काफी लंबे समय के बाद यूरोपियन संघ और ब्रिटेन के बीच एक पोस्ट-ब्रेग्ज़िट ट्रेड डील यानी ब्रेग्ज़िट के बाद ऐतिहासिक व्यापार समझौते तक पहुँच गए हैं। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने ट्विटर पर अपनी एक तस्वीर डाली जिसमें वह दोनों हाथों उठाए हुए और थंब्स अप दिखा रहे हैं। बोरिस जॉनसन ने प्रधानमंत्री कार्यालय से ऐलान किया कि “हमने अपने क़ानून और अपनी किस्मत की डोर वापस अपने हाथों में ले ली है।” इस डील को लेकर दोनों पक्षों के बीच पिछले 10 महीनों से सौदेबाजी चल रही थी। ब्रिटेन 31 जनवरी को यूरोपियन यूनियन से अलग हो गया था। पंरतु आपसी व्यापार के ऊपर दोनों के पेंच फसे हुए थे। अब डील को लेकर दोनों पक्षों की संसद में वोटिंग होगी। हालांकि अभी तक डील को लेकर कोई मसौदा तैयार नहीं किया गया है।
डील होने के बाद यूरोपियन कमीशन की प्रेसिडेंट उर्सला वोन डोर ने कहा कि ”यह एक घुमावदार सड़क थी। आखिरकार हमें एक अच्छी डील मिल गई। यह दोनों पक्षों के लिए सही है।” इससे तय हो गया कि अब ब्रिटेन अगले कुछ दिन में यूरोपीय यूनियन के इकोनॉमिक स्ट्रक्चर से अलग हो जाएगा। काफी लंबे चले संघर्ष के बाद दोनों पक्षों ने तीन सबसे बड़े मुद्दों पर अपने मतभेद दूर कर लिए हैं। जिनमें फेयर कॉम्पिटीशन रूल्स, भविष्य में होने वाले विवादों को सुलझाने का मैकेनिज्म तैयार करना और ब्रिटेन के समुद्र में यूरोपीय यूनियन की नावों को मछली पकड़ने का अधिकार देना शामिल है। मछली पकड़ने का मुद्दा इस डील में सबसे बड़ी रुकावट बना हुआ था।
यूरोपियन यूनियन से क्यों अलग हुआ था, ब्रिटेन
यूरोपियन यूनियन 27 देशों का एक समूह है। इन देशों के नागरिक ईयू के सदस्य देशों में बिना किसी रोक टोक, रहने, खाने और कारोबार के लिए स्वतंत्र है। यूरोपियन यूनियन में कभी ब्रिटेन की कभी चली नहीं, और दूसरी बात यह थी कि ब्रिटेन के लोग ईयू पर नियंत्रित थे। ईयू कारोबार के लिए ब्रिटेन पर कई शर्तें लगाता है। ब्रिटेन को लगता है कि ईयू में अरबों रूपए डॉलर लगाने के बाद ब्रिटेन को कुछ खास हाथ नहीं लगता था। इसलिए ब्रिटेन ब्रेग्जिट हुआ। ब्रेग्जिट का मतलब है कि ईयू से अलग हुआ देश। ब्रिटेन का ईयू से अलग होने का फैसला पब्लिक वोटिंग से हुआ था। लोगों से पूछा गया था कि वह ईयू का सदस्य रहे या नहीं। पब्लिक वोटिंग के बाद 52 प्रतिशत लोगों ने माना की ब्रिटेन को ईयू से अलग हो जाना चाहिए और 42 प्रतिशत लोगों ने माना कि उसे ईयू में रहना चाहिए। यूरोपियन यूनियन में शामिल 27 देश बिना रोकटोक के और टैक्स के बिना ईयू के सदस्य देशों में अपना कारोबार करते थे। और ब्रिटेन को लगता था कि अगर वह ईयू का सदस्य बना रहा था उसे ज्यादा फायदा नहीं होगा। दूसरे देशों के लोग यहां व्यापार करके फयादा उठा रहे है। इसलिए 31 जनवरी 2020 को ब्रिटेन ईयू से अलग हो गया था।