[gtranslate]
world

सवालों में ‘ग्लोबल फायर पावर’

हाल ही में दुनिया के 145 देशों की क्षमताओं को लेकर रक्षा संबंधी डेटा रखने वाली वेबसाइट ‘ग्लोबल फायर पावर’ ने सैन्य ताकत का विश्लेषण कर रैंकिंग जारी की है। जिसमें रूस इस साल भी दूसरे नंबर पर कायम है।  खास बात यह है कि पिछले साल भी टॉप फोर देशों की रैंकिंग यही थी। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि जो रूस एक साल से भी ज्यादा समय से जारी जंग में यूक्रेन को नहीं जीत पाया वह दूसरे नंबर पर कैसे बरकरार है ? यही नहीं खुद उसके ही वैगनर ग्रुप ने पुतिन की मिलिट्री पावर से पर्दा तब हटा दिया जब  वैगनर की सेना ने पुतिन के खिलाफ विद्रोह कर मास्को पर कब्जा करने के लिए मार्च किया था। 

किसी भी देश की ताकत का अंदाजा उसकी सैन्य क्षमता से लगाया जाता है। आधुनिकता के इस दौर में जिस देश की सेना जितनी ज्यादा अत्याधुनिक और संख्या बल में सबसे आगे होगी वो दुनिया में सबसे अधिक ताकतवर माना जाएगा। हाल ही में रक्षा संबंधी डेटा रखने वाली वेबसाइट ग्लोबल फायर पावर की ‘सैन्य ताकत सूची-2023’ में दुनिया के 145 देशों की सेनाओं की क्षमताओं का विश्लेषण कर रैंकिंग जारी की गई है।

इस रिपोर्ट के अनुसार, इंडेक्स में सबसे ताकतवर सेना के मामले में अमेरिका शीर्ष स्थान पर है। दूसरे नंबर पर रूस, तीसरे पर चीन और पांचवें पर ब्रिटेन है। भारत का चौथा स्थान बरकरार है। इस लिस्ट में दक्षिण कोरिया छठे नंबर पर है। पाकिस्तान सातवें नंबर पर है। आठवें पर जापान, नौवें पर फ्रांस और दसवें पर इटली है। गौर करने वाली बात यह है कि पिछले साल भी टॉप फोर देशों की रैंकिंग यही थी और इस बार भी कोई बदलाव नहीं है। बाकी देशों के इतर हर बार रूस का दूसरे नंबर पर बने रहना आश्चर्यजनक है। ऐसा इसलिए क्योंकि पिछले हफ्ते रूस में वैगनर ग्रुप की बगावत ने पुतिन की मिलिट्री पावर से परदा हटा दिया है । इसके साथ ही तस्वीर बदल गई है। बावजूद इसके रैंकिंग में रूस दूसरे स्थान पर बना हुआ है।

एक बार को तो रूस के शक्तिशाली राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन पर हमला कर अमेरिका, यूरोप और नाटो देशों को खुली चुनौती देकर पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया था। लेकिन उन्हीं पुतिन को उनके एक सहयोगी ने 24 घंटे में बड़ा झटका दे दिया। वैगनर की सेना ने 24 जून को पुतिन के खिलाफ विद्रोह कर दिया और मॉस्को पर कब्जा करने के लिए मार्च किया। वैगनर सेना के प्रमुख येवगेनी प्रिगोझिन ने घोषणा की कि वह पुतिन के तख्तापलट के बाद ही मरेगें । लेकिन बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको के हस्तक्षेप के बाद मामला टल गया और येवगेनी ने अपनी सेना को वापस भेज दिया। इस सबके बाद भी सैन्य ताकत में रूस दूसरे नंबर पर बना हुआ है।

वैसे तो देशों की सैन्य ताकत का मूल्यांकन 60 से अधिक फैक्टर के आधार पर तय किया जाता है। ग्लोबल फायर पावर के अनुसार, यह सैन्य इकाइयों, आर्थिक स्थिति, क्षमताओं और भूगोल को देखकर किसी देश की शक्ति सूचकांक निर्धारित करता है। किसी देश की कुल मारक क्षमता को पावर इंडेक्स कहा जाता है। इसमें सिर्फ सैन्य मारक क्षमता शामिल नहीं है। टॉप रैंकिंग वाले देशों में अमेरिका का पावर इंडेक्स वैल्यू 0.0712 है। रूस का मान 0.0714 है. तथा चीन का मान 0.0722 है। भारत की बात करें तो इसकी रैंकिंग वैल्यू 0.1025 है। पाकिस्तान का मान 0.1694 है।

डाटा वेबसाइट का कहना है कि हमारा अनोखा इन-हाउस फॉर्मूला छोटे और अधिक तकनीकी रूप से उन्नत देशों को बड़ी और कम-विकसित शक्तियों के साथ प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति देता है।

दुनिया के सबसे शक्तिशाली दस देश

 

अमेरिका
रूस
चीन
भारत
यूनाइटेड किंगडम (ब्रिटेन)
दक्षिण कोरिया
पाकिस्तान
जापान
फ्रांस
इटली

दुनिया में सबसे कम शक्तिशाली दस देश

 

भूटान
बेनिन
मोलदोवा
सोमालिया
लाइबेरिया
सूरीनाम
बेलीज
केन्द्रीय अफ्रीकी गणराज्य
आइसलैंड
सिएरा लियोन

रिपोर्ट में 145 देशों को सूचीबद्ध किया गया है और प्रत्येक देश की साल-दर-साल रैंकिंग में बदलाव की तुलना भी की गई है।

सूची में क्या क्या बदलाव

इस सूची में शीर्ष चार देश वैसे ही बने हुए हैं जैसे वे ग्लोबल फायरपावर सूची में 2022 में थे। हालांकि, ब्रिटेन पिछले साल आठवें स्थान से इस साल पांचवें स्थान पर आ गया है। दक्षिण कोरिया पिछले साल की तरह छठे स्थान पर बना हुआ है। पाकिस्तान ने इस साल शीर्ष 10 में सातवें स्थान पर एंट्री मारी है। जापान और फ्रांस पिछले साल पांचवें और सातवें स्थान पर थे, इस साल वे आठवें और नौवें स्थान पर आ गए हैं। रूस भी अपने दूसरे स्थान पर कायम है।

यूक्रेन युद्ध के बावजूद दूसरे स्थान पर रूस

पिछले साल फरवरी में मास्को द्वारा अपने पड़ोसी देश यूक्रेन पर आक्रमण करने के लिए अपना ‘विशेष अभियान’ शुरू करने के बाद यूक्रेनी सेना पर काबू पाने में अपनी स्पष्ट असमर्थता को देखते हुए रूस के दूसरे स्थान पर बने रहने को लेकर सवाल उठ रहे हैं। यूक्रेन के एक ट्विटर यूजर ने कहा, ‘रूस के पास यूक्रेन में दूसरी सबसे शक्तिशाली सेना है, दुनिया में नहीं।’ एक अन्य यूजर ने पूछा कि क्या ‘रूस वास्तव में अभी भी सूची में दूसरे स्थान पर है’।

रूस में वैगनर ग्रुप पुतिन के लिए बना चुनौती

गौरतलब है कि रूस के राष्ट्रपति पुतिन अपनी ही प्राइवेट मिलिट्री कंपनी वैगनर ग्रुप के लीडर येवगेनी प्रिगोझिन को काबू नहीं कर सके। भाड़े के लड़ाकों के ग्रुप वैगनर को पुतिन ही बढ़ावा देते आ रहे थे। लेकिन इस ग्रुप ने बगावत कर दी। उसके कदमों का अंदाजा लगा पाने में रूसी खुफिया तंत्र जिस तरह नाकाम रहा है, वह देखकर दुनिया को हैरानी हो रही है। खासतौर से उन रिपोर्ट्स को देखते हुए, जिनमें कहा गया कि अमेरिका को वैगनर की योजना की जानकारी आधे जून से ही थी। यह बगावत यूक्रेन सेना को मिली कुछ सफलताओं के बाद हुई है। यूक्रेन की सफलता से रूसी फौज की कमजोरियां सामने आ गईं। पुतिन पर सवाल उठने लगे कि अब रूसी प्रशासन पर पुतिन की पूरी पकड़ है या नहीं।

क्या है वैगनर ग्रुप

वैगनर ग्रुप को आधिकारिक तौर पर पीएमसी वैगनर कहा जाता है। यह एक रूसी अर्धसैनिक संगठन है जिस पर देश का कोई भी कानून लागू नहीं होता है। यह वास्तव में एक निजी सैन्य कंपनी और भाड़े के सैनिकों का एक नेटवर्क है। इस समूह की पहचान पहली बार 2014 में पूर्वी यूक्रेन में संघर्ष के दौरान की गई थी। उस समय यह एक गुप्त संगठन था जो मुख्यतः अफ़्रीका और मध्य पूर्व में सक्रिय था। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, यह संगठन यूक्रेन अभियान का अहम हिस्सा बन गया है। वैगनर समूह को पूर्वी यूक्रेन के बखमुत शहर पर रूसी कब्जे का श्रेय भी दिया जाता है।

कई मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, इस समूह में रूस की विशिष्ट रेजिमेंटों और विशेष बलों के लगभग 5 हजार लड़ाके शामिल हैं। प्रिगोझिन के नेतृत्व में वैगनर का नाम इसके पहले कमांडर दिमित्री उत्किन के नाम पर रखा गया था। वह रूसी सेना विशेष बल के सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट कर्नल थे। वैगनर उनका उपनाम था। वैगनर ने जल्द ही एक क्रूर और निर्दयी संगठन के रूप में अपनी छवि स्थापित कर ली। पश्चिमी देशों और संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के विशेषज्ञों ने वैगनर के सैनिकों पर मध्य अफ्रीकी गणराज्य, लीबिया और माली सहित पूरे अफ्रीका में मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया हुआ है।

येवगेनी प्रिगोझिन कौन हैं?

येवगेनी प्रिगोझिन का जन्म 1961 में लेनिनग्राड (सेंट पीट्सबर्ग) में हुआ था। 20 साल की उम्र में मारपीट, डकैती और धोखाधड़ी के कई मामलों में प्रिगोझिन को 13 साल की सजा सुनाई हुई थी। लेकिन 9 साल बाद ही वह रिहा कर दिए गए थे। रिहा होने के बाद प्रिगोझिन ने हॉट डॉग बेचने के लिए स्टॉल लगाना शुरू कर दिया। वह यह बिजनेस ऐसा चला कि लोग रेंस्तरा के बाहर लाइन लगाकर इंतजार करने लगे। लोकप्रियता बढ़ी तो खुद रूसी राष्ट्रपति पुतिन भी प्रिगोझिन के रेस्तरां में आने लगे। यही वो दौर था जब येवगेनी पुतिन के करीब आए. कहा जाता है कि पुतिन ने ही येवगेनी प्रिगोझिन को एक प्राइवेट सेना बनाने के लिए कहा था। जिसमें जेल से रिहा हुए कैदियों को शामिल किया गया। येवगेनी को “मीटग्राइंडर” भी कहा गया।

You may also like

MERA DDDD DDD DD
bacan4d toto
bacan4d toto
Toto Slot
slot gacor
slot gacor
slot toto
Bacan4d Login
bacan4drtp
situs bacan4d
Bacan4d
slot dana
slot bacan4d
bacan4d togel
bacan4d game
slot gacor
bacan4d login
bacantoto 4d
toto gacor
slot toto
bacan4d
bacansport
bacansport
bacan4d
bacan4d
bacan4d
bacan4d
bacan4d
bacan4d
bacan4d
slot gacor
slot77 gacor
Bacan4d Login
Bacan4d toto
Bacan4d
Bacansports
bacansports
slot toto
Slot Dana
situs toto
bacansports
bacan4d
bacan4d
bacan4d
bacan4d
bacan4d
slot gacor
bacan4d
bacan4d
bacan4d online
bandar slot
bacan4d slot toto casino slot slot gacor