इन दिनों भारत के दो पड़ोसी देशों में काफी उथल-पुथल चल रहा है। एक और जहां पाकिस्तान राजनीतिक संकट से गुजर रहा है। तो वही दुसरी और श्रीलंका आर्थिक संकट से गुजर रहा है। अब श्रीलंका में आर्थिक संकट ने भयानक रूप ले लिया है जिसे देखते हुए श्रीलंका के राष्ट्रपति ने आपातकाल घोषित कर दिया है।
दरअसल, श्रीलंका में राष्ट्रपति भवन के बाहर 31 मार्चको हुए विरोध प्रदर्शन के बाद यह फैसला लिया गया है। प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति गोटाबया राजपक्षे के आवास पर भी हमला किया और वाहनों में आग लगा दी थी। इस हिंसा के बाद सेना को तैनात किया गया है और संदिग्धों को बिना वारंट के गिरफ्तार करने की छूट दी गई है।
गौरतलब है कि,31 मार्चको राष्ट्रपति राजपक्षे के निवास के बाहर विरोध प्रदर्शन की शुरुआत शांतिपूर्ण तरीके से हुआ, लेकिन प्रदर्शन में शामिल होने वाले लोगो का कहना है कि,जब पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे, पानी की बौछार की और लोगों को मारने लगी तब ये प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया। इस दौरान कई श्रीलंकाई पुलिस घायल हो गए है। और लगभग 53 प्रदर्शनकारियों को गिरफ़्तार किया गया है। अपने आजादी के बाद श्रीलंका सबसे बड़े आर्थिक संकट का सामना कर रही है। इस संकट से लोगों का हाल बेहाल है। लोग आपने ज़रूरत के समान भी नहीं खरीद पा रहे है। कई लोगो ने तो श्रीलंका से पलायन भी करना शुरू कर दिया है।
अब तक श्रीलंका से पलायन करके लगभग 16 नागरिक भारत आ चुके है। पलायन पर विशेषज्ञों कहना है कि, अगर श्रीलंका आर्थिक संकट जल्द दूर नहीं होता है तो आने वाले हफ्तों में करीब हज़ारों के संख्या में शरणार्थी श्रीलंका से तमिलनाडु आ सकते हैं।
श्रीलंका में 31 मार्च को क्या हुआ
31 मार्च की रात को हज़ारों की संख्या में श्रीलंकाई नागरिको ने राष्ट्रपति राजपक्षे के इस्तीफ़े की मांग करते हुए उनके आवास की ओर रैली निकाली थी। इस दौरान
प्रदर्शनकारियों ने राजधानी की मुख्य सड़क को टायरों में आग लगाकर जाम कर दिया था। सेना की दो बसों और एक जीप में भी आग लगा दी और पत्थरों से पुलिस अफ़सर पर हमला किया। सुरक्षाबलों ने प्रदर्शनकारियों को इधर -उधर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और वॉटर कैनन का इस्तेमाल किया।
इस संकट की वजह
श्रीलंका की अर्थव्यवस्था पर्यटन पर काफी हद तक निर्भर है। कोरोना महामारी की वजह से पर्यटन बहुत ज्यादा प्रभावित हुआ है। श्रीलंका की जीडीपी में टूरिज्म और उससे जुड़े सेक्टरों की हिस्सेदारी 10 फीसदी के आस-पास है। कोरोना के चलते पर्यटकों के न आने से श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार कम हुआ है। वर्ल्ड ट्रेवल एंड टूरिज्म काउंसिल की रिपोर्ट बताती है कि महामारी के चलते श्रीलंका में 2 लाख से ज्यादा लोग बेरोजगार हो गए हैं।
श्रीलंका की आर्थिक समस्या पर विशेषज्ञों का मानना है कि इस आर्थिक हालात के लिए विदेशी कर्ज खासकर चीन से लिया गया कर्ज भी जिम्मेदार है। चीन का श्रीलंका पर 5 अरब डॉलर से अधिक कर्ज है। पिछले साल उसने देश में वित्तीय संकट से उबरने के लिए चीन से और 1 अरब डॉलर का कर्ज लिया था। अगले 12 महीनों में देश को घरेलू और विदेशी लोन के भुगतान के लिए करीब 7 .3 अरब डॉलर की जरूरत है। नवंबर तक देश में विदेशी मुद्रा का भंडार महज 1 .6 अरब डॉलर था।
सरकार को घरेलू लोन और विदेशी बॉन्ड्स का भुगतान करने के लिए पैसा छापना पड़ रहा है। हालांकि अंतरराष्ट्रीय आर्थिक विशेषज्ञ श्रीलंका की इस बदहाली के लिए केवल चीन से लिए गए कर्ज की बात से इंकार करते हैं। इन विशेषज्ञों का मानना है कि अपनी इस दशा के लिए श्रीलंका की गलत आर्थिक नीतियां जिम्मेदार हैं। श्रीलंका के कुल कर्जे में से चीन का हिस्सा मात्र 10 प्रतिशत है। इससे कहीं ज्यादा कर्ज श्रीलंका ने अंतरराष्ट्रीय बाजारों से उठा रखा है। ऑस्ट्रेलिया के अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त ‘लोवी इंस्टीट्यूट’ के अनुसार इस समय श्रीलंका के कुल कर्ज का 47 प्रतिशत अंतरराष्ट्रीय बाजार से उठाया गया ऋण है। 22 प्रतिशत कर्ज विश्व बैंक समेत कई अंतरराष्ट्रीय बैंकों का है। 10 प्रतिशत कर्ज जापान का है।
इस मामले पर राजपक्षे का क्या कहना है
श्रीलंका की राजपक्षे सरकार का कहना है कि,उसने बेलआउट पैकेज अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से मांगा साथ ही भारत और चीन से अधिक क़र्ज़ मांगा है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के प्रवक्ता गेरी राइस ने पत्रकारों से वॉशिंगटन में 31 को कहा था कि, इस मामले पर बातचीत होने चाहिए। माना यह भी जा रहा है कि श्रीलंका के वित्त मंत्री इस पर चर्चा के लिए अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन पहुंचने वाले हैं।
गौरतलब है कि,श्रीलंका में राजपक्षे परिवार बेहद शक्तिशाली है। गोटाबाया राजपक्षे के बड़े भाई महिंद्रा राजपक्षे देश के प्रधानमंत्री हैं और वो देश के राष्ट्रपति रह चुके हैं। उनके छोटे भाई बासिल देश के वित्त मंत्री हैं। सबसे बड़े भाई चमल कृषि मंत्री हैं वहीं उनके भतीजे नमल देश के खेल मंत्री हैं।