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किसान आंदोलन के मुद्दे पर ब्रिटिश पीएम हुए कन्फ्यूज 

भारत में किसानों के आंदोलन का मुद्दा अब विदेश में भी उठ रहा हैं इसको लेकर   बुधवार को ब्रिटिश संसद में लेबर पार्टी के सिख सांसद तनमनजीत सिंह ने एक बार फिर से यह मुद्दा उठाया. तनमनजीत सिंह ब्रिटेन में मोदी सरकार की नीतियों की आलोचना को लेकर मुखर रहे हैं. उन्होंने नागरिकता संशोधन क़ानून यानी सीएए का मुद्दा भी ब्रिटिश संसद में उठाया था. I तनमनजीत सिंह भारत में किसानों के प्रदर्शन को लेकर ब्रिटेन में काफ़ी सक्रिय हैं. उन्होंने किसानों के समर्थन में 35 अन्य सासंदों से एक पत्र पर हस्ताक्षर भी करवाए हैं. किसानों का मुद्दा उठाना तो ठीक हैं लेकिन ब्रिटिश  प्रधानमंत्री को इस मुद्दे की कोई जानकारी ही नहीं हैं

तनमनजीत सिंह ने ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की मौजूदगी में पूछा, ”भारत के कई इलाक़ों और ख़ासकर पंजाब के किसान, जो कि शांतिपूर्वक विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं उन पर वाटर कैनन और आँसू गैस के इस्तेमाल का फुटेज परेशान करने वाला है. क्या ब्रिटिश पीएम भारतीय प्रधानमंत्री को हमारी चिंताओं से अवगत कराएंगे? हम उम्मीद करते हैं कि वर्तमान गतिरोध का कोई समाधान निकलेगा. उन्हें समझना चाहिए कि शांतिपूर्वक प्रदर्शन सबका मौलिक अधिकार होता है.”जॉनसन जब जवाब देने लगे तो लगा जैसे वो बिल्कुल तैयार नहीं थे. उन्होंने कहा, ”ज़ाहिर है भारत और पाकिस्तान के बीच जो कुछ भी हो रहा है वो चिंताजनक है. यह एक विवादित मुद्दा है और दोनों सरकारों को मिलकर समाधान निकालना है.” प्रधानमंत्री का जवाब सुनते हुए तनमनजीत सिंह दंग  रह गए.

बोरिस जॉनसन के जवाब की उन्होंने ट्विटर पर आलोचना की है. तनमनजीत सिंह ने लिखा है, ”अगर हमारे प्रधानमंत्री को पता होता कि वो किस बारे में बात कर रहे हैं तो अच्छा होता.”

ब्रिटेन में एक सिख समूह के नेता गुरपतवंत सिंह ने ब्रिटिश अख़बार द गार्डियन से कहा है, ”हम इस बात से बहुत निराश हैं कि हमारे प्रधानमंत्री भारत में किसानों के आंदोलन और भारत-पाकिस्तान के बीच सीमा विवाद में कन्फ्यूज हैं. लोगों की ज़िंदगी जोखिम में है और प्रधानमंत्री को इस पर ध्यान देना चाहिए. पंजाब में हालात ठीक नहीं हैं. किसानों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन को जबरन कुचला जा रहा है.”

ब्रिटेन सरकार ने भारत में चल रहे किसान आंदोलन को लेकर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया है. फॉरन कॉमनवेल्थ एंड डेवलपमेंट ऑफिस ने इसे आंतरिक मामला बताते हुए कहा है कि ये भारत सरकार का मसला है.

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