सोशल मीडिया का प्रभाव पूरे विश्वभर में दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। कभी ‘पेन फ्रेंड’ के जरिए अंजान लोगों को पत्राचार के जरिए मित्र बनाने का दौर हुआ करता था। विज्ञान की तरक्की के साथ-साथ आपस में जुड़े रहने के तरीकों में भारी परिवर्तन आता गया। जो माध्यम इंटरनेट के जरिए दूरदराज के अंजान लोगों से जुड़ने से शुरू हुआ आज वह गंभीर मुद्दों पर जनसमर्थन हासिल करने का एक सशक्त माध्यम बन चुका है। 2011 में इसका प्रभाव ‘अन्ना आंदोलन’ की जबर्दस्त सफलता के बाद महसूसा गया। अमेरिका से शुरू हुआ ‘मी टू’ कैम्पेन आज पूरे विश्व में यौन उत्पीड़न के खिलाफ एक सशक्त हथियार बन उभर चुका है। दक्षिण कोरिया में भी सोशल मीडिया के जरिए एक अनूठा आंदोलन इन दिनों खासी चर्चा में है। इस आंदोलन का स्लोगन है श्छव ठत्।श् यानी महिलाओं द्वारा पहने जाने वाले अंर्तवस्त्र के खिलाफ आंदोलन। दक्षिण कोरिया की महिलाएं इंस्टाग्राम के जरिए रुछव ठत्। के अंतर्गत अपनी ऐसी तस्वीरें ऑनलाइन वायरल करने में जुटी है जिनमें उन्होंने ब्रा नहीं नहीं पहनी होती है।
दरअसल पूरे मामले की शुरुआत दक्षिण कोरिया की एक मशहूर गायिका और फिल्म अभिनेत्री सुली ने कुछ समय पहले अपनी एक फोटो इंस्टाग्राम में पोस्ट की जिसमें उन्होंने ब्रा नहीं पहनी थी। सुली के इंस्टाग्राम में लाखों की तादात में फॉओवर हैं। इन सभी ने इस तस्वीर को आगे वायरल कर डाला। फिर क्या था यह एक बड़े सोशल आंदोलन में बदल गया। यहां की महिलाओं का कहना है कि वे क्या पहने और क्या न पहने यह उनका निजी मसला है। उन्हें कोई बाध्य नहीं कर सकता कि उन्हें ब्रा पहननी चाहिए या नहीं। मामला जल्द ही दक्षिण कोरिया में सबसे बड़ी बहस में बदल गया। रुछव ठत्। को लेकर कइयों को खासी आपत्ति है। वे इसे सुली द्वारा चीप पब्लिसिटी मान रहे हैं। कई महिलाओं ने भी आपत्ति करते हुए सोशल मीडिया में लिखा है कि ‘टाइट कपड़े पहन अपने स्तन दिखाना बेहूदा है। आप क्या पहने और कैसे पहने यह आपकी आजादी है लेकिन इतने टाइट कपड़े न पहनें कि आपके स्तन साफ नजर आएं।’
खास बात यह है कि यह आंदोलन पहले राजधानी सियोल और कुछ अन्य बड़े शहरों तक सीकित था, अब लेकिन पूरे देश में इसकी धूम मच गई है और इसे स्त्री आजादी संग जोड़कर देखा जाने लगा है। एक लड़की नाह्यून ने तो इसके जरिए अपना बिजनेस शुरू क डाला है। वे महिलाओं के लिए ‘स्पेशल निप्पल बैच’ बनाने लगी हैं जिसके चलते ब्रा न पहनने पर भी निप्पल छिपे रहत हैं।
देसी तनमनजीत छा गए ब्रिटिश संसद में
2018 में ब्रिटेन के वर्तमान प्रधानमंत्री ने एक अखबार‘द टेलीग्राफ’ में लेख लिखा। उन्हें तब इल्हाम न था कि पीएम बनने के बाद उनका यह देख बड़ी सिरदर्दी का कारण बन जाएगा। अपने इस लेख में बोरिस जॉनसन ने मुस्लिम औरतों की बाबत लिखा कि बुर्का पहनने वाली महिलाएं उन्हें बैंक लूटने वाली प्रतीत होती हैं। उन्होंने ऐसी बुर्काधारी महिलाओं को ‘लेटरबॉक्स’ कह भी पुकारा था। अब बॉरिस जॉनसन पर इस लेख के चलते नस्लवादी होने के आरोप लग रहे हैं। सिख मूल के लेबर पार्टी के सांसद तनमनजीत सिंह ने गत् दिनों ब्रिटिश संसद में प्रधानमंत्री का इस मुद्दे पर आड़े हाथों से डाला। उन्होंने पीएम से उनकी नस्लवादी टिप्पणी के लिए मुस्लिम महिलाओं से माफी मांगने की बात कही। तनमनजीत सिंह ब्रिटिश संसद के पहले सांसद हैं जो पगड़ी पहनते हैं। उन्होंने अपने भाषण के दौरान साथी सांसदों की जबर्दस्त तालियां बटोरी। उन्होंने कहा सिर पर पगड़ी पहनने के चलते उन्हें भी कई ऐसी टिप्पणी सुनने को बचपन से मिलती रही हैं जिसमें उन्हें ‘तालिबान’ तक कहा गया।
‘‘मैं मुस्लिम महिलाओं का दर्द बहुत अच्छे से महसूस कर सकता हूं। खुद मुझे तीसरी दुनिया से आया ‘तालिबान’ कहा गया है।’’
तनमनजीत इतने पर ही नहीं रुके। उन्होंने प्रधानमंत्री से पूछा कि वे अपनी पार्टी के भीतर इस्लाम से नफरत पर कब जांच कराएंगे? उनके सवालों के जवाब देते प्रधानमंत्री खासे डिफेंसिव रहे। उन्होंने माना कि हमें पूर्वाग्रहों से बचना चाहिए। साथ ही अपने आचरण के लिए माफी भी मांगनी चाहिए। हालांकि बोरिस जॉनसन ने अपने लेख को ठीक ठहराते हुए कह डाला कि
‘‘यदि मेरे लेख को सही तरीके से समझा जाए तो वह बेहद उदारवादी दृष्टिकोण से लिखा गया है। इस देश में हर किसी को अधिकार है कि वह जो चाहे पहने।’’
लेबर पार्टी के संसद में नेता जर्मी कोर्बिन ने अपने फेसबुक पेज में तनमनजीत की तारीफ करते हुए लिखा है कि संसद में उनके भाषण के वीडियो को सभी जरूर देखें।