पूरे विश्व में कोरोना वायरस के संक्रमण से लोग जूझ रहे हैं। पूरे दुनिया में अब तक मरने वालों की संख्या दो लाख 39 हजार से ज्यादा हो चुकी है। जबकि संक्रमितों की संख्या 34 लाख से अधिक पार कर गई है। तमाम कोशिशों के बावजूद कोरोना संक्रमण नहीं रुक पा रहा है। इसी बीच कांगो में एक और वायरस ने दस्तक दी है।
इबोला वायरस से अब तक चार लोगों की मौत हो चुकी है। इसकी पुष्टी स्थानीय अधिकारियों के अलावा विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी की है। बताया जा रहा है कि कांगो के पूर्वी इलाके में इबोला वायरस पहले से ही फैला हुआ था। लेकिन अब यह पश्चिमी शहर मबान्डाका में भी पहुंच गया है। दोनों शहरों के बीच करीब 620 मील की दूरी है।
Authorities in Congo announced a new Ebola outbreak in the western city of Mbandaka on Monday, adding to another epidemic of the virus that has raged in the east since 2018. Six cases have been detected, four of which have died in the city: Reuters
— ANI (@ANI) June 1, 2020
इस संबंध में कांगो के स्वास्थ्य मंत्री इतेनी लोंगोंडो ने बताया कि पश्चिमी कांगो में इबोला का प्रकोप शुरू हो गया है। उन्होंने कहा, “इबोला से 4 लोगों की मौत हो गई है और 4 संदिग्ध मामले सामने आए हैं। चारों लोगों की जांच में इबोला का वायरस पाया गया है।” लोंगोंडो ने आगे कहा, “मबान्डाका में इबोला के नए मामले सामने आए हैं। हम बहुत जल्द ही वहां पर वैक्सीन और दवाएं भेजने जा रहे हैं।”
वहीं दूसरी ओर विश्व स्वास्थ्य संगठन के चीफ डॉक्टर टेड्रोस ने कहा, “इबोला का प्रकोप यह हमें याद दिलाता है कि कोरोना वायरस ही एकमात्र खतरा नहीं है जिसका दुनिया सामना कर रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की टीम वहां पर है और मदद कर रही है। WHO लगातार इन चीजों पर नजर बनाए हुए है और स्वास्थ्य को लेकर उठे आपातकालीन मामलों की निगरानी कर रहा है।”
टेड्रोस ने आगे कहा, “कांगो के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इबोला वायरस के मामलों की जानकारी दी है। हालांकि जिस शहर में इबोला वायरस के मामले सामने आए हैं, वहां कोरोना वायरस का अब तक कोई मामला सामने नहीं आया है। हालांकि पूरे कांगो में कोरोना के अब तक करीब 3,000 मामले सामने आ चुके हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना और इबोला का आपस में कोई संबंध नहीं है।”
बता दें कि इबोला वायरस कांगों में इससे पहले 2018 में भी फैला था। इस वायरस से कई लोगों की जाने गईं थी। ऐसा माना जाता है कि मनुष्यों में इसका संक्रमण संक्रमित जानवरों, जैसे चिंपैंजी, चमगादड़ और हिरण आदि के सीधे संपर्क में आने से होता है। WHO के मुताबिक, इबोला अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय इलाके की बीमारी है। उल्टी होना, डायरिया और कुछ मामलों में अंदरूनी और बाहरी रक्तस्राव होता है। अगर ज्यादा रक्तस्राव होने लगता है तो मौत होने का खतरा बढ़ जाता है।
गौरतलब है कि इबोला वायरस की पहचान साल 1976 में की गई थी। हालांकि, इस वायरस से सबसे ज्यादा तबाही साल 2014 में मचाई थी। रिकॉर्ड के मुताबिक, इस वायरस से अब तक 2275 लोगों की मौत हो चुकी है। बता दें कि इस वायरस से सबसे ज्यादा मौत कांगो में ही होती है।