देश में कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर किसानों का आंदोलन थम ही नहीं पा रहा है। आंदोलनकारी किसान आर-पार की लड़ाई लड़ने के मूड में हैं। सरकार द्वारा सहमति के लिए दिये गए तमाम प्रस्तावों को नामंजूर करते हुए वे देश व्यापाी अनशन कर रहे हैं। खास बात यह है कि भारत के साथ ही दुनिया के दूसरे देशों में भी किसानां के आंदोलन होने लगे हैं।
दिल्ली में आज 19वें दिन किसानोंका पूरे देश-विदेश में अनशन एवं धरना -प्रदर्शन चल रहा है। इस बीच खबर है कि दक्षिण अमेरिकी देश पेरु की राजधानी लीमा में भी किसानों का आंदोलन पूरे जोर-शोर से चल रहा है। यहां के खेतिहर कामगार भी वहां के विवादित कृषि कानून के खिलाफ काफी संख्या में सड़कों पर उतरे हैं। उन्होंने पेरु में करीब 300 किमी लंबा पैनामेरिकाना सुर हाईवे 5 दिनों से जाम कर रखा है। इस किसान आंदोलन के चलते सैकड़ों गाड़ियां फंसी हुई हैं।
पेरु में करीब 300 किमी लंबा पैनामेरिकाना सुर हाईवे 5 दिनों से जाम कर रखा है। इस किसान आंदोलन के चलते सैकड़ों गाड़ियां फंसी हुई हैं। पेरु में खेतिहर कामगारों को 39 हजार से 2 ़39 लाख रु. तक मासिक सैलरी मिलती है
सैलरी और लाभ में हिस्से की मांग खेतिहर कामगारों का कहना है कि देश का कृषि कानून बेहद पुराना है। उन्हें अधिकतम सैलरी और खेती में लाभ का एक निश्चित हिस्सा मिलना चाहिए। पेरु में खेतिहर कामगारों को 39 हजार से 2 ़39 लाख रु. तक मासिक सैलरी मिलती है।