अमेरिका के बहुचर्चित स्कैंडलों में शामिल वाटरगेट स्कैंडल के मास्टरमाइंड जी गार्डन लिड्डी का निधन हो गया है। लिड्डी 90 वर्ष के थे, उनका निधन उनकी बेटी के घर वर्जीनिया में हुआ। उनकी मौत के बारे में सूचना उनके बेटे थॉमस लिड्डी ने दी, किस कारण से उनकी मौत हुई अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं हुई है। एफबीआई के पूर्व एजेंट और सेना के दिग्गज लिड्डी को वाटरगेट चोरी की साजिश रचने और अवैध रुप से वायर टैपिंग का दोषी ठहराया गया था। इसी स्कैंडल के कारण उन्हें चार साल और चार महीने जेल में बिताने पड़े थे। जेल के रिहाई के बाद उन्होंने एक रेडियो टॉक शो होस्ट किया, उनका यह शो काफी ज्यादा विवादस्पद रहा। लेकिन इस शो में वह काफी मशहूर भी हुए। लिड्डी ने एक सुरक्षा सलाहकार , लेखक और अभिनेता के रुप में भी काम किया।
जब लिड्डी के स्कैंडल के बारे में खुलासे हुए तो उस समय के अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था। उन्होंने चुनाव जीतने के लिए कुछ लोगों को डेमोक्रेटिक पार्टी के नेशनल कमेटी के ऑफिस यानी वारटगेट होटल काम्प्लेक्स की जासूसी का काम सौंपा था। कहा जाता है कि यह लिड्डी का ही आईडिया था। अमेरिकी कोर्ट ने अपने आदेश में रिचर्ड निक्सन को कहा था कि वह सारे टेप जांच एजेंसियों को सौंपे। मुख्य न्यायाधीश वॉरेन ई बर्गर ने राष्ट्रपति के विशेषाधिकार को नकारते हुए कहा कि एक आपराधिक मामले मे सबूत के तौर पर टेपों की ज़रूरत है।
क्या था मामला?
दरअसल यह मामला 1972 के राष्ट्रपति चुनाव के दौरान डेमोक्रेटिक पार्टी के दफ्तर में चोरी का है। लेकिन यह मामला सिर्फ चोरी का नहीं था, बल्कि चोरी करने वाले ख़ुफ़िया कागज़ातों की फ़िल्म बना रहे थे और उनके दफ़्तर में जासूसी के लिए उपकरण लगा रहे थे। रिकार्डिंग डिवाइस लगाने का उनका मकसद था, डेमोक्रेट्स के नेताओं की बातचीत रिकॉर्ड करना। कुछ दिनों बाद इन चोरों को सूचना मिली की रिकार्डिंग डिवाइस सही तरीके से काम नहीं कर रहे। जब चोर वहां दोबारा टेक्नीकल प्रॉब्लम ठीक करने गए। बिल्डिंग के बहुत से दरवाजों पर लॉक के पास टेप लगी हुई थी। आपने ये नोटिस किया होगा कि दरवाजा कई बार बंद करने पर आवाज करता है। रात को दरवाजा आवाज न करे इसलिए सफाई कर्मचारी ऐसी टेप लगाते थे। चोरों ने वैसी ही टेप ऑफिस के दरवाजे पर लगा दी। पहरा देने वाले गार्ड ने उस टेप को निकाल दिया। जब गश्त के अगले राउंड पर वो आया तो देखा, टेप फिर से दरवाजे पर है। इस बार उसका दिमाग ठनका। क्योंकि टेप हमेशा सफाई कर्मचारी लगाते थे। इतनी रात को कोई था नहीं, तो फिर टेप लगाई किसने? उसे डाउट हुआ और उसने तुरंत पुलिस को खबर कर दी। आनन-फानन पुलिस में वहां पहुंची और चोर पकड़े गए। जब रिकार्डिंग डिवाइस लगाने वाले लोगों को पुलिस ने पकड़ा तो उस समय वह टेलीफोन से छेड़छाड़ कर रहे थे। पकड़े गए चोरों के पास से 10 मिलियन कैश और कुछ बिल्स मिले। चोरी की यह घटना प्रसिद्ध अमेरिकी अखबार वॉशिग्टन पोस्ट में छपी, और इस खबर की छानबीन न्यूजरुम के दो पत्रकार बॉब वुडवर्ड और कार्ल बर्नस्टीन कर रहे थे। कहते है ना पत्रकार के गोपनीय सूत्र होते है वैसे ही इस मामले में पत्रकारों के लिए गोपनीय सूत्र बना डीप थ्रोट नाम का आदमी। डीप थ्रोट ने ही सारी सच्चाई इन पत्रकारों को बताई, यह डीप थ्रोट कोई और नहीं बल्कि एफबीआई के डिप्टी डायरेक्टर विलियम मार्क फैल्ट थे। जो इन दोनों पत्रकारों को सारी जानकारी देता था।
जनवरी 1973 में सभी कैदियों को सजा सुनाई गई। लेकिन उनमें से दो कैदी नाखुश थे। पांच कैदियों में से दो पहले सीआईए एजेंट थे। जेम्स डब्ल्यू मैकॉर्ड और यूजेनियो मार्टिनेज़। मैकॉर्ड अब बलि का बकरा नहीं बनना चाहता था। इसलिए चुप रहने के ज्यादा पैसे मांगने लगा। जैसे ही सजा सुनाई गई, मैकॉर्ड ने जज के नाम एक चिट्ठी लिख दी। उस में ये साफ-साफ बता दिया कि इस स्कैंडल में रिपब्लिकन पार्टी के लोग शामिल हैं। पहले मीडिया इस मामले को हल्के में ले रहा था। मगर जैसे ही ये चिट्ठी बाहर आई, मीडिया कार्रवाई के लिए निक्सन सरकार पर दबाव डालने लगा। जुलाई 1973 को निक्सन के सबसे भरोसेमंद आदमी एलेक्जैंडर बटरफिल्ड को सिनेट में लाया गया। उसने बताया कि व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस में फोन पर की जा रही बातें रिकॉर्ड की जा रही है। इसे खुद निक्सन ने 1971 में लगवाया था।
इसमें वायर टैपिंग का यूज किया गया था। इस तकनीक में फोन पर एक डिवाइस फिक्स किया जाता है। इस डिवाइस में बातें रिकॉर्ड होती हैं. इस तकनीक के पीछे जी. गॉर्डन लिड्डी का दिमाग था। ये प्रेजीडेंट की रीइलेक्शन कमेटी के फाइनेंस काउंसल थे। इतना बड़ा काम ये अकेले नहीं कर सकते थे। उनके इस प्लान को हरी झंडी दिखाई हाऊस काउंसल जॉन डीन और अटॉर्नी जनरल जॉन मिशेल ने। इस मामले की कार्रवाई के दौरान इन लोगों को ‘क्रीप’ की उपाधि दी गई।
जुलाई 27 से 30 के बीच हाउस जुडिशियरी कमेटी ने निक्सन पर महाभियोग लगाया। न्यायिक मामलों में दखल देने, अपनी शक्तियों का गलत इस्तेमाल करने और गवाही देने के लिए हाउस ऑफ रिप्रेजेंटिव के सामने न आने के लिए तीन मुकदमे दायर किए। अब निक्सन को लगने लगा कि इतने बड़े पद पर होने के बावजूद वो कुछ नहीं कर सकते। उनके आगे रिजाइन देने के अलावा और कोई रास्ता न बचा। उन्होंने टीवी पर सबके सामने 8 अगस्त 1974 को रिजाइन दिया। उनके बाद प्रेजीडेंट जिराल्ड फोर्ड बने जो उस समय वाइस प्रेजीडेंट थे। निक्सन की वॉटरगेट स्कैंडल में शिरकत साबित तो न हो सकी मगर वॉटरगेट की जांच को रोकने की बहुत सी कोशिशें उन्होंने की थी. जांच शुरू होने के एक हफ्ते बाद उन्होंने सीआईए को एफबीआई की जांच रोकने के लिए कहा था। यह स्कैंडल पत्रकारिता के लिए मील का पत्थर साबित हुआ,और पत्रकारिता को नए पैमाने प्रदान किए।