ऑफिस में काम करते समय अगर आप सो जाएं और किसी की नजर आप पर पड़ जाए तो आपका न सिर्फ मजाक उड़ाया जाता है, बल्कि नौकरी जाने का भी डर बना रहता है। लेकिन अब कई कंपनियां खुद अपने कर्मचारियों को छोटी झपकी (कैटनैप) लेने के लिए कह रही हैं। कोई इसके लिए समय तय कर रहा है तो कोई ऐसी जगह बना रहा है जहां लोग जाकर कैटनैप ले सकें। इससे काम का नुकसान नहीं होगा, बल्कि उत्पादकता बढ़ेगी, ऐसा हम नहीं नासा भी कहता है।
क्या कहती है नासा की स्टडी?
दिसंबर 2019 में नासा की एक स्टडी सामने आई थी, जिसमें कहा गया है कि झपकी लेने के बड़े फायदे हैं यानी कुछ मिनट से 45 मिनट की नींद, खासकर अगर नींद दोपहर में ली जाए। अंतरिक्ष एजेंसी ने पायलटों पर प्रयोग के दौरान पाया कि अगर वे उड़ान भरने से पहले करीब 25 मिनट की झपकी लेते हैं तो वे उड़ान के दौरान काफी सतर्क रहते हैं और काम में भी करीब 34 फीसदी का सुधार देखते हैं।
नासा के मुताबिक 10 मिनट से करीब आधे घंटे की झपकी काफी होती है। इससे अधिक देर तक सोने के बाद व्यक्ति कुछ समय के लिए सुस्त रहता है, और कम सतर्क रहता है। इससे कार्य में हानि हो सकती है। इस छोटी सी झपकी को कैटनेप कहा जा रहा है।
कैटनैप शब्द कहां से आया है?
कैटनैप शब्द का इतिहास क्या है यह कोई नहीं जानता। शायद यह बिल्लियों से प्रेरित है। बिल्ली दिन भर छोटी-छोटी झपकी लेती रहती है और उतनी ही सतर्क भी रहती है। इस शब्द के पीछे एक और लॉजिक भी है। पुराने जमाने में जहाज चलाने वाले या जहाज पर काम करने वाले लोग अपनी कमर पर चाबुक की तरह पट्टी बांधते थे। चमड़े और धातु से बना यह पट्टा लगातार डंक मार कर लोगों को सचेत रखता था। जहाज पर दुर्घटनाओं को रोकने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले इस व्हिप को कैट-ओ-नाइन टेल्स कहा जाता था, जो सतर्क रहने से जुड़ा था।
अब दुनिया भर की कंपनियां कैटनैप के फायदों की बात कर रही हैं, लेकिन जापान सबसे आगे है। इसके लिए एक जापानी शब्द है – इनेमुरी, जिसका अर्थ है काम के बीच में सोना। जापान के किसी भी ऑफिस में जाइए, आप दोपहर में लोगों को अपनी डेस्क पर सोते हुए देखेंगे। शॉपिंग सेंटर, डिपार्टमेंटल स्टोर, कैफे, होटल, रेस्टोरेंट और मेट्रो में भी लोग सोते नजर आएंगे। वहां झपकी लेने वाले लोगों को आलसी या कमजोर नहीं माना जाता, बल्कि मेहनती माना जाता है।
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इस तरह के बॉक्स तैयार किए जा रहे हैं ताकि 6 फीट से थोड़ा अधिक कद का वयस्क व्यक्ति वहां फिट हो सके। इन्हें नैप या फ्लेमिंगो बॉक्स भी कहा जा रहा है। लंबे समय तक काम करने के बाद थके हुए कर्मचारी अपने आकार के डिब्बे में जाकर 10-15 मिनट सो सकेंगे। नैप बॉक्स लकड़ी का होगा, जो इस तरह का होगा कि कर्मचारियों को हाथों को आराम देकर ज्यादा आराम दिया जा सके। इस बात का भी ध्यान रखा जाता था कि सोते हुए मजदूर का सिर पेटी से टकराकर घायल न हो जाए।
वैसे तो झपकी लेने के कई फायदे गिनाए जा रहे हैं, लेकिन यह कोई सार्वभौमिक प्रथा नहीं है। ज्यादातर जगहों पर अगर आप ऑफिस में ऊंघते हुए नजर आते हैं तो सवाल तभी उठेंगे जब आप प्रोफेशनल होंगे। कैटनेप को लेकर कर्मचारी भी कम भयभीत नहीं हैं। उनका मानना है कि अगर उन्हें काम के बीच में आधा घंटा सोने के लिए दिया जाए तो उनसे लंबे समय तक काम कराया जाएगा। वहीं, पारंपरिक कंपनियों का मानना है कि कामकाजी लोग इसका फायदा उठाएंगे और दूसरे काम करने लगेंगे, जैसे आपस में गपशप करना, या लैपटॉप पर बेवजह की बातें करना। इससे कार्यालय का समय और बिजली दोनों खर्च होंगे।