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पाकिस्तान के कई इलाकों में आटे की भारी किल्लत, बेकरी वाले हड़ताल पर

पाकिस्तान के कई इलाकों में आटे की भारी किल्लत, बेकरी वाले हड़ताल पर

पिछले साल में पाकिस्तान में टमाटर की कमी के बाद अब उसके सामने एक नया संकट आ खड़ा हुआ है। पाकिस्तान में इस समय में गेहूं के आटे की किल्लत पैदा हो गई है। फिलहाल इमरान खान सरकार को इससे निपटने के लिए कोई हल नजर नहीं आ रहा है।

खैबर पख्तूनख्वा में आटे की कीमते बढ़ने के चलते नान कारोबार से जुड़े बेकरी वाले हड़ताल पर चले गए हैं। पुलिस ने चार बेकर्स को हिरासत में भी लिया है। बीबीसी ने अपने एक रिपोर्ट में खैबर पख्तूनख्वा प्रान्त में नानबाई एसोसिएशन के अध्यक्ष हाजी मोहम्मद के हवाले से लिखा है कि एक महीने पहले तक 85 किलोग्राम मैदा करीब चार हजार रुपये में मिला करता था।

हालांकि मौजूदा समय में इसकी कीमत बढ़कर पांच हजार के पार पहुंच गई है। हाजी मोहम्मद ने यह भी बताया है कि साल 2013 में पेशावर में 170 ग्राम आटे से बनी रोटी की कीमत दस रुपये निर्धारित की गई थी जो अभी तक नहीं बढ़ी है। करीब एक महीने पहले केंद्र सरकार ने अफगानिस्तान को आटा निर्यात किया था। जिसके कारण ही देश में आटे की किल्लत पैदा हो गई है।

मुख्य बात यह भी है कि कीमत सिर्फ आटे-मैदे की ही नहीं बढ़ी है बल्कि गैस की कीमतों पर भी भारी असर पड़ा है जिसके चलते रोटियों और नान के दाम बढ़ा है। पाकिस्तान सरकार का कहना है कि कीमत न बढ़ाई जाए। नानबाइयों की ओर से सरकार से बात करने पर 150 ग्राम आटे की रोटी का दाम 15 रुपये कर देने की मांग रखी गई है। मगर सरकार का कहना है कि रोटी का वजन 150 की जगह 170 ग्राम होना चाहिए।

पेशावर में नान एक ही तय कीमत पर नहीं बेचे जाते अधिकतर लोग 100 ग्राम के वजन के हिसाब से रोटियां बेचते है या फिर इससे भी कम पर। पाकिस्तान के पेशावर में रामपुरा गेटा एक बड़ा बाजार है। जहां आटे के बोरे तो हैं पर उसे खरीदने वाले खरीदार नहीं है। मौजूदा समय में आटे के बोरे की कीमत 11,00 रुपए की कीमत पर बेचे जा रहे हैं जो एक महीने पहले तक साढ़े आठ सौ रूपए का बेचा जा रहा था। कीमत बढ़ जाने के कारण ही अब खरीदारों में कमी बताई जा रही है।

हालांकि, एक राहत की खबर भी आई है। प्रांतीय सरकारों की ओर से कहा गया है कि पंजाब से जल्द ही खैबर पख्तूनख्वा के लिए आटे की सप्लाई होने वाली है और आटे की बढ़ी कीमतों पर काबू पा लिया जाएगा।

पाकिस्तानी अखबार डॉन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हाल ही में इमरान खान ने राज्य सरकारों को खाने की बढ़ती कीमतों और जमाखोरी पर लगाम कसने का फरमान जारी कर दिया था।

बाकी जगहों की तुलना में आटे की कीमत बलूचिस्तान में पहले से ही बढ़ी हुई है। पिछले साल के अंत में ही आटे की बढ़ती कीमतों के कारण खाद्य सचिव और खाद्य महानिदेशक को निलंबित कर दिया गया था। सरकारी प्रवक्ता लियाकत शाहवानी का कहना है कि सरकार की ओर से गेहूं और आटा संकट से उभरने की कोशिश की जा रही है।

बलूचिस्तान ही नहीं सिंध की राजधानी कराची के निवासी भी आटे की बढ़ी कीमतों का सामना कर रहे हैं। इससे भी ज्यादा गंभीर स्थिति मरुस्थलीय क्षेत्र थार में है। क्योंकि इस क्षेत्र में गेहूं की खेती नहीं होती है। यह क्षेत्र कई सालों से सूखे की मार झेल रहा है। हाल ही में यहां कुपोषण के चलते महिलाओं और बच्चों के मरने की खबर आई थी।

पिछले साल यहां बारिश जरूर हुई थी जिसके कारण बाजरे की खेती भी हुई पर टिड्डियों के आक्रमण के चलते फसल बर्बाद हो गया था। वर्तमान में यहां की राजधानी मुथी में आटे के कीमत 55 रुपये प्रति किलोग्राम की कीमत में मिल रहा है। दूसरी तरफ सीमावर्ती क्षेत्र में आने गांवो में इसकी कीमत 70 रुपये से 80 रुपये प्रति किलोग्राम है।

केंद्र सरकार ने इस मामले पर हस्तक्षेप किया है लेकिन प्रांतीय सरकारों का कहना है कि जानभूझकर यह संकट पैदा किया जा रहा है। साथ ही दावा किया गया है कि आटे-गेहूं की कमी नहीं है। फिलहाल, पंजाब सरकार की ओर से पख्तूनख्वा प्रान्त को सद्धभावना के रूप में 5,000 टन आटा प्रतिदिन भेजने का फैसला लिया गया है।

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