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कोरोना और सुपरबग की जुगलबंदी से दुनिया में मचेगा कोहराम !

पिछले तीन साल से दुनिया को जकड़ने के बाद थोड़ा धीमा हुआ कोरोना वायरस फिर से दुनिया को अपनी चपेट में लेने की कोशिश कर रहा है। चीन सहित पूरी दुनिया में नया वेरिएंट बीएफ 7 तेजी से फैल रहा है। इस बीच अब अमेरिका में कोरोना से भी घातक सुपरबग लोगों की जान ले रहा है। इस सुपरबग से संक्रमण के मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है। अमेरिका में इंसानों के बीच तेजी से फैल रहे इस सुपरबग ने पूरी दुनिया को फिर से चिंता में डाल दिया है।

पिछले कुछ साल में मेडिकल साइंस के लिए यह बैक्टीरिया सुपरबग एक बड़ी चुनौती के रूप में बनकर उभर कर सामने आया है। साथ ही कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच ये और खतरनाक साबित हो रहा है। मेडिकल जर्नल लांसेट में प्रकाशित स्टडी के मुताबिक अगर इसी रफ़्तार से यह फैलता है तो हर साल इससे एक करोड़ लोग मौत के मुंह में समा जाएंगे।

दुनिया भर में इस वक्त में सुपरबग के कारण हर साल 13 लाख लोगों की मौत हो रही है। लांसेट की स्टडी में बताया गया है कि एंटीबायोटिक और एंटी-फंगल दवाएं भी सुपरबग पर असर नहीं करती। अब वैज्ञानिकों के बीच सवाल है कि क्या दुनिया के लिए ये सुपरबग एक नए तरह का खतरा बनने वाला है ?

क्या है सुपरबग ?

सुपरबग एक बैक्टीरिया का ही एक रूप बताया जा रहा है। मेडिकल साइंस के मुताबिक कुछ बैक्टीरिया इंसान के लिए लाभदायक होते हैं लेकिन कुछ बेहद खतरनाक। सुपरबग भी इंसानों के लिए घातक है। सुपरबग बैक्टीरिया, वायरस और पैरासाइट का स्ट्रेन है। समय के साथ जब बैक्टीरिया, वायरस, फंगस या पैरासाइट्स बदल जाते हैं तब दवा उन पर असर करना बंद कर देती हैं।  इससे उनमें एक एंटीमाइक्रोबॉयल रेजिस्टेंस की स्थिति उत्पन्न होती है। एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस उस स्थिति को कहते हैं जब बैक्टीरिया उन दवाइयों के प्रति अनुकूलित हो जाते हैं जो उन्हें मारने के लिए बनाई गई हैं। इसका मतलब है कि बैक्टीरिया मरते नहीं है और लगातार बढ़ते जाते हैं।

एंटीमाइक्रोबॉयल रेजिस्टेंस होने के बाद उस संक्रमण का इलाज काफी दिक्कत भरा साबित होता है। सुपरबग भी वहीं स्थिति जब  मरीज के शरीर में मौजूद बैक्टीरिया, वायरस और पैरासाइट के सामने दवा असर करना बंद कर दे।

किसी भी एंटीबायोटिक दवा के ज्यादा इस्तेमाल या बिना कारण एंटीबायोटिक दवा लेने से ये स्थिति बनती है।

कैसे फैलता है सुपरबग 

एक से दूसरे इंसान के त्वचा संपर्क, घाव होने, लार और यौन संबंध बनाने से सुपरबग संक्रमित करता है। जब मानव शरीर में सुपरबग बन जाता है तो दवाएं बेअसर हो जाती हैं। मौजूदा समय में सुपरबग के लिए दुनिया भर में कोई दवा नहीं है। लेकिन इसकी रोकथाम संभव है।

लांसेट द्वारा कोरोना महामारी के दौरान कुछ दिनों पहले ही सुपरबग की वजह से हो रही मौतों पर स्टडी की गई है। आईसीएमआर ने रिपोर्ट के अनुसार साल 2021 में 10 अस्पतालों में शोध किया और पाया कि कोरोना वायरस के बाद से लोग ज्यादा एंटीबायोटिक का लेने लगे हैं।

स्टडी का कहना है कि अगर दुनिया में एंटीबायोटिक्स का इस्तेंमाल इसी रफ्तार से बढ़ता रहा तो मेडिकल साइंस की सारी तरक्की शून्य हो सकती है।

एंटीबायोटिक की इस्तेमाल बढ़ा

स्कॉलर एकेडमिक जर्नल ऑफ फार्मेसी की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में पिछले 15 सालों में एंटीबायोटिक का प्रयोग 65 प्रतिशत बढ़ा है। लोगों द्वारा कोरोना महामारी के डर के कारण हल्की ख़ासी जुकाम के लिए भी एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल किया जा रहा है। सामने आ रहे सुपरबग से अमेरिका 5 अरब डॉलर का नुकसान हो रहा है।

साल 2021 में अमेरिका द्वारा 10 रिसर्च के रिजल्ट्स में देखा गया कि सुपरबग से प्रीमैच्योर बर्थ का खतरा बढ़ता है। वहीं पुरुषों को पेशाब से जुड़ी दिक्क्तों का सामना करना पड़ सकता है।  हालांकि इसपर अभी और रिसर्च जारी है।

कैसे बचें सुपरबग से.. 

  • समय समय पर हाथों को साबुन और पानी से धोएं।
  • हाथ धोने के लिए हैंड सैनिटाइजर का यूज़ करें। खाने के सामान को स्वच्छ जगह पर रखें।
  • भोजन को अच्छी तरह से पकाना चाहिए और उसे पकाने के इस्तेमाल पानी साफ़ होना चाहिए बीमार
  • लोगोंसे जितना संभव हो दूरी बनाए। डॉक्टर की सलाह लेने के बाद ही किसी एंटीबायोटिक दवा को लें

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