अगले महीने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प व्हाइट हाउस छोड़ देंगे। वे राष्ट्रपति से अमेरिका के आम नागरिक हो जाएंगे। उनका भविष्य क्या होगा, क्या करेंगे, यह इन दिनों चर्चा का विषय है। ट्रंप मूल रूप से बिजनेसमैन है। उनके पास पहले से दौलत की कमी नहीं थी। लेकिन अब यह कहना भी गलत नहीं होगा कि ट्रंप के पास अब दुश्मनों की भी कमी नहीं हैं। दुश्मनों की कतार में और कोई नहीं वही लोग शामिल हैं जिनकी कभी ट्रम्प पहले प्रशंसा करते थे।
ट्रंप के ‘चहेते’ अटॉर्नी के क्यों बदले सुर?
बिल बार उन लोगों में गिने जाते हैं जो लगातार ट्रंप का बचाव करते आए हैं। इसी कारण से आलोचक उन्हें ‘राष्ट्रपति का अटॉर्नी’ कहकर संबोधित करते हैं। इससे पहले भी बिल बार डेमोक्रेट्स के निशाने पर रहे हैं। विरोधियों का आरोप है कि जब 2016 चुनाव के दौरान ट्रंप को रूस की मदद से जुड़े आरोपों की स्वतंत्र जांच हुई तो बिल ने ट्रंप की बहुत मदद की।
लेकिन अब यह माना जा रहा है कि अटॉर्नी जनरल विलियम बार राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा लगाए जा रहे चुनावी धोखाधड़ी के आधारहीन दावों पर अपना विरोध जताने के बाद अपना पद छोड़ रहे हैं। उन्होंने व्हाइट हाउस पहुंचकर ट्रंप के अनुसार उन्होंने अपना इस्तीफा सौंप दिया है। ट्रंप ने ट्वीट में लिखा कि पत्र के अनुसार, बिल क्रिसमस से ठीक पहले अपने परिवार के साथ छुट्टियां बिताने के लिए रवाना होंगे।
ट्रंप ने विलियम के खिलाफ गुस्से भरी ट्वीट की थी
ट्रम्प ने इस महीने के शुरू में द एसोसिएटेड प्रेस को विलियम बार के बारे में बयान देकर सार्वजानिक रूप से अपना गुस्सा व्यक्त किया था। जस्टिस डिपार्टमेंट को चुनावी धोखाधड़ी का कोई सबूत न मिलने पर चुनाव परिणामों को नहीं बदल पाने का गुस्सा ट्रम्प से इस तरह के बयान दिलवाता रहा है। ट्रंप इस बात से भी नाराज़ हैं कि न्याय विभाग ने सार्वजनिक रूप से इस बात की घोषणा नहीं की कि वे चुनावों से पहले बाइडन की जांच कर रहे थे।
फॉक्स न्यूज़
हाल ही में ट्रंप के सबसे पसंदीदा माने जाने वाले चैनल फॉक्स न्यूज़ के साथ उनके मधुर संबंधो में तल्खी बढ़ती जा रही है। हालिया राष्ट्रपति चुनाव के दौरान ट्रंप दूसरे चैनलों के साथ-साथ फॉक्स न्यूज को भी कई बार निशाने पर ले चुके हैं।
दरअसल, इसी साल अमेरिका में हुए राष्ट्रपति चुनाव में फॉक्स न्यूज ने चुनाव को लेकर एक पोल जारी किया था। जिसमें डेमोक्रेटिक दावेदार ‘जो बिडेन’ को ‘डोनाल्ड ट्रंप’ के मुकाबले 8 अंकों की बढ़त दिखाई गई थी।
लगातर अपनी हार न मानने वाले ट्रंप ने फॉक्स न्यूज के पोल को लेकर लगभग एक दर्जन ट्वीट कर डाले। इस दौरान ट्रंप ने फॉक्स न्यूज पर आरोप भी लगाया और के दिया कि ये एक ऐसा न्यूज चैनल है जो सबसे ज्यादा जो बिडेन के पक्ष में खबरें दिखाता है।
इतना ही नहीं पोल से भड़के ट्रंप द्वारा फॉक्स न्यूज के पोलकर्ता को फर्जी तक बता दिया गया। उन्होंने ट्वीट में कहा कि फॉक्स न्यूज को अपने फर्जी पोल कराने वाले व्यक्ति को नौकरी से बर्खास्त कर देना चाहिए। ट्रंप ने इस बीच यह भी कहा कि फॉक्स चैनल का पोल कभी भी सही नहीं होता है।
CNN के मुताबिक, ट्रंप फॉक्स ब्रांड को नुकसान पहुंचा सकते हैं और अगर वह अपनी खुद की एक मीडिया कंपनी लॉन्च करते हैं तो दर्शकों का मोहभंग हो सकता है। यह संभव है कि लंबे समय तक फॉक्स के नियंत्रण में रहा दक्षिणपंथी मीडिया मैप टुकड़ों में बंट जाए।
ट्रंप के कुछ सलाहकारों का मानना है कि शुरुआत में ही फॉक्स न्यूज ने एरिजोना में डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बाइडेन की जीत का ऐलान करके गलती कर दी थी।
ट्रंप की योजना एक डिजिटल मीडिया चैनल बनाने की
एक रिपोर्ट के हवाले से बताया गया है कि ट्रंप की योजना एक डिजिटल मीडिया चैनल बनाने की है। जिसमें खर्च कम लगे और जल्द ही शुरू भी किया जा सके। एक सूत्र ने बताया कि ट्रंप फॉक्स की आलोचना करने में काफी वक्त व्यर्थ करने के मूड में हैं।
इसी साल अक्टूबर में फॉक्स न्यूज पर ट्रंप द्वारा पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा की ओर से बाइडेन के लिए किए गए चुनाव प्रचार को दिखाने को लेकर भी हमला बोला गया था। व्हाइट हाउस में ट्रंप ने पत्रकारों से कहा था, ‘‘ फॉक्स (न्यूज) ने उन्हें पूरे दिन दिखाया और जो (बाइडेन) को पूरे दिन दिखाया, उन्हें क्या करना चाहिए था.. उन्हें सोए हुए जो की तस्वीर दिखानी चाहिए थी।”
हाल ही में जब ट्रंप ने चुनाव में दखल देने का आरोप लगाते हुए मीडिया पर निशाना साधा था, तब भी उन्होंने फॉक्स न्यूज का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था कि फॉक्स न्यूज, एबीसी/वॉशिंगटन पोस्ट, एनबीसी/वॉल स्ट्रीट जर्नल मेरे बारे में अपने सर्वे को लेकर इतने गलत थे कि इसने चुनाव को प्रभावित किया।
ट्रंप ने कहा था, ‘‘वे अपने सर्वे में और दबाव डालने की कोशिश में कहीं आगे चले गए और इसे चुनाव में हस्तक्षेप माना जाना चाहिए।’’
पूर्व रक्षामंत्री मार्क एस्पर
जब ट्रंप ने जून 2019 में मार्क डिफेंस को कार्यवाहक रक्षा सचिव का पद सौंपा था तब ट्रम्प ने कहा था कि उन्हें “कोई संदेह नहीं है कि वह शानदार काम करेंगे!”
लेकिन पिछले महीने ही डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में पेंटागन में ताबड़तोड़ और अहम बदलाव करते हुए रक्षामंत्री मार्क एस्पर को हटा दिया और फिर अपने तीन वफादारों को उन अहम पदों पर नियुक्त किया है। हालांकि, इसका कोई ठोस आधार नहीं है और जनरल मार्क माइली ने साफ किया है कि किसी भी हालत में ट्रंप को सेना की कोई मदद नहीं मिलेगी।
सेना को नहीं करना फैसला:ट्रंप
डोनाल्ड ट्रंप ने कांग्रेस से कहा है कि चुनाव को लेकर किसी विवाद की स्थिति में समाधान देश की अदालत और संसद को करना होगा, सेना को नहीं। उन्होंने आगे कहा कि सेना के सदस्यों को चुनाव के बाद सत्ता से जुड़े मामलों में दखलअंदाजी नहीं करनी चाहिए।
गौरतलब है कि ट्रंप रक्षामंत्री मार्क एस्पर से काफी समय से नाराज थे। खासकर जून में जब अमेरिका में जनआंदोलन के दौरान सेना के इस्तेमाल की डोनाल्ड ट्रंप की मर्जी पर मार्क एस्पर ने असहमति जताई थी