- वृंदा यादव
दुनिया के सबसे गरीब देशों में शुमार उत्तरीपूर्वी देश सूडान में पिछले कुछ दिनों से सेना और अर्धसैनिक बल के बीच खूनी जंग जारी है। सैन्य प्रशासक अब्देल फतह अल बुरहान और अर्धसैन्य बल आरपीएफ मिलीशिया के प्रमुख जनरल मोहम्मद हमदान दगालो की वजह से चल रहे इस संघर्ष में अब तक सैकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है जबकि हजारों लोग घायल हैं। इसके पीछे राजनीतिक तनाव और संघर्ष तो है ही लेकिन इस लड़ाई की असल वजह यहां का सोने का भंडार भी बताया जा रहा है। जिसकी वजह से देश में गृहयुद्ध जारी है। आलम यह है कि सूडान के लिए सोना एक अभिशाप-सा बन गया है
पूरे अफ्रीकी महाद्वीप में सबसे बड़ा सोने का भंडार सूडान में है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक सिर्फ 2022 में ही सूडान ने 41 .8 टन सोने के निर्यात से करीब 2 .5 अरब डॉलर की कमाई की थी यानी सोना ही सूडान के लिए मुनाफा का सबसे बड़ा साधन है। मौजूदा वक्त में इन सोने की खदानों पर देश के एक अर्धसैनिक बल आरएसएफ मिलीशिया का कब्जा है। इस अर्धसैन्य बल की कमान जनरल मोहम्मद हमदान दगालो के हाथ में है।
गौरतलब है कि साल 1956 तक सूडान ब्रिटिश शासन का हिस्सा था। इसी दौरान देश को अपने तेल भंडार के बारे में पता चला था। 1980 के बाद देश के दक्षिणी हिस्से में आजादी के लिए संघर्ष शुरू हो गया। 2011 में रिपब्लिक ऑफ दक्षिणी सूडान बनने के साथ यह संघर्ष खत्म हुआ और साथ ही कच्चे तेल के निर्यात से होने वाली दो तिहाई आमदनी वहां चली गई। साल 2012 में देश के उत्तरी हिस्से में सोने के विशाल भंडार का पता चला। यह सोने का भंडार देश की आर्थिक स्थिति सुधारने के काम आया। इस सोने को जहां ईश्वर की देन समझा गया और माना गया कि दक्षिण सूडान की वजह से देश ने जो खोया, उसकी भरपाई हो सकती है। लेकिन यह सोना अभिशाप अब बन गया है। अलग-अलग पक्ष इस क्षेत्र पर कब्जा करना चाहते हैं और देश में लूटपाट और मौत का सिलसिला भी शुरू हो गया।
सोना लूटने की वजह से मरे लोग
सूडान में 40 हजार स्थानों पर सोने का खनन होता है। देश के 13 प्रांतों में सोने का शोधन करने वाली 60 कंपनियां हैं। साल 2017 में इन खद्दानों पर अर्धसैनिक बल आरएसएफ मिलीशिया ने कब्जा कर लिया। जनरल मोहम्मद हमदान दगालो वर्तमान में सूडान के इसी अर्ध सेना बल (आरएसफ) के प्रमुख हैं। सूडान में अक्टूबर 2021 में नागरिकों और सेना की संयुक्त सरकार का तख्तापलट हुआ था। जिसके बाद सूडान की सत्ता दो प्रमुख लोगों आरएसफ के मुखिया मोहम्मद हमदान दगालो और सेना प्रमुख अब्देल फतह अल बुरहान में बंट गई। बीते वर्ष अक्टूबर 2022 में दोनों ही सेनाओं ने सहमति बनाते हुए एक नागरिक सरकार के गठन करने की योजना बनाई। जिसमें यह तय किया गया कि सोने का सारा उत्पादन चुनी हुई सरकार को हस्तांतरित कर दिया जाएगा। लेकिन जनरल मोहम्मद हमदान दगालो की बढ़ती ताक़त को देखते हुए सैन्य शासक जनरल अल बुरहान के करीबी लोगों ने अर्धसैनिक बल की गतिविधियों को अपने नियंत्रण में लेने की कोशिश शुरू कर दी। सेना का कहना है कि अर्धसैनिक बल सेना के अंतर्गत ही आता है इसलिए उसे सेना में शामिल कर लेना चाहिए। जिसके कारण सेना के खिलाफ जनरल दगालो का गुस्सा भड़क उठा और आरएसफ ने 15 अप्रैल 2023 को सेना के शिविरों पर हमला करना शुरू कर दिया। तब से यह मामला थम नहीं पाया है। हिंसा इतनी बढ़ गई है कि लोगों की बुनियादी जरूरतें भी पूरी नहीं हो पा रही हैं।
जनजीवन अस्त-व्यस्त
सेनाओं के बीच छिड़े गृहयुद्ध के कारण आम जनता की स्थिति खराब होती जा रही है। देश में लगातार हो रहे हमलों की वजह से लोग अपनी आधारभूत आवश्यकताओं को भी पूरा नहीं कर पा रहें हैं। इसका सबसे बुरा प्रभाव वहां की महिलाओं एवं बच्चों पर पड़ा है। महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न के मामलों में तेजी से उछाल आया है। हिंसा का खामियाजा बच्चों को भी भुगतना पड़ रहा है। रिपोर्ट के अनुसार अब तक दर्जनों बच्चों की मौत हो चुकी है और करीब 50 से अधिक बच्चे घायल हुए हैं। हमलों के कारण कई अस्पतालों को बंद कर दिया गया है और जो अस्पताल अभी सेवा प्रदान कर रहे हैं वे भी बंद होने के कगार पर हैं। हिंसा के कारण उसके पड़ोसी राज्यों ने सीमाओं को भी बंद कर दिया है। ऐसे में मरने वालों की संख्या में बढ़ोतरी होती जा रही है। हमले में घायल हुए लोगों के साथ-साथ गर्भवती महिलाओं को भी उपचार मिलना मुश्किल हो रहा है। वहां के स्थानीय लोगों के साथ ही इन परेशानियों का सामना वहां रहने वाले विदेशियों को भी करना पड़ रहा है।
सूडान में फंसे विदेशी नागरिक
वर्तमान में सूडान में भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, बुल्गारिया, कुवैत, कतर, यूएई, मिस्र, ट्यूनिशिया, फिलीपींस, कनाडा और बुर्किना फासो जैसे देशों के कई नागरिक फंसे हुए हैं। जिन्हें वहां की सरकार सुरक्षित देश में वापस लाने का प्रयास कर रही हैं।
भारत : सूडान में भारत के करीब 3 हजार से ज्यादा नागरिक फंसे हैं जो सूखी ब्रेड को टॉयलेट के पानी तक से खाने को मजबूर हैं। भारत सरकार ने अपने नागरिकों को सुरक्षित वापस लाने ऑपरेशन ‘कावेरी’ की शुरुआत की है और पानी के रास्ते जहाज भेजे हैं। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सूडान से भारतीयों की निकासी के लिए चलाए जा रहे अभियान के बारे में ट्वीट करते हुए बताया है कि ‘सूडान में फंसे हमारे नागरिकों को वापस लाने के लिए ऑपरेशन कावेरी चलाया जा रहा है। हम सूडान में अपने लोगों की सहायता करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’
कनाडा : कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने बीते रविवार को अपने देश के सभी राजनयिकों सहित अपने नागरिकों को सकुशल सूडान से बाहर निकाल लिया है। इसके साथ ही अपने अभियान को निलंबित भी कर दिया है।
सऊदी अरब : सऊदी अरब ने अपने देश के राजनयिकों और अधिकारियों के साथ करीब 150 से अधिक लोगों को सूडान से सुरक्षित बाहर निकाल लिया है। यह अभियान सऊदी की नौसेना बलों द्वारा चलाया गया था।
ब्रिटेन : ब्रिटेन की सेना ने सूडान से अपने दूतावास के कर्मचारियों और उनके परिवारों को सफलतापूर्वक सुरक्षित अपने देश में वापसी करा दी है। नागरिकों को सूडान से वापस लाने के बाद ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने ट्वीट करते हुए कहा कि ‘यूके सशस्त्र बलों ने सूडान से ब्रिटिश राजनयिकों और उनके परिवारों की एक जटिल और तेजी से निकासी पूरी कर ली है।’
अमेरिका : संयुक्त राज्य अमेरिका के लगभग 16 हजार नागरिक सूडान में फंसे हैं। जिनमें से अभी तक अमेरिकी सेना करीब एक हजार नागरिकों को ही बाहर निकाल पाई है। माना जा रहा है कि कई हजार अमेरिकी नागरिक सूडान में अब भी फंसे हैं।
फ्रांस : फ्रांस की सेना ने भी कुछ डच नागरिकों के साथ अपने नागरिकों को निकालने की सूचना दी है। लेकिन अभी भी फ्रांस के सैकड़ों नागरिक सूडान में ही फंसे हुए हैं।
जर्मनी : जर्मनी की सेना ने इस बात की पुष्टि की है कि 101 लोगों को लेकर एक विमान सूडान से रवाना हुआ था। इसी तरह, इटली, स्पेन, अर्जेंटीना, कोलंबिया, पुर्तगाल, मैक्सिको, आयरलैंड, वेनेजुएला और पोलैंड सूडान से अन्य विदेशी नागरिकों के साथ अपने नागरिकों को निकालने में जुटे हैं।
शुरू हो चुका है भारत का ऑपरेशन ‘कावेरी’ सूडान में भारत के 3 हजार से ज्यादा नागरिक फंसे हैं जिनमें से अब तक 2 हजार नागरिकों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया गया है। वहीं 600 से अधिक भारतीयों की वतन वापसी हो चुकी है। बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार लीबिया, जॉर्डन, माल्टा में भारत के राजदूत रहे अनिल त्रिगुणायत ने बताया है कि ‘सूडान की सेना और अर्ध सैनिक बल आपस में ही युद्ध लड़ रहे हैं। दोनों ही एक दूसरे के शिविरों व अन्य जगहों पर हमले कर रहे हैं। जिसका शिकार आम जनता भी हो रही है। इन हमलों में एक भारतीय की मौत हो गई, एक अमेरिकी नागरिक की भी मौत हो गई है।
वे कहते हैं कि ‘भारत ने इससे पहले भी विदेश में फंसे भारतीयों को बाहर निकालने के लिए कई ऑपरेशन किए हैं। इससे पहले भारतीय सेना ने इराक से एक लाख भारतीयों को निकाला था। लीबिया में जब जब हिंसा भड़की थी तब भी भारत द्वारा दो से तीन बार में भारतीयों को सुरक्षित वापस लाया गया था। यूक्रेन में फंसे भारतीयों को भी आसानी से भारत लाया जा सका था। इसका कारण यह है यूक्रेन और रूस की तरह पहले के सभी युद्ध दो देशों के बीच थे। यूक्रेन में जब ऑपरेशन शुरू होने की बात हुई तो सत्ता यूक्रेन के पास थी और एग्जिट रूट रूस के पास थे। ऐसे में भारत ने जल्द से जल्द दोनों ही तरफ से बात की और अपने लगभग 20 हजार लोगों को निकाल लिया था। इसके पड़ोसी देशों में सरकारें मजबूत थीं। लेकिन सूडान में वहां की सेनाएं ही आपस में लड़ रही हैं और ऐसे में मानवीय गलियारा बनाने का काम मुश्किल हो जाता है। इस समय अमेरिका, ब्रिटेन सरकार या भारत सरकार सबके लिए यही मुसीबत थी कि जिन दो जनरल के बीच लड़ाई हो रही है उन दोनों को बचाव ऑपरेशन के लिए राजी करना खुद में मुश्किल काम था।’