अमेरिका में अगले साल होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से पहले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं। उन पर आगामी चुनाव में संभावित डेमोक्रेट प्रत्याशी के तौर पर आगे नजर आ रहे पूर्व उप राष्ट्रपति जो बाइडेन की छवि खराब करने के लिए यूक्रेन से मदद मांगने का आरोप है, जिस पर डेमोक्रेट नेताओं ने कड़ा ऐतराज जताया है। इस मामले को लेकर उन पर महाभियोग भी चल सकता है और डेमोक्रेट्स के बहुमत वाली अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने इस दिशा में जांच भी शुरू कर दी है।
प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष व डेमोक्रेट नेता नैंसी पेलोसी ने जहां ट्रंप पर राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने और अमेरिकी संविधान के उल्लंघन का आरोप लगाया, वहीं रिपलब्लिकन नेताओं का कहना है कि राष्ट्रपति ट्रंप के खिलाफ डेमोक्रेट्स का यह अभियान ‘राजनीति से प्रेरित’ है। ट्रंप ने भी इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। पेलोसी ने जैसे ही इसकी घोषणा की कि अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की को ट्रंप की ओर से किए गए फोन को लेकर महाभियोग जांच शुरू कर दी है, राष्ट्रपति ने ट्वीट कर कहा कि ऐसे में जबकि संयुक्त राष्ट्र का सत्र चल रहा है और इतना कुछ महत्वपूर्ण हो रहा है, डेमोक्रेट्स इन सबको कमतर करने में जुटे हैं, जो देश के लिए अच्छा नहीं है।
ट्रंप पर 25 जुलाई को यूक्रेन के राष्ट्रपति को फोन कर बाइडेन और उनके बेटे हंटर के कारोबार की जांच किए जाने के लिए कहने और ऐसा नहीं करने पर यूक्रेन को अमेरिका की ओर से मिलने वाली लगभग 40 करोड़ डॉलर की सहायता राशि रोकने का भी आरोप है। बाइडेन के बेटे हंटर यूक्रेन में गैस ड्रिलिंग करने वाली एक कंपनी से जुड़े रहे हैं। डेमोक्रेट्स का आरोप है कि राष्ट्रपति ने यूक्रेन के अपने समकक्ष को इसलिए फोन कर इस बारे में जानकारी मांगी, ताकि चुनाव से पहले वह बाइडेन की छवि खराब कर सकें, जो अमेरिका में नवंबर 2020 में होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेट उम्मीदवारी के लिए फिलहाल अन्य नेताओं के मुकाबले आगे नजर आ रहे हैं।
डेमोक्रेट नेताओं ने यूक्रेन के राष्ट्रपति को ट्रंप की ओर से किए गए फोन कॉल का ट्रांसक्रिप्ट जारी करने की मांग भी की थी, जिसके लिए राष्ट्रपति ने हामी भी भर दी थी। लेकिन इसके जारी होने से पहले ही अमेरिकी प्रतिनिध सभा की ओर से इस दिशा में जांच की घोषणा कर दी गई। प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष पेलोसी, जो पूर्व में ट्रंप के खिलाफ महाभियोग चलाने को लेकर अनिच्छुक थीं, उन्होंने जोर देकर कहा, ‘राष्ट्रपति की जवाबदेही तय करनी ही होगी। कोई भी कानून के ऊपर नहीं है।’ वहीं ट्रंप ने सभी आरोपों को नकारते हुए कहा कि जेलेंस्की से बातचीत में उन्होंने यूक्रेन पर कोई दबाव नहीं बनाया और न ही यह कहा कि अगर वे (यूक्रेन) उनकी बात नहीं मानेंगे तो उन्हें अमेरिकी सहायता नहीं मिलेगी।
यहां उल्लेखनीय है कि प्रतिनिधि सभा में भले ही इस दिशा में जांच शुरू हो गई है, पर ट्रंप के खिलाफ महाभियोग चलाना आसान नहीं होगा। अमेरिकी कांग्रेस के निम्न सदन प्रतिनिधि सभा में भले ही डेमोक्रेट्स का बहुमत है, पर द्वितीय एवं उच्च सदन सीनेट में रिपलब्किन्स का बहुमत है। ऐसे में ट्रंप के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव अगर प्रतिनिधि सभा से पारित हो भी जाता है तो सीनेट से इसके पारित होने में अड़चन आएगी।
इससे पहले अमेरिकी कांग्रेस ने 1998 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के खिलाफ महाभियोग जांच शुरू की थी। उनके खिलाफ यह जांच व्हाट हाउस में इंटर्न मोनिका लेवेंस्की के साथ उनके अफेयर को लेकर झूठी गवाही देने और न्याय में अड़चन डालने को लेकर शुरू की गई थी। अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने दिसंबर 1998 में क्लिंटन के खिलाफ महाभियोग चलाने के पक्ष में मतदान किया था, लेकिन दो महीने बाद ही अमेरिकी सीनेट ने उन्हें बरी कर दिया और वह अपने पद पर बने रहे। वह एंड्रियू जॉनसन के बाद दूसरे राष्ट्रपति रहे, जिन्हें इस प्रक्रिया का सामना करना पड़ा। जॉनसन के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव 1868 में लाया गया था और वह भी सीनेट से बरी हो गए थे।
अमेरिका में महाभियोग की प्रक्रिया