बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना अक्टूबर की शुरुआत में भारत दौरे पर आने वाली हैं। इस दौरान दोनों देशों के बीच सबसे अहम बीबीआईएन कनेक्ट्विटी पर चर्चा की जाएगी। इससे पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपनी पहली विदेश यात्रा के दौरान बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना से मुलाकात कर मेजबानी की इच्छा भी जताई थी। शेख हसीना की अक्टूबर के पहले हफ्ते में भारत की यात्रा प्रस्तावित है। हसीना की भारत यात्रा से बीबीआईएन कनेक्ट्विटी महत्वाकांक्षी परियोजना को पंख लगने की उम्मीद जताई जा रही है।
इस यात्रा से बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को तीस्ता जल विवाद पर भारत से सकारात्मक रवैये की उम्मीद है। हसीना अक्टूबर की शुरुआत में भारत दौरे पर आने वाली हैं इसी उपलक्ष्य में हसीना ने बुधवार को संसद में कहा कि भारत के साथ करीब 22 साल से चले आ रहे तीस्ता जल विवाद को सकारात्मक तरीके से जल्द ही सुलझा लिया जाएगा। शेख हसीना ने कहा कि हमें आशा है कि दो देशों के बीच चले आ रहे अनसुलझे विवादों को जल्द ही सुलझा लिया जाएगा। उम्मीद करते हैं कि मेरे दौरे से पहले भारत की ओर से सभी अनसुलझे विवादों पर अपना सकारात्मकता देखने को मिलेगी।
उम्मीद जताई जा रही है कि बीबीआईएन योजना की शुरुआत अगले साल 2020 से हो जाएगी। बांग्लादेश के उन्नयन शमनय संगठन के चेयरमैन अतिउर रहमान का कहना है कि बांग्लादेश शुरू से ही खुले क्षेत्रवाद के पक्ष में रहा है और इन देशों की सरकारों के बीच वर्तमान राजनीतिक समीकरण बीबीआईएन मोटर वाहन समझौते के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए अनुकूल हैं ,तो वहीं बीबीआईएन के सपने के पूरा करने में अभी भी कई अवरोध हैं। हालांकि इस समझौते पर दस्तखत भूंटान की राजधानी थिपूं में ही हुए थे, लेकिन सदस्य देश होने के बावजूद भूटान इसके क्रियान्वयन को लेकर असमर्थता जता चुका है। भूटान का कहना है कि अन्य सदस्य देशों को उसके बिना ही इस समझौते पर आगे बढ़ना चाहिए। भूटान ने अंदरूनी प्रक्रियाओं और चिंताओं का हवाला देते हुए इसके अनुमोदन को लेकर और समय मांगा था। भूटान में विपक्ष की चिंता थी कि भूटान ‘जीरो’ कार्बन देश है और मालवाहक कॉरिडोर बनने के बाद ट्रकों की आवाजाही बढ़ेगी, जिससे वायु प्रदूषण बढ़ेगा और पर्यावरण को नुकसान पहुंचेगा। दरअसल, भूटान की उच्च संसद इस समझौते को पास करने में नाकाम रही थी।
अगर यह योजना अमल में आती है, तो चीन की महत्वाकांक्षी वन बेल्ट वन रोड परियोजना को धक्का जरूर लगेगा। चीन अब बड़े जोरशोर से विस्तारवादी पहल को बढ़ावा दे रहा है और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस साल अक्टूबर के मध्य में नेपाल का दौरा करने वाले हैं। चीन भी नेपाल के साथ बड़े स्तर पर सड़क मार्ग स्थापित करने का पक्षधर है और नेपाल के साथ अपने व्यावसायिक हित रखता है। चीन की इस कूटनीति के जवाब में भारत सड़क संपर्क की रणनीति अपना रहा है। हालांकि भारत इससे पहले भी कई साल पहले भूटान, नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार को जोड़ने के लिए (साउथ एशियन सब रिजनल इकोनॉमिक को-ऑपरेशन) कॉरिडोर शुरू किया था, जिसे पूर्वी एशियाई बाजार के लिए भारत का प्रवेश द्वार कहा जाता है।
क्या है बीबीआईएन कनेक्ट्विटी
प्रस्तावित यात्रा से पहले पिछले हफ्ते ढाका में बीबीआईएन यानी बांग्लादेश, भूटान, भारत और नेपाल कनेक्टिविटी को लेकर गंभीरता से चर्चा की गई। 2015 में इसमें शामिल सभी देशों ने थिपूं में बीबीआईएन मोटर वाहन समझौता पर दस्तखत किए थे। इस समझौते के तहत शामिल देशों में यात्री वाहन, व्यक्तिगत और माल ढुलाई वाहनों की आवाजाही के लिए एक-दूसरे के राजमार्गों का इस्तेमाल कर सकेंगे। ग्लोबल पब्लिक पॉलिसी रिसर्च ग्रुप, कट्स इंटरनेशनल के कार्यकारी निदेशक बिपुल चटर्जी का कहना है कि बीबीआईएन मोटर वाहन समझौता से इन देशों की अर्थव्यवस्था को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से फायदा मिलेगा। साथ ही इस पहल से इन देशों के लोगों, व्यापार और सरकार के मध्य वित्तीय और डिजिटल कनेक्टिविटी बढ़ेगी, जो इनकी आर्थिक क्षमता को बढ़ाने का काम करेगी।