[gtranslate]
world

फ्रांस कसने जा रहा है कट्टरपंथियों पर नकेल

फ्रांस जिसे लिबरल्स का मसीहा देश भी कहा जाता है। यह देश पिछले कई महीनों से इस्लामिक कट्टरपंथियों की चपेट में आ गया है। वर्ष 2020 में वहां पर इस्लामिक कट्टरपंथियों ने ऐसी घटनाओं को अंजाम दिया, जिसकी विश्वस्तर पर निंदा हुई। अब फ्रांस सरकार इस्लामिक कट्टरपंथियों पर नकेल कसने के लिए एक कानून ला रही है। इस नए कानून के तहत पुलिस जब चाहे तब मदरसों और मस्जिदों को बंद कर सकती है। इतना ही नहीं जिस तरह भारत सरकार ने ट्रिपल तलाक पर बैन लगाया है उसी तरह फ्रांस में भी बहुविवाह और जबरन विवाह करने को अपराध घोषित किया जाएगा। इस नए कानून को संसद के निचले सदन ने धर्मनिरपेक्ष राज्य में धार्मिक कट्टरता को खत्म करने के लिए भारी बहुमत से मंजूरी दी है।

La Republique En Marche फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रो की पार्टी है, इस पार्टी ने फ्रांस में कानून के इस मसौदे को लेकर फ्रांस में जगह-जगह रैलियां की। जिसके बाद फ्रांस की नेशनल असेंबली में हुई वोटिंग में कानून के पक्ष में 347 वोट पड़े, तो वहीं इसके विपक्ष में 151 वोट पड़े। निचले सदन से पास होने के बाद विधेयक को संसद के ऊपरी सदन में भेजा जाएगा। जिस तरह भारत में कोई भी विधेयक कानून में तब तब्दील होता है जब उसे संसद के दोनों सदनों में पास कर दिया जाता है उसी तरह फ्रांस में भी संसदीय प्रणाली है। लेकिन इस कानून को संसद के ऊपरी सदन से पास करवाने में मुश्किल आ सकती है, क्योंकि संसद के ऊपरी सदन में मैक्रो की पार्टी के पास बहुमत नहीं है। लेकिन फिर भी कहा जा रहा है कि इस्लामिक कट्टरवाद को रोकने के लिए इस कानून को ऊपरी सदन में भी मंजूरी मिल सकती है।

हाल ही में फ्रांस में मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करने वाले 8 संगठनों से एक चार्टर पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा गया, लेकिन कानून न होने के कारण उन्होंने हस्ताक्षर करने से मना कर दिया। क्योंकि चार्टर में आंतकवाद को खत्म करने और धार्मिक कट्टरता को रोकने के लिए उपबंध शामिल थे। इसी को देखते हुए ही फ्रांस सरकार ने इस कानून को लाने की कवायद शुरू की है। राष्ट्रपति मैक्रो ने अपने एक बयान में कहा कि इस नए कानून से धार्मिक कट्टरता को खत्म किया जाएगा और साथ ही आंतकवाद, कट्टरपंथ जैसी धटनाओं पर रोक लगेगी। कानून बनने से रोकने के लिए कई इस्लामिक संगठनों ने इसके विरोध में राजधानी पेरिस में विरोध प्रदर्शन भी किया। उनका आरोप है कि इस कानून का सारा केंद्र बिंदु एक ही समाज के लोगों पर केंद्रित है।

30 अक्टूबर को फ्रांस के नीस शहर के चर्च में एक व्यक्ति ने चाकू से दो लोगों की हत्या और एक को गंभीर रुप से जख्मी कर दिया था। मृतकों में से एक महिला थी जिसकी उम्र तकरीबन 60 साल की थी। वह सुबह चर्च में प्रार्थना के लिए आई थी। हत्या का शिकार हुआ दूसरा व्यक्ति चर्च का ही अधिकारी था। उसका नाम विन्सेंट लोकुस था। इस धटना के कुछ दिन पहले ही फ्रांस में एक टीचर का सिर कलम इसलिए कर दिया गया था कि उनसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर चर्चा के दौरान शार्ली हेब्दों में छपा पैगंबर मोहम्मद का कार्टून दिखाया था। इसके बाद कई मुस्लिम देशों ने फ्रांस के सारे प्रोडक्ट बैन कर दिए थे। बांग्लादेश, सीरिया, अफगानिस्तान और पाकिस्तान में लोग फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के पुतले जला रहे थे। विरोध का असर भारत में भी देखने को मिला था। मध्यप्रदेश और मुंबई में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों के खिलाफ नारेबाजी की थी।

You may also like

MERA DDDD DDD DD