अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लंबे समय तक विश्वास पात्र रहे रोजर स्टोन को एक अदालत ने 40 महीने जेल की सजा सुनाई है। रोजर स्टोन 67 वर्ष के हैं। उनपर आरोप है कि उन्होंने अमेरिकी संसद में सात बार झूठ बोला, न्याय में बाधा भी पहुंचाई। साथ ही उनपर गवाहों को गुमराह करने का आरोप भी है।
अदालत ने रोजर स्टोन को सजा सुनाने के दौरान कहा कि स्टोन कई बार झूठ बोल चुके हैं। उन्होंने ट्रंप के चुनाव प्रचार अधिकारियो से हुई सभी वार्ताओं को भी गुप्त रखा। साथ ही उन्होंने कुछ टेक्स्ट मैसेज और ईमेल की जानकारी को भी साझा नहीं किया। वॉशिंगटन में स्थित एक अदालत में फैसला सुनाने से पहले जज जैक्सन ने कहा कि, “स्टोन को अच्छी तरह पता था कि वो क्या कर रहे थे।”
जज जैक्सन ने आगे कहा कि, “इंसाफ़ के नियम इसे बर्दाश्त नहीं कर सकते। अदालत ये सब देखकर हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठ सकती और न ही ये मान सकती है कि रोजर ऐसे ही हैं।” इससे पहले भी स्टोन चर्चा में रह चुके है। पिछले साल उन्होंने सोशल मीडिया पर जज की एक तस्वीर पोस्ट की थी। पोस्ट में जज पर बंदूक थी। उन्होंने इस पोस्ट के जरिए अदालत की कार्यवाही को ‘दिखावे का मुकदमा’ बताया था।
स्टोन अमेरिकी राष्ट्रपति के छठे सहयोगी हैं। जिनपर सत्ता के दुरूपयोग के आरोप लगाए गए हैं। स्टोन को रॉबर्ट मूलर की जाँच में भी दोषी पाया गया है। यह मामला साल 2016 में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव अभियान में ट्रम्प और रूस के बीच मिलीभगत से संबंधित है।रोजर स्टोन को 3 साल 4 महीने तक की सजा सुनाई गई है। लेकिन अभी उनके पास ऊपरी अदालत में अपील का अधिकार है इसलिए अभी उन्हें जेल में नहीं जाना पड़ेगा।
इस मामले पर रोजर स्टोन लगातार यही कह रहे हैं कि ये सब उनके खिलाफ केवल राजनीतिक साजिश के तहत किया जा रहा है। वहीं ट्रंप ने संकेत दिए हैं कि वह अपने सहयोगी को माफ कर सकते हैं।
पिछले हफ्ते ही अभियोजन पक्ष इस मामले की सुनवाई से हट चुका था। जब स्टोन के अमेरिका के न्याय मंत्रालय ने स्टोन की जेल की सजा की समयसीमा कम करने की योजना के बारे में बताया था। स्टोन के लिए अभियोजन पक्ष ने नौ साल जेल की सज़ा की मांग की थी और राष्ट्रपति ट्रंप ने इस मांग को ‘बेहद डरावना और नाइंसाफ़ी वाला’ बताया था।