दुनियाभर के इस्लामिक स्टेट हजारा समुदाय के लोगों को दशकों से निशाना बनाते रहे हैं। फिर चाहे पाकिस्तान हो या अफगानिस्तान। भारत में आये अफगानी शरणार्थी इस अल्पसंख्यक समुदाय पर हो रहे अन्याय और ज्यादतियों की ओर दुनिया का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास कर रहें हैं ।
इसके लिए अफगानी शरणार्थियों द्वारा कल यानी 6 अक्टूबर को प्रदर्शन किया गया । गौरतलब है कि हजारा समुदाय के लोग दशकों से उत्पीड़न सहते चले आ रहे हैं। अफगानिस्तान में इनकी तादाद देश की कुल आबादी की 20 फीसदी है ,लेकिन धार्मिक मान्यताओं के चलते इनका जीना मुश्किल हो होता रहा है । अफगान में तालिबानी हुकूमत आने के बाद से एक बार फिर उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। करीब 22 साल पहले भी जब अफगान में तालिबानी शासन था तो तालिबानी लड़ाके इस समुदाय के लोगों को चुन – चुन कर मारा करते थे। साथ ही इनकी बहन बेटियों के साथ दुर्व्यवहार किया जाता था। दरअसल तालिबानी सुन्नी मुसलमान इन्हे मुस्लमान के श्रेणी में नहीं देखते। गौरतलब है कि पिछले हफ्ते अफगान की राजधानी में हुए आत्मघाती हमले में तकरीबन 53 हजारा लोगों की जान गई है । मारे जाने वाले लोगों में 46 लड़कियां थीं। वहीं इस हमले में 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। ये आत्मघाती हमला उस दौरान एक शिक्षक संस्थान पर किया गया जब हजारा समुदाय के बच्चे परीक्षा दे रहे थे।
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इस समुदाय को अफगान में न्याय दिलाने के लिए शरणार्थियों द्वारा दिल्ली में प्रदर्शन किया जा रहा है। प्रदर्शन किये जा रहे लोगों ने हाथों में बैनर, प्लेकार्ड और पोस्टर लेकर इस समुदाय के लोगों के लिए इंसाफ की मांग की है। किये गए इस प्रदर्शन में बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे शामिल हुए थे। प्रदर्शनकारियों ने कई तस्वीरों में हजारा समुदाय पर हो रहे अत्याचार की कहानी दिखाई है। तालिबानी अक्सर कहते सुने जाते हैं कि हजारा के लोग मुसलमान बन जाएं या फिर कब्रिस्तान जाएं। अफगानिस्तान ही नहीं पाकिस्तान में भी ये समुदाय निशाने पर रहता है। गौरतलब है कि इन दोनों ही मुल्कों में सुन्नी मुसलमान बहुसंख्यक हैं। ये हजारा समुदाय के अल्पसंख्यकों से नफरत करते हैं। इस प्रदर्शन के जरिये समुदाय के लोगों ने अपनी कहानी दुनिया को बताने की कोशिश की है ।
कौन है हजारा समुदाय
अफगानिस्तान सुन्नी बहुल मुल्क है। अफगानिस्तान में मुस्लिम धर्म में हजारा समुदाय तीसरा सबसे बड़ा जातीय समूह है। लेकिन ये एक धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय है। इसमें से अधिकतर लोग हजारा समुदाय से आते हैं। यहां गौर करने वाली बात है कि तालिबान और इस्लामिक स्टेट अफगान दोनों ही सुन्नी समूह हैं। अल्पसंख्यक हजारा समुदाय के लोग मंगोलियाई और मध्य एशियाई मूल के हैं और इस समुदाय के लोग चंगेज खान के वंशज माने जाते हैं। ये लोग अधिकतर मध्य अफगानिस्तान के पहाड़ी इलाके में निवास करते हैं । इनके रहने वाले इलाकों को हजारिस्तान’ या हजाराओं की भूमि के रूप में जाना जाता है। अफगानिस्तान में युद्ध छिड़ने के बाद इस समुदाय के कुछ प्रतिशत लोग अमेरिका और ब्रिटेन में भी बस गए। बीते वर्ष तालिबान ने ग़ज़नी प्रांत में हज़ारा समुदाय के लोगों का न केवल शोषण किया बल्कि क्रूरता की हद पार करते हुए क़त्ल भी किया। तालिबान द्वारा उनके घरों को लूट लिया गया।