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विरोध के बावजूद चीन ने हांगकांग के विवादास्पद कानून को दी मंजूरी

विरोध के बावजूद चीन ने हांगकांग के विवादास्पद कानून को दी मंजूरी

चीनी संसद ने मंगलवार को विशेष रूप से हांगकांग के लिए डिज़ाइन किए गए एक राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को मंजूरी दी। इसने चीन को पूरे हांगकांग पर कब्जा करने का मार्ग प्रशस्त कर दिया है। कभी ब्रिटिश उपनिवेश रहे हांगकांग, 23 साल पहले चीन को सौंप दिया गया था। हालांकि, हांगकांग चीनी नियंत्रण में था, लेकिन अलग-अलग कानून थे। इसलिए चीन वहां अपने तरीके से प्रबंधन नहीं कर सका। नेशनल पीपुल्स कांग्रेस स्टैंडिंग कमेटी के 162 सदस्यों की ओर से कानून को पेश किए जाने के 15 मिनट के अंदर सर्वसम्मति से इसे मंजूरी दे दी गई। 1 जुलाई से यह कानून हॉन्ग कॉन्ग में प्रभावी हो जाएगा।

राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम को नेशनल पीपुल्स कांग्रेस ऑफ़ चाइना की स्थायी समिति द्वारा सर्वसम्मति से पारित किया गया था। रॉयटर ने अनाम स्रोतों के हवाले से कहा है। हांगकांग दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण वित्तीय केंद्रों में से एक है। 1997 से हांगकांग चीनी नियंत्रण में है। चीन की तुलना में हांगकांग में कई रियायते हैं। वहां के लोग लोकतांत्रिक अधिकारों के प्रति जागरूक हैं। इसलिए, सभी चीनी कानून हांगकांग में लागू नहीं होते हैं। पिछले साल हांगकांग में लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए हिंसक आंदोलन हुआ था।

हॉन्ग कॉन्ग की कानून व्यवस्था में शामिल

इस कानून के तहत अब राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने, विदेशी ताकतों के साथ अलगाव, तोड़फोड़, आतंकवाद के दोषी व्यक्ति को अधिकतम उम्रकैद की सजा सुनाई जा सकेगी। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने सूत्रों के हवाले से बताया कि नए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को हॉन्ग कॉन्ग की कानून व्यवस्था में शामिल किया जाएगा। इस कानून में मुकदमे का सामना करने के लिए आरोपियों को सीमा पार कर चीनी मुख्य भू भाग नहीं भेजा जाएगा।

पहली बार इस नए कानून से चीन की सुरक्षा एजेंसियों को हॉन्ग कॉन्ग में अपने प्रतिष्ठान खोलने की अनुमति मिल जाएगी। बहरहाल हॉन्ग कॉन्ग बॉर एसोशिएसन की ओर से कहा गया है कि चीन का प्रस्तावित नया सुरक्षा कानून अदालतों में मुश्किलों में धकेल सकता है क्योंकि बीजिंग के पास अपने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को पूर्व ब्रिटिश कॉलोनी के लिए लागू करने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है। इस कानून को लेकर हॉन्ग कॉन्ग में जबरदस्त विरोध हो रहा है।

1997 से चीन के कब्जे में है हॉन्ग-कॉन्ग

पेइचिंग हॉन्ग-कॉन्ग की राजनीतिक उठापटक को अपने हाथ में लेने की कोशिश कर रहा है। बता दें कि हॉन्ग-कॉन्ग ब्रिटिश शासन से चीन के हाथ 1997 में ‘एक देश, दो व्यवस्था’ के तहत आया और उसे खुद के भी कुछ अधिकार मिले हैं। इसमें अलग न्यायपालिका और नागरिकों के लिए आजादी के अधिकार शामिल हैं। यह व्यवस्था 2047 तक के लिए है।

ब्रिटिश सेना की ओर से साल 1942 में हुए प्रथम अफीम युद्ध में चीन को हराकर पहली बार हॉन्ग कॉन्ग पर कब्जा कर लिया गया था। जिसके बाद बाद दूसरे अफीम युद्ध में चीन को ब्रिटेन के हाथों और हार का सामना करना पड़ा।  1898 में ब्रिटेन ने इस क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए चीन से कुछ अतिरिक्त इलाकों को 99 साल की लीज पर लिया था।

1982 में ब्रिटेन ने हॉन्ग कॉन्ग को चीन को सौंपने की कार्रवाई शुरू कर दी जो 1997 में जाकर पूरी हुई। चीन की ओर से देश दो व्यवस्था के तहत हॉन्ग कॉन्ग को स्वायत्तता देने का वादा किया गया था। चीन ने कहा था कि  विदेश और रक्षा मामलों को छोड़कर हॉन्ग कॉन्ग को अगले 50 सालों तक सभी तरह की आजादी मिलेगी । बाद में चीन ने एक समझौते के तहत इसे विशेष प्रशासनिक क्षेत्र बना दिया।

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