दुनिया कोरोना वायरस से निजात पाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। हर कोई इस संकट की स्थिति में आगे बढ़कर मदद कर रहा है। ऐसे में आयरलैंड के प्रधानमंत्री लियो वरडकर ने भी खुद ही मरीजों का इलाज में जुट गए हैं। आयरलैंड के भारतीय मूल के प्रधानमंत्री लियो वरडकर पेशे से डॉक्टर हैं। उन्होंने कोरोना संकट को देखते हुए डॉक्टरी के पेशे को एक बार फिर से शुरू कर दिया है।
इसी क्रम में अब साल 2019 में मिस इग्लैंड का ख़िताब जीत चुकी भाषा मुखर्जी ने अपना क्राउन उतारकर अपने आपको डॉक्टर के पेशे में लाने का फैसला किया है। कोरोना वायरस के संकट से उबरने के लिए उन्होंने यह फैसला किया है।
भाषा मुखर्जी मिस इग्लैंड से पहले भाषा बॉस्टन के पिलग्रिम हॉस्पिटल में जूनियर डॉक्टर रह चुकी हैं। वो पेशे से श्वसन रोगों की विशेषज्ञ हैं। साथ ही भारतीय हैं। परन्तु वह ब्रिटिश नागरिक हैं। उनका बचपन कोलकाता में बीता। जब वो 9 वर्ष की थी तभी उनका परिवार ब्रिटेन में जाकर बस गए थे।
साल 2019 अगस्त में उन्हें मिस इग्लैंड चुना गया। सीएनएन को दिए एक इंटरव्यू में भाषा ने बताया कि वो बीते सप्ताह ब्रिटेन लौटी हैं। मिस इंग्लैंड चुने जाने के बाद से वो दुनिया की अलग-अलग जगहों पर मानवीय कार्यों में शामिल होती आई हैं।
15 दिनों के लिए क्वॉरेंटिन
इंटरव्यू में भाषा ने कहा कि इस समय देश को उनकी जरूरत है इसलिए कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों देखते हुए उन्होंने डॉक्टर के पेशे में लौटने का निर्णय लिया है। फॉक्स न्यूज से बातचीत में उन्होंने बताया, ”यह एक कठिन निर्णय नहीं था। मैं अफ्रीका, तुर्की गई हूं और भारत उन एशियाई देशों में से पहला था जहां मैं यात्रा करने गई थी। भारत के बाद मुझे कई अन्य देशों की भी यात्रा करनी थी लेकिन कोरोना वायरस के कारण मुझे अपनी यात्रा बीच में ही छोड़नी पड़ी। मुझे पता था कि मेरे लिए सबसे अच्छी जगह अस्पताल होगी।”
उन्हें कोरोना महामारी के तीव्र गति से फैलने की जानकारी जब मिली जब वह दुनिया के अलग अलग देशों में भ्रमण कर रही थी। उन्हें दोस्तों के मैसेज से पता चला। जिसके बाद उन्होंने उस अस्पताल से संपर्क साधा जहां वह पहले डॉक्टर के रूप में काम करती थी और उन्होंने दुबारा ज्वाइन करने की इच्छा भी जताई। भाषा फ़िलहाल विदेश से लौटने की वजह से 15 दिनों के लिए क्वॉरेंटिन हैं। इसके बाद वो काम शुरू कर सकती हैं।