अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत यात्रा पर पूरी दुनिया की नजरें यूं ही नहीं टिकी रहीं। दुनिया जानती है कि ट्रंप की यह यात्रा न सिर्फ अपनी राजनीतिक जमीन को मजबूत करने की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इससे दोनों देशों के संबंध और प्रगाढ़ होंगे। भारत के लिए ट्रंप का यह दौरा इस मायने में अहम है कि विश्व के तमाम मुल्क देख रहे हैं कि एक ऐसे देश जिसे कि बड़ी ताकत के तौर पर देखा जाता रहा है। आज वहां का राष्ट्रपति भारत की धरती से न सिर्फ अपने राजनीतिक भविष्य को बचाने की कोशिश में है, बल्कि वह प्रसन्न भी हैं कि भारत के लिए होने वाले अमेरिकी निर्यात में 60 प्रतिशत की बढ़त हासिल हुई है। उनकी यह प्रसन्नता जाहिर करती है कि भारत दुनिया की महाशक्तियों को कुछ न कुछ देने की महाशक्तियों को कुछ न कुछ देने की स्थिति में अवश्य है। अमेरिकी राजनीति के लिए भारत भी अहम हो चुका है।’
जानकारों के मुताबिक, ट्रंप यात्रा के अपने उद्देश्य में पूरी तरह कामयाब रहे हैं। पिछली बार अमेरिका में रहने वाले 16 प्रतिशत भारतीयों ने ही ट्रंप के पक्ष में मतदान किया था। यही वजह है कि उन्होंने अगले चुनाव से पहले भारत का रूख किया। पहले ‘हाउडी मोदी’ और अब ‘नमस्ते ट्रंप’ जैसे कार्यक्रम निश्चित तौर पर उनके लिए लाभदायक साबित हो सकते हैं। उनके विरोधियों को भी यही महसूस हो रहा है। हालांकि किसी भी देश के चुनावी नतीजों को लेकर स्पष्ट भविष्यवाणी काफी कठिन है, लेकिन फिलहाल वे अपने देशविायों को यह संदेश देने में सफल रहे हैं कि भारत के साथ अमेरिका का तीन अरब डाॅलर का रक्षा सौदा हुआ।
विपक्षी पार्टी डेमोक्रेट समझ रही है कि यह रक्षा सौदा और भारतीय मतदाताओं को लुभाने के लिए ‘ट्रंप का तुरूप’ उनके लिए लाभदायक साबित हो सकता है, लिहाजा डेमोक्रेट पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार ने रक्षा सौदे पर असंतोष जताया है। ‘काॅप्रिहेंसिव ग्लोबल स्ट्रैटनिक पार्टनरशिप’ पर दोनों देशों की सहमति विश्व समुदाय में अहम मानी जा रही है। इसका अर्थ यह निकाला जा रहा है कि दोनों देशों में न सिर्फ वैश्विक मसलों पर बल्कि सामरिक मसलों पर भी साझीदारी रहेगी। इससे द्विपक्षीय रिश्तों में प्रगाढ़ता बनी रहेगी।
रक्षा सौदे के तहत हुई सहमति में अमेरिका ने भारत को आधुनिकतम सैन्य हैलीकाॅप्टर अन्य साजों-सामान देने की बात कही है। अपाचे और रोमियो हैलीकाॅप्टर की रक्षा डील दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है। भारत के लिए यह डील इस दृष्टि से अहम है कि आधुनिक रक्षा उपकरण किसी भी राष्ट्र की मजबूती की गारंटी देते हैं, भारत के तो पड़ोस में चीन और पाकिस्तान जैसे मुल्क हैं, जो उसे सवाल होते नहीं देखना चाहते। इस दृष्टि से भारतीय प्रधानमंत्री मोदी भी अपने उन राजनीतिक विरोधियों को जवाब दे सकते हैं जो यह सवाल उठ रहे हैं कि आखिर ट्रंप की यात्रा से भारत को क्या हासिल हुआ? बेशक व्यापार में कोई खास समझौता नहीं हुआ, लेकिन ट्रंप के चुनाव जीतने के बाद इसमें भी उत्साहजनक नतीजे सामने आएंगे। ऊर्जा क्षेत्र में अमेरिकी संयत्र हासिल करना भी भारत के लिए अच्छी बात है।
राजनीतिक दृष्टि से यह यात्रा राष्ट्रपति ट्रंप और माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, दोनों के लिए विशेष महत्त्व रखती है। अमेरिकी कांग्रेस के उच्च सदन सीनेट के जरिए महाभियोग की कार्रवाई से उबरने के बाद ट्रंप को इस वर्ष राष्ट्रपति पद के लिए होने वाले चुनाव का सामना करना है। अमेरिका के अब तक के लोकतांत्रिक इतिहास में यह पहली बार हो रहा है कि महाभियोग की कार्रवाई से बचने के बाद कोई राष्ट्रपति दोबारा इस पद के लिए चुनाव लड़ने जा रहा है। जाहिर है कि विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी ने ट्रंप के विरुद्ध भ्रष्टाचार के जो तथ्य जुटाए हैं, वे सभी चुनाव अभियान में इस्तेमाल किए जाएंगे, जिनका सामना ट्रंप को करना होगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी प्रतिकूल राजनीतिक माहौल का सामना कर रहे हैं। हाल ही में दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा की शर्मनाक हार हुई है, और भाजपा ने यह चुनाव प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे पर ही लड़ा था। इसी के साथ वे नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर को लेकर विरोध प्रदर्शन से भी जूझ रहे हैं। ट्रंप के इस दौरे पर भारत में आंदोलनकारियों ने अंतरराष्ट्रीय मीडिया का ध्यान बटोरने के लिए अपने आंदोलन को और तेज कर दिया था। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का ध्यान भारतीय लोगों खासकर अमेरिका में रह रहे भारतीयों का दिल जीतने में रहा।
उन्होंने कहा, “मेलानिया और मैं भारत की महिमा और भारतीय लोगों की असाधारण उदारता और आदरता से विस्मित हैं। हम आपके गृह राज्य के (पीएम मोदी के) नागरिकों द्वारा किए गए शानदार स्वागत को हमेशा याद रखेंगे। दोनों देश आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ने को सहमत हैं। हमने आज अपाचे और एमएच- 60 रोमियो हेलीकाॅप्टर सहित दुनिया में बेहतरीन-उन्नत अमेरिकी सैन्य उपकरणों के यूएस डालर 3 बिलियन से अधिक की खरीद के लिए भारत के साथ समझौतों के साथ अपने रक्षा सहयोग का विस्तार किया। ये हमारी संयुक्त रक्षा क्षमताओं को बढ़ाएंगे।” पीएम मोदी ने भी कहा कि हम 21वीं सदी की सबसे महत्वपूर्ण पार्टनरशिप्स में हैं और इसलिए आज राष्ट्रपति ट्रंप और मैंने हमारे संबंधों को ‘काॅम्प्रिहेन्सिव ग्लोबल स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप’ के स्तर पर ले जाने का निर्णय लिया है। आतंक के समर्थकों को जिम्मेदार ठहराने के लिए आज हमने अपने प्रयासों को और बढ़ाने का निश्चय किया है।
पीएम ने कहा कि आज हमारे बीच ड्रग तस्करी, नार्को-आतंकवाद और संगठित अपराध जैसी गंभीर समस्याओं के बारे में एक नए मेकैनिज्म पर भी सहमति हुई है। कुछ ही समय पहले स्थापित हमारी स्ट्रैटेजिक एनर्जी पार्टनरशिप सुदृढ़ होती जा रही है। और इस क्षेत्र में आपसी निवेश बढ़ा है। तेल और गैस के लिए अमेरिका भारत का एक बहुत महत्वपूर्ण स्त्रोत बन गया है। हम एक बड़ी ट्रेड डील के लिए बात करेंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, मोदी और मैं कारोबारी रिश्ते बढ़ाने पर भी चर्चा करेंगे। मुझे उम्मीद है कि हम अच्छे समझौते को आकार दे सकते हैं। हालांकि, वे बहुत सख्त वार्ताकार हैं।
दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय कारोबार 40 फीसदी बढ़ा है। भारत अमेरिका के लिए सबसे बड़ा एक्सपोर्ट मार्केट है। भारत की तरक्की दुनिया के लिए भी फायदेमंद है। भारत और अमेरिका के बीच हैदराबाद हाउस में हुई, द्विपक्षीय वार्ता में पाकिस्तान के साथ एक हद तक जम्मू-कश्मीर पर चर्चा तो हुई लेकिन सीएए का मुद्दा नहीं उठा। भारत और अमेरिका के बीच वार्ता में पाकिस्तान की ओर से फैलाए जा रहे आतंकवाद को लेकर चर्चा हुई, इस दौरान भारत ने क्षेत्र में अपनी चिंताओं को साझा किया। विदेश सचिव ने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने व्यापार सेक्टर में बड़े समझौते के लिए आगे बढ़ने का फैसला किया है। और जम्मू-कश्मीर के उल्लेख के सवाल पर विदेश सचिव ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में सकारात्मक घटनाक्रमों पर चर्चा केंद्रित थी, चीजें सही दिशा में बढ़ रही हैं।
विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि इसके अलावा पांच मुख्य क्षेत्रों सुरक्षा, रक्षा, ऊर्जा, प्रौद्योगिकी, दोनों देशों की जनता के स्तर पर संपर्क को लेकर बातचीत हुई। भारत-अमेरिका ने नारकोटिक्स पर कार्य समूह बनाने का भी फैसला किया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रक्षा क्षेत्र में खरीद, प्रौद्योगिकी, संयुक्त गठजोड़ में भारत को उच्च स्थान देने का आश्वासन दिया है। ऊर्जा द्विपक्षीय सहयोग के सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक के रूप में सामने आया है। भारतीय पक्ष ने आईटी क्षेत्र में भारतीय पेशेवरों के योगदान को रेखांकित करते हुए एच1बी वीजा का मुद्दा उठाया। वैश्विक परिप्रेक्ष्य और खासकर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में संपर्क बढ़ाने को लेकर भी चर्चा हुई।