यूरोप के देशों में इस्लाम की धार्मिक पुस्तक कुरान को जलाए जाने की घटनाओं का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। स्वीडेन के बाद अब डेनमार्क में भी एक बार फिर कुरान की प्रति जलाई गई। जिसके कारण दुनियाभर के इस्लामिक देश आक्रोश में हैं। स्कैंडिनेवियाई देशों में सार्वजनिक रूप से कुरान जलाने के प्रचलन पर मुस्लिम देशों सऊदी अरब, तुर्की, संयुक्त अरब अमीरात, ईरान, मोरक्को, कतर और यमन में विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं।
स्कैंडिनेविया प्रायद्वीप में उत्तरी यूरोप के आने वाले देशों को स्कैंडिनेवियाई देश कहते हैं इनमें नॉर्वे, स्वीडन व डेनमार्क आते हैं। इन्हीं देशों में शामिल डेनमार्क तो इसके लिए कानून बनाने पर विचार कर रहा है। कुरान के सार्वजनिक अपमान की घटनाओं के बाद स्कैंडिनेवियाई देशों में ही नहीं, बल्कि सभी मुस्लिम मुल्कों में भी यह सवाल उठ रहा है कि आखिर स्वीडन में बार-बार कुरान जलाने और उसके अपमान की घटनाओं का असल कारण क्या है?
अधिकांश पश्चिमी देशों के विपरीत, स्वीडन में ईशनिंदा से संबंधित कोई कानून मौजूद नहीं है। लेकिन पहले ऐसा नहीं था। 19वीं सदी में ईशनिंदा को एक जघन्य अपराध माना जाता था जिसके लिए मौत की सजा दी जाती थी, लेकिन जैसे-जैसे देश धर्मनिरपेक्षता की ओर बढ़ा, ईशनिंदा कानूनों में छूट दी जाने लगी और आखिरी बार इस कानून को 1970 में खत्म कर दिया गया था।
कई मुस्लिम देशों द्वारा स्वीडन सरकार से इस मामले में कार्रवाई की मांग की गई है। हालांकि यह पुलिस को तय करना है कि सार्वजनिक प्रदर्शन की अनुमति दी जाएगी या नहीं। ये वहां सरकार द्वारा तय नहीं किया जाता है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एक संवैधानिक अधिकार है और पुलिस ऐसे किसी भी विरोध को तभी रोक सकती है जब इससे सार्वजनिक सुरक्षा को खतरा हो। फरवरी महीने में पुलिस ने यही किया था जब कुरान जलाने से जुड़ी दो अर्जियां खारिज कर दी गई थी। इसके पीछे सुरक्षा एजेंसी का आकलन था कि ऐसी चीजों से देश में आतंकी हमले हो सकते हैं। हालांकि अदालत ने पुलिस के फैसले को पलटते हुए कहा कि सार्वजनिक प्रदर्शनों को रोकने के लिए पुलिस को खतरे के और अधिक ठोस सबूत देने होंगे।
क्या कुरान जलाना हेट स्पीच में आता है
स्वीडन में हेट स्पीच कानून धर्म, नस्ल, यौन और लिंग पहचान के आधार पर नफरत फैलाने वाले भाषण पर अंकुश लगाता है। कुछ लोगों का मानना है कि कुरान जलाना मुसलमानों के खिलाफ भड़काऊ कृत्य है, इसलिए इसे रोका जाना चाहिए। एक पक्ष का विचार यह भी है कि यह केवल मुसलमानों के ही नहीं, बल्कि इस्लाम के भी खिलाफ है, इसलिए यह धर्म की आलोचना करने के अधिकार का मुद्दा है, जो स्वतंत्र होना चाहिए। भले ही कोई इसके खिलाफ न हो।
इन घटनाओं से दुखी होकर कुछ मुसलमानों ने यह सवाल भी उठाया कि अगर किसी दूसरे धर्म की पवित्र किताबें भी जला दी जाएं तो क्या स्वीडन पुलिस इसकी इजाजत देगी? इस सवाल का जवाब जानने के लिए एक मुस्लिम व्यक्ति ने पुलिस को एक आवेदन भेजा भी और उसे इजराइली दूतावास पर तोराह और बाइबिल को जलाने के लिए बाहर प्रदर्शन की अनुमति दी जानी चाहिए। इजराइली अधिकारियों और यहूदी समुदाय ने इसकी आलोचना की, लेकिन पुलिस ने इसकी अनुमति दे दी। हालांकि जब वह व्यक्ति नियत स्थान पर पहुंचा तो उसने यह कहकर अपना मन बदल लिया कि वह एक मुस्लिम है और सभी धर्मग्रंथों को जलाने के खिलाफ है।
ईशनिंदा कानून
बहुत से देशों में ईशनिंदा कानूनी अपराध की श्रेणी में है। पियू रिसर्च सेंटर के 2019 के एक शोध के अनुसार 198 में से 79 देशों में ऐसे कानून या नीतियां हैं जो ईश्वर की निंदा को कानूनन अपराध मानते हैं। इन देशों में अफगानिस्तान, ब्रूनेई, ईरान, नाइजीरिया, पाकिस्तान और सउदी अरब जैसे देश शामिल हैं। इन देशों में ईशनिंदा पर मौत की सजा का भी प्रावधान है।
इसी तरह मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका के 20 में से 18 देशों में ईशनिंदा अपराध की श्रेणी में आता है। हालांकि यहां ज्यादातर मामलों में मौत की सजा का प्रावधान नहीं है। इराक में किसी धार्मिक तबके में पवित्र माने जाने वाले चिन्हों का अपमान करने पर तीन साल जेल की सजा होती है। अमेरिका में पहले संवैधानिक संशोधन के बाद मिले अधिकारों के तहत कुरान जलाना कानूनी तौर पर अपराध नहीं है।
अभिव्यक्ति की आजादी स्वीडन के लिए बनी मुसीबत
स्वीडन में अभिव्यक्ति की पूर्ण स्वतंत्रता है। वर्ष 1766 में स्वीडन प्रेस स्वतंत्रता कानून अपनाने वाला दुनिया का पहला देश बना। स्वीडन में भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता संविधान द्वारा संरक्षित है। स्वीडन की स्थापना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हुई है। लोकतंत्र के चार स्तंभों में से एक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता भी है। इसके अलावा, सूचना की स्वतंत्रता, प्रदर्शन की स्वतंत्रता और सभा की स्वतंत्रता स्वीडन के लोकतंत्र में केंद्रीय अधिकार हैं। व्यक्तिगत स्वतंत्रता सूचकांक में स्वीडन सर्वोच्च स्थान पर है। व्यक्तिगत स्वतंत्रता सूचकांक में नीदरलैंड (9.28) के साथ स्वीडन की रैंकिंग (9.45) सर्वोच्च है। मानव स्वतंत्रता सूचकांक के अनुसार 2020 में संयुक्त राज्य अमेरिका 17वें स्थान पर था। कई राजनीतिक जानकारों का मानना है कि दुनियाभर में इस्लाम के सताए हुए लोग इसके खिलाफ आवाज उठाने लगे हैं। कोई कुरान में संशोधन की मांग कर रहा है तो कोई इसे दुबारा लिखे जाने की। लेकिन क्या इसके पन्ने फाड़ना-जलाना, कुरान और इस्लाम के खिलाफ विरोध का सही तरीका है। ये एक बड़ा सवाल है जो दुनियाभर के इस्लामिक देशों में गूंज रहा है।
कब कब जलाई गई कुरान
● फरवरी 2012 में अफगानिस्तान के बग्राम हवाई अड्डे में अमेरीकी सैनिकों ने कुरान की प्रतियां जला दी थी। इसके बाद दंगे भड़क गए और दो अमेरिकी सैनिकों समेत 30 लोगों की मौत हो गयी। घटना की जांच के बाद खुलासा हुआ था कि कुरान की 53 प्रतियां और 162 अन्य धार्मिक किताबों को एक भट्टी में जला दिया गया था। दरअसल, सैनिकों की हिरासत में रखे कैदी इन किताबों का उपयोग गुप्त संदेश भेजने के लिए कर रहे थे।
● 2017 के बाद रसमुस पेलुडान ने स्ट्रैम कुर्स पार्टी की स्थापना की थी। वह इस्लाम और गैर-पश्चिमी अप्रवासी लोगों के खिलाफ प्रचार करती है। तभी से डेनमार्क, स्वीडन, नॉर्वे, फिनलैंड और आइसलैंड में कुरान का अपमान बढ़ने लगा है। रसमुस पेलुडान एक डेनिश-स्वीडिश राजनीतिज्ञ और वकील हैं। वह राजनीतिक दल हार्ड लाइन के नेता हैं। रसमुस पेलुडान, मशहूर कवि टाइन पेलुडान एवं लेखक मार्टिन पेलुडान के बड़े भाई भी हैं।
● पेलुडान आमतौर पर अपनी सार्वजानिक रैलियों में कुरान को सरेआम जलाते हैं अथवा उसका अपमान करते रहते हैं। 28 अगस्त 2020 में पेलुडान ने एक प्रदर्शन के दौरान कुरान की प्रति को जमीन में फेंका और आग लगा दी। इसके बाद पूरे देश में दंगे भड़क गए और दुनिया में स्वीडन की किरकिरी हो गयी।
● अप्रैल 2022 में फिर से पेलुडान ने एक रैली के दौरान स्टॉकहोम में कुरान को जला दिया। इसके बाद भी स्वीडन में दंगे भड़क गए थे। इस दंगे में कई सरकारी गाड़ियों और बिल्डिंगों में आग लगा दी गई। रॉयटर्स के मुताबिक 40 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया। कम-से-कम 104 पुलिस अधिकारी और 14 अन्य लोग घायल हो गए। 20 से अधिक वाहन क्षतिग्रस्त या नष्ट हो गए।
● 21 जनवरी 2023 को फिर से रसमुस पेलुडान ने स्टॉकहोम में तुर्की दूतावास के सामने एक प्रदर्शन आयोजित करने के लिए स्वीडन पुलिस से अनुमति मांगी थी। अनुमति मिलने पर प्रदर्शन किया और कुरान में आग लगाई गई और वीडियो शेयर कर दिया।
● मार्च 2023 में डेनमार्क में एंटी-मुस्लिम दक्षिणपंथी समूह के सदस्यों ने कुरान में आग लगा दी थी। इस दौरान समूह के सदस्यों ने अपने प्रदर्शन को फेसबुक पर लाइव प्रसारण भी किया था।