- दाताराम चमोली
नई दिल्ली। सन् 1962 के हमले के बाद से चीन निरंतर सीमाओं का उल्लंघन कर भारत में घुसपैठ करता आ रहा है। भारतीय सैनिकों द्वारा मुंहतोड़ जवाब दिये जाने के बावजूद वह अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। लेह- लद्दाख, अरुणाचल से लेकर हिमाचल और उत्तराखंड तक हर जगह चीनी सैनिक भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ करते रहे हैं। भारतीय सेना द्वारा खदेड़ दिये जाने या कूटनीतिक बातचीत के बाद चीनी सैनिक बेशक कुछ समय के लिए शांत हो जाए, लेकिन फिर अपनी टेढ़ी चाल दिखा देते हैं। दशकों से चीन न सिर्फ भारतीय क्षेत्रों पर अपना दावा करता रहा है, बल्कि उसके सैनिक भारत में घुसपैठ कर सीमांत लोगों को डराने -धमकाने से भी बाज नहीं आए।

चीन के नापाक इरादों का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जब उसके राष्ट्रपति भारत की यात्रा पर रहे उस दौरान भी उसने घुसपैठ को अंजाम दिया। आज एक तरफ तो वह लद्दाख क्षेत्र की गलवान घाटी में पीछे हटने की बात करता है, लेकिन दूसरी तरफ उसकी सेनाएं पेगोंग त्सो (लेक) में भी डटी हुई हैं। यहां भारतीय सेना भी डटी हुई है। इसके कारण तनाव की स्थिति बनी हुई है। बताया जाता है कि स्थिति पर बराबर नजर है और छह जून को भारत-चीन के शीर्ष सैन्य अधिकारियों के बीच होने वाली वार्ता में इस पर फोकस रहेगा। भारत की ओर से लेह स्थित 14 कोर के लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह वार्ता में हिस्सा लेंगे। सरहद पर तनाव का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस बीच उत्तरी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल वाई. के. जोशी हालात हालात का जायजा लेने लद्दाख पहुंचे।
हालांकि रक्षामंक्षी राजनाथ सिंह आश्वस्त दिखते हैं कि पूर्व की तरह इस बार भी सैन्यवार्ता और कूटनीतिक तरीके से समस्या का समाधान हो जाएगा, लेकिन सीमा पर चीनी सैनिकों की भारी संख्या में मौजूदगी सरकार के लिए भारी चिंता का विषय है। समस्या की गंभीरता ही कही जाएगी कि अब कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सरकार से स्थिति स्पष्ट करने को कहा है कि क्या चीनी सैनिक भारतीय सीमा में घुस गए हैं। राहुल गांधी ने ट्वीट किया है, क्या सरकार इसकी पुष्टि कर सकती है कि चीन का कोई सैनिक भारतीय सीमा में दाखिल नहीं हुआ? राहुल से पहले कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला, मनीष तिवारी आदि ने भी सरकार से इस बारे में सवाल किये हैं।