलाओं को पुरुषों की तरह बराबरी के अधिकार देने की बात हो रही है, वहीं ईरान से एक दुखद घटना सामने आई है। यहां नारी अधिकारों की पैरोकार एक मशहूर वकील नसरीन सोतेदेह को 38 साल की कैद और 148 कोड़े मारने की सजा सुनाई गई है। नसरीन पर इल्जाम है कि उन्होंने देश के खिलाफ षड्यंत्र, जासूसी और शीर्ष नेतृत्व का अपमान किया है।

इस्लामिक देशों से समय-समय पर महिलाओं के अधिकारों के हनन की खबरें आती रही हैं। इससे पहले एक ईरानी पत्रकार मसिह एलिनजेद के विरोध-प्रदर्शन शुरू करने के एक दिन पहले स्कार्फ लहराती हुई महिला की तस्वीर सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई थी। मसिह महिला अधिकार कार्यकर्ता हैं और उन्होंने ‘माय स्टीलथी फ्रीडम’ और ‘व्हाइट वेनज्डे़े’ नाम के दो सोशल मीडिया अभियान की शुरुआत की थी। जिसमें बिना हिजाब के फोटो या वीडियो पोस्ट करने को कहा गया था।

हिजाब क्या है? यह प्रश्न कई बार उठा कि इस्लामिक महिला के लिए हिजाब परंपरा का हिस्सा है या गुलामी की जंजीर। कुछ इस्लामिक जानकारों के मुताबिक हिजाब/बुर्का एक तरह का घूंघट है जो मुस्लिम समुदाय की महिलाएं कुछ खास जगहों पर खुद को पुरुषों की निगाहों से दूर रखने के लिए पहनती हैं। लेकिन यह महिलाओं पर थोपा नहीं गया। ये उनकी मर्जी पर निर्भर करता है।

ईरान की मशहूर वकील और अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त मानवाधिकार कार्यकर्ता नसरीन सोतेदेह को सात अलग-अलग मामलों में 33 साल की जेल और 148 कोड़े की सजा मिली है। नसरीन पहले से 5 साल की सजा काट रही हैं। इस तरह उनकी कुल सजा 38 साल की हो गई। नसरीन को यह सजा ईरान के विपक्षी कार्यकर्ताओं का केस लड़ने के आरोप में सुनाई गई है।

किसी इस्लामिक राष्ट्र में महिलाओं की आवाज दबाने का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी ऐसी घटनाएं सामने आई हैं। पाकिस्तान की मलाला युसूफजई इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं। मलाला पर गोली इसलिए चली थी कि वह अपने देश में लड़कियों के स्कूल जाने की पैरवी कर रही थीं। खुद भी पढ़कर कुछ बनने का सपना देख रही थीं। पाकिस्तान की ईसाई महिला आसिया बीबी पर पैगम्बर मुहम्मद साहब का अपमान करने का आरोप लगाकर जेल में डाल दिया गया। ऐसे सैकड़ों मामले हैं जहां महिला को महिला होने की सजा मिलती रही है।

नसरीन सोतेदेह के प्रति क्रूरतापूर्ण इस घटना की निंदा अब पूरी दुनिया में हो रही है। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इस घटना की कड़ी आलोचना की है। एमेनेस्टी ने अपने बयान में कहा है कि नसरीन सोतेदेह ने अपना जीवन महिलाओं की रक्षा और उनके अधिकारों के लिए समर्पित किया है। यह पूरी तरह से अपमानजनक है कि ईरान के अधिकारी उन्हें दंडित कर रहे हैं। यूरोपीय संसद की तरफ से साल 2012 में सखरोव मानवाधिकार पुरस्कार से सम्मानित नसरीन के साथ इस तरह की घटना पहले भी घटी है। नसरीन को ईरान की सुरक्षा को खतरे में डालने और प्रोपेगैंड़ा करने के जुर्म में गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया था। पांच साल की लंबी सजा भुगतने के बाद नसरीन रिहा की गई।

गौरतलब है कि नसरीन की दुनियाभर में ख्याति इसलिए भी है क्योंकि वे महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों का खुलकर विरोध करती रही हैं। खुलकर पीड़ित पक्ष की पैरवी करती हैं। नसरीन उस समय चर्चा में आई थीं जब इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान की सरकार ने महिलाअें के लिए बुर्का अनिवार्य कर दिया था। उसके बाद पूरे ईरान में सरकार के इस कदम के खिलाफ आवाज उठनी शुरू हुई थी। इस मामले में जब सरकार को लगा कि यह मामला अधिक जोर पकड़ने लगा तो विरोध- प्रदर्शन पर काबू पाने के लिए ईरान सरकार ने सोशल मीडिया पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए थे। हिजाब मुद्दे पर ईरानी सरकार की यह भी दलील है कि कुछ पश्चिमी देश ईरान को कमजोर करने पर तुले हुए हैं।

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