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यूरोप ने दिए चौंकाने वाले आंकड़े, एक साल में ही प्रदूषण से 3 लाख लोगों की मौत

भारत समेत दुनिया भर के कई देश इस समय प्रदूषण से जूझ रहे हैं। इस बीच यूरोपीय पर्यावरण एजेंसी का कहना है कि वायु प्रदूषण के चलते यूरोप में समय से पहले होने वाली मौतों की संख्या में सालाना 10 प्रतिशत की कमी हुई है। लेकिन इसी के साथ चौंकाने वाली जानकारी सामने आ रही है कि वायु प्रदूषण से तीन लाख सात हजार लोगों की मौत हो चुकी है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, वायु प्रदूषण से दुनिया भर में हर साल 70 लाख लोगों की मौत होती है।

पिछले दो सालों से जहां एक ओर पूरी दुनिया कोरोना महामारी से जंग लड़ रही है वहीं दूसरी तरफ अब दुनियाभर में वायु प्रदूषण का संकट बढ़ता ही जा रहा है। दुनिया के करीब 91 प्रतिशत आबादी ऐसी हवा में सांस लेने को मजबूर है, जो उसके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

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भारत में भी यह विकराल रूप धारण कर चुका है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी वायु प्रदूषण को लेकर खतरे की घंटी बजा दी है। संगठन ने वायु प्रदूषण को स्वास्थ को नुकसान पहुंचाने वाला सबसे प्रमुख पर्यावरण संबंधी खतरा बताया है। हाल में वायु प्रदूषण को लेकर यूरोपीय पर्यावरण एजेंसी की चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है।

यूरोपीय पर्यावरण एजेंसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, यदि यूरोपीय संघ के राष्ट्र नए विश्व स्वास्थ्य संगठन के वायु गुणवत्ता दिशानिर्देशों का पालन करते हैं तो संख्या आधी हो सकती है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक कारखाने की चिमनियों से ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन जितना घटेगा पर्यावरण प्रदूषण उतना ही कम होगा। रिपोर्ट के अनुसार, 1990 के दशक की शुरुआत में यूरोपीय संघ के 27 देशों में दस लाख लोगों की समय से पहले मृत्यु हो गई, क्योंकि हवा के कण फेफड़ों में गहराई तक घुस गए थे। 2005 तक यह संख्या दोगुनी होकर 450,000 हो गई थी।

2019 में पार्टिकुलेट मैटर ने जर्मनी में 53,800, इटली में 49,900, फ्रांस में 29,800 और स्पेन में 23,300 लोगों की जान ली। पोलैंड में 39,300 लोग मारे गए। रिपोर्ट के अनुसार, 2018 और 2019 में कारों, ट्रकों और थर्मल पावर स्टेशनों में नाइट्रोजन ऑक्साइड के कारण होने वाली मौतों की संख्या में एक चौथाई की गिरावट आई है, जिससे यह आंकड़ा 40,000 तक पहुंच गया है।

एक न्यूज़ रिपोर्ट के अनुसार, वायु प्रदूषण से हृदय रोग, कैंसर और फेफड़ों की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। वायु प्रदूषण छोटे बच्चों में फेफड़ों के विकास में बाधा डाल सकता है। इससे श्वसन संबंधी विकार हो सकते हैं। हालांकि स्थिति में सुधार हो रहा है, फिर भी यह चिंताजनक है।

दिल्ली में हालात खराब!

दिल्ली में वायु प्रदूषण गंभीर स्तर पर पहुंच गया है, तो अब राजधानी सचमुच गैस चैंबर बनती दिख रही है। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है और लॉकडाउन जैसे उपायों पर विचार किया जा रहा है। कोरोना के बाद अब वायु प्रदूषण के चलते राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और एनसीआर में दिन प्रतिदिन हालात बिगड़ते जा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद दिल्ली सरकार ने 3 राज्यों के साथ बैठक में कहा है कि वायु प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के लिए राजधानी दिल्ली समेत पूरे एनसीआर में लॉकडाउन लगाने की जरूरत है। जैसा की कोरोनाकाल के दौरान कंस्ट्रक्शन एक्टिविटी,स्कूल , कॉलेज ,इंडस्ट्रीज सहित सबको बंद करना पड़ा था।

लगातार बढ़ रहे वायु प्रदूषण ने दिल्ली-एनसीआर में एक बार फिर से लॉकडाउन लगाने जैसी स्थिति पैदा कर दी है। हालांकि पहले ही राजधानी दिल्ली में कई प्रतिबंध लगाए जा चुके हैं, लेकिन अब एनसीआर में भी कई पाबंदियां लगाई जा सकती हैं।

उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद दिल्ली सरकार ने आज 16 नवंबर को उत्तर प्रदेश , पंजाब और हरियाणा के साथ बैठक दौरान दिल्ली समेत एनसीआर में वर्क फ्रॉम लागू करने का प्रस्ताव रखा है। इसके साथ ही कंस्ट्रक्शन एक्टिविटी को भी रोकने और इंडस्ट्री को बंद करने का प्रस्ताव रखा है।

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