भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में पिछले कुछ दिनों से हालात खराब हैं। प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग को लेकर हजारों लोग विरोध में सड़कों पर उतर आए हैं। अर्थव्यवस्था लगातार बिगड़ती जा रही है। विपक्षी दल भी सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रहा है। विपक्ष ने सत्तारूढ़ अवामी लीग सरकार के इस्तीफे और संसद को भंग करने की मांग की है। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के नेतृत्व में हजारों प्रदर्शनकारी सरकार को बर्खास्त करने की मांग को लेकर पिछले सप्ताह से राजधानी ढाका में प्रदर्शन कर रहे हैं।
सरकार के खिलाफ जोरदार आंदोलन
बीएनपी लगातार सरकार विरोधी मार्च निकालती रही है। वे इस संकट को शेख हसीना को सत्ता से बाहर करने के अवसर के रूप में देखते हैं, जो एक दशक से अधिक समय से बांग्लादेश की राजनीति में हावी हैं। कुछ दिन पहले सरकार के खिलाफ चल रहे आंदोलन में एक व्यक्ति की जान चली गई थी और कई अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
आईएमएफ से मदद की अपील
बांग्लादेश के हालात कितने खराब हो गए हैं इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले महीने उसे अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से मदद की गुहार लगानी पड़ी थी। आईएमएफ भी मदद के लिए राजी हो गया। आईएमएफ बांग्लादेश को 4.5 अरब डॉलर (करीब 37 हजार करोड़ रुपए) की आर्थिक मदद देने जा रहा है।
कोरोना महामारी का असर तो पूरी दुनिया पर पड़ा है, कई देशों की अर्थव्यवस्था पर भी इसका असर पड़ा है। इसके बाद रूस-यूक्रेन युद्ध ने स्थिति को और गंभीर बना दिया। बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था कपड़ा निर्यात और तेल आयात से काफी प्रभावित है। बांग्लादेश ने जून 2021 और जून 2022 के बीच 42.6 बिलियन डॉलर मूल्य के कपड़ा और ईंधन का आयात किया।
कोरोना महामारी ने दस लाख लोगों को बेरोजगार कर दिया है और देश का कपड़ा उद्योग भी इस साल ठीक संकेत नहीं दे रहा था, जुलाई में विदेशी फर्मों की मांग में 30 प्रतिशत की गिरावट आई। आर्थिक मंदी के संकेतों के बीच अमेरिका, यूरोप और अन्य देशों में उपभोक्ताओं ने अपने खर्च में कटौती की है। इतना ही नहीं, इस साल रेमिटेंस में 15 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। इससे यात्रियों पर दबाव पड़ा है और वैश्विक आर्थिक मंदी के कारण डॉलर में मजबूती आई है। बांग्लादेश में ईंधन की कीमतें तब से आसमान छू रही हैं जब हसीना की सरकार ने इस साल की शुरुआत में केवल एक सप्ताह में ईंधन की कीमतों में 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी की थी।
विदेशी मुद्रा भंडार में भारी गिरावट
कपड़ा निर्यात में गिरावट के कारण बांग्लादेश का नकदी भंडार तेजी से घट रहा है। 2011 से 2021 तक, बांग्लादेश का कुल विदेशी ऋण 239 प्रतिशत बढ़कर 91.43 बिलियन डॉलर हो गया। दिलचस्प बात यह है कि इस दौरान श्रीलंका का कर्ज 119 फीसदी बढ़ा है। नवंबर में महंगाई दर करीब 9 फीसदी पर पहुंच गई थी।