अफगानिस्तान के पूर्व पुलिस प्रमुख जनरल अब्दुल जलील बख्तावर तालिबान में शामिल हो गए हैं। उनका एक आतंकी संगठन में शामिल होना हैरान करने वाला है। इसकी एक वजह ये है कि रिटायर होने के बावजूद वो निजी संगठन बनाकर तालिबान से लड़ रहे थे।
जलील के तालिबान का हिस्सा बनने के बाद कुछ फोटो और वीडियो वायरल हो रहे हैं। इनमें वो सिर पर पगड़ी और गले में मालाएं पहने नजर आते हैं। जलील का तालिबान के साथ होना इस आतंकी संगठन के लिए मुनाफे का सौदा होगा। उसके प्रोपेगंडा को ताकत मिलेगी।
अमेरिका तालिबान से समझौता कर चुका है। उसके सैनिक लौटने लगे हैं। दो दशक पुरानी जंग का आलम ये है कि कहीं परिवार दुश्मन हो गए हैं तो कहीं पिता और पुत्र आमने सामने हैं। बख्तावर के दो बेटे बड़े पदों पर हैं। एक लोकल असेंबली का सदस्य है तो दूसरा डिप्टी गवर्नर।
एक बेटे की हेलिकॉप्टर क्रैश में मौत हुई थी। तब तालिबान ने उसका शव कई दिन तक अपने पास रखा था। बाद में लेनदेन के बाद लाश परिवार को सौंपी गई थी। आतंकियों ने बख्तावर को खत्म करने के लिए सुसाइड बॉम्बर भी भेजे थे। हालांकि, वो कामयाब नहीं हो पाए। रविवार को वो पुराने दुश्मन तालिबान के दोस्त बन गए।
जलील के बेटे मसूद ने पिता के तालिबान में शामिल होने की खबरों को टालने की कोशिश की। मसूद फराह में डिप्टी गवर्नर हैं। मसूद ने कहा कि मेरे पिता दो जनजातियों का विवाद सुलझाने हमारे गृह जिले बालाबोलक गए थे। बेटा चाहे जो दलील दे। लेकिन तस्वीरें कुछ और कहानी बयां करती हैं।
रविवार को जलील जब तालिबान का हिस्सा बने तो उनका स्वागत धूमधाम से हुआ। गले में तालिबानी पगड़ी और गले में कई हार नजर आए। आतंकी उनके साथ सेल्फी ले रहे थे। तालिबानी झंडे भी देखे जा सकते हैं। नारेबाजी भी हुई। सोशल मीडिया पर तस्वीरें और वीडियो आए।
अफगान गृह मंत्रालय के प्रवक्ता तारिक आर्यन ने कहा कि ये बेहद अफसोसनाक है कि एक रिटायर्ड जनरल ने शांति, सम्मान और स्थिरता की जिंदगी की बजाए दुश्मन और दहशतगर्दी को चुना।