भारत में समलैंगिक संबंधो पर सुनवाई के बाद अब पड़ोसी देश भी समलैंगिक संबंधों को पहचान देने के लिए कदम बढ़ा रहे हैं। हाल ही में नेपाल के सर्वोच्च न्यायलय ने एक अंतरिम आदेश जारी कर समलैंगिक जोड़ो को अपनी शादी का पंजीकरण कराने की इजाजत दे दी है। सर्वोच्च न्यायलय के इस आदेश के बाद एलजीबीटीक्यू समुदाय के लोग अपनी शादी का रजिस्ट्रेशन करा सकेंगे।
नेपाल में तीसरे लिंग और समलैंगिकों के पक्ष में सक्रिय गैर-सरकारी संगठन नील हीरा समाज की अध्यक्ष पिंकी गुरुंग ने सर्वोच्च न्यायलय में सरकार के खिलाफ याचिका दायर की थी । जिसमें समलैंगिक जोड़े की शादी को मान्यता देने की मांग की गई थी। सर्वोच्च न्यायलय के न्यायाधीश तिल प्रसाद श्रेष्ठ की पीठ ने अंतरिम आदेश जारी करने के बाद समलैंगिक जोड़ों के लिए अपनी शादी का पंजीकरण कराने का दरवाजा खोल दिया है । कोर्ट ने आदेश जारी कर शादी को पंजीकृत करने को कहा, क्योंकि नेपाल के संविधान में लिंग पहचान के साथ नेपाली नागरिकता प्रमाणपत्र प्राप्त करने का प्रावधान है। हालांकि नेपाल के कई राजनीतिक दल सुप्रीम कोर्ट इस फैसले का विरोध कर रहे हैं।
गौरतलब है कि नेपाल के अतिरिक्त भारत का एक और पडोशी देश है जिसने इसी वर्ष मई महीने में समलैंगिक संबंध को अपराध से बाहर कर दिया है। श्रीलंका का सर्वोच्च न्यायालय ने भी इसी साल मई महीने फैसला सुनाया था कि समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर करने वाला विधेयक “संविधान के साथ असंगत नहीं है”, जिससे इस विषय पर संसदीय बहस और मतदान का रास्ता साफ हो गया था। जिसके बाद संसदीय अध्यक्ष महिंदा यापा अबेवर्धने ने घोषणा करते हुए कहा था कि सर्वोच्च न्यायालय की राय है कि संपूर्ण विधेयक या उसका कोई भी प्रावधान संविधान के साथ असंगत नहीं है। श्रीलंका की सर्वोच्च न्यायलय ने अपने फैसले के दौरान भारत में ऐतिहासिक नवतेज सिंह जौहर बनाम भारत संघ मामले का हवाला दिया था , जिसमें समलैंगिक संबंधों सहित वयस्कों के बीच सभी सहमति से यौन संबंध को अपराध की श्रेणी से हटा दिया गया था क्योंकि अदालत ने ऐतिहासिक रूप से धारा 377 को रद्द कर दिया था।