विश्व भर में कोरोना के बढ़ते संकट को देखते हुए कई देशों की सरकार द्वारा वैक्सीन को अनिवार्य कर दिया गया है। जिसका विरोध करते हुए बड़ी संख्या में लोग अलग- अलग देशों में प्रदर्शन कर रहे हैं। इस कारण यह एक बड़े विद्रोह के रूप में उभर कर सामने आ रहा है। पेरिस, फ्रांस, ब्रुसेल्स, स्पेन और अब कनाडा में भी पिछले एक हफ्ते (29 जनवरी 2022) से हजारों लोग कोविड प्रतिबंधों जैसे सरकारी आदेशों के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन कर रहे हैं। कनाडा के अलग-अलग शहरों में लोगों द्वारा रैलियां कर रास्तों को जाम किया जा रहा है। ये प्रदर्शन शांतिपूर्ण हैं लेकिन लोगों की तादाद इतनी ज्यादा है कि पुलिस लाचार नजर आ रही है। पुलिस के मुताबिक करीब 5000 लोग कनाडा के ओटावा में प्रदर्शन कर रहे थे। जनता के बढ़ते आक्रोश को देखते हुए प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो द्वारा इमरजेंसी की घोषणा की गयी है।
प्रदर्शनकारी कनाडा के सबसे बड़े शहर टोरंटो, क्यूबेक सिटी, फ्रेडरिक्टन और विन्निपेग जैसे शहरों में इकट्ठा हुए। टोरंटो में प्रदर्शनकारी रॉबर्ट ने कहा कि ‘हम सरकार की धमकियों से और एक बड़ी जेल में रहते हुए परेशान हो चुके हैं। हम सिर्फ सामान्य दिनों की ओर लौटना चाहते हैं, अपनी नसों में जहर का इंजेक्शन लगवाए बिना जिसे ये वैक्सीन कह रहे हैं।’ ट्रूडो के खिलाफ शुरू हुआ आंदोलन इस आंदोलन को ‘फ्रीडम कॉनवॉय’ नाम दिया गया है कि जिसकी शुरुआत सीमा-पार ट्रकों के लिए कोविड वैक्सीन को अनिवार्य करने के खिलाफ शुरू हुई थी। देखते ही देखते यह ट्रकों की एक विशालकाय रैली में बदल गया जिसका निशाना कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो हैं। प्रदर्शनकारियों ने आठ दिनों से ओटावा के डाउनटाउन कोर को बंद कर दिया है। प्रधान मंत्री ने प्रदर्शनकारियों से मिलने से इनकार कर दिया है जिसके चलते भीड़ पहले से ज्यादा उग्र हो गई है। वैक्सीन और उससे जुड़े नए कानूनों के खिलाफ केवल कनाडा में ही नहीं बल्कि विश्व भर में विद्रोह किया जा रहा है।
फ्रांस प्रोटेस्ट
फ्रांस में भी बड़ी संख्या में लोग कोरोना वायरस की वैक्सीन के खिलाफ प्रदर्शन करते नजर आ रहे हैं। फ्रांस के कई शहरों में सड़कों पर हजारों लोग वैक्सीन लगाए जाने को लेकर सरकार द्वारा बनाए गए नए कानून का विरोध करने के लिए सड़कों पर उतरे, जिसके तहत कोविड-19 की वैक्सीन नहीं लगवाने वालों पर सख्त प्रतिबंध लगाए गए। 15 जनवरी 2022 को निकाली गई रैलियों में कई राजनीतिक समूहों द्वारा भी हिस्सा लिया गया। आइफिल टावर के पास बड़ी तादाद में लोग एकत्रित हुए थे। इतना ही नहीं फ्रांस के बोर्डो, टूलूज और लिली सहित कई बड़े शहरों में भी यही स्थिति देखने को मिली। लोगों ने इस दौरान राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के खिलाफ नारे लगाते हुए नाराजगी व्यक्त की। लोग सरकार की टीकाकरण की बार-बार की जा रही अपील को अपनी स्वतंत्रता के साथ जोड़ रहे हैं। उनका कहना है कि ‘सरकार वायरस पर नहीं जनता पर नियंत्रण करना चाहती है।’
ब्रसेल्स प्रोटेस्ट
कोरोना वायरस प्रतिबंधों के खिलाफ ब्रसेल्स में 5 दिसंबर 2022 को जनता द्वारा प्रदर्शन किया गया था। जिसमे कम से कम तीन पुलिस अधिकारी और 12 प्रदर्शनकारी घायल हो गए थे। देश में कोरोना महामारी के प्रतिबंधों के खिलाफ लाखों लोग प्रदर्शन कर रहे थे। 6 फरवरी को लगभग 50 हजार लोगों ने बेल्जियम की राजधानी की सड़कों पर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन इतना बढ़ गया कि 12 प्रदर्शनकारी को अस्पताल में भर्ती कराया गया। पुलिस ने विरोध के बाद करीब 70 लोगों को गिरफ्तार कर लिया। जिसके बाद प्रदर्शन को रोका गया। वैक्सीन को लेकर जनता के बढ़ते प्रदर्शन से ‘वैक्सीनेशन ऑफ ऑल नेशन’ का जिम्मा खतरे में नजर आ रहा है। जनता वैक्सीन लगवाने को लेकर प्रदर्शन कर रही है। जनता सरकार के द्वारा कड़े नियम कायदों के लगाए जाने को अपनी स्वतंत्रता और मौलिक अधिकारों का हनन के रूप में देख रही है। जनता का मानना है कि वैक्सीन लगवाना और न लगवाना पूर्ण रूप से जनता का फैसला होना चाहिए। जनता के साथ जबरदस्ती करना और उन्हें मजबूर करना उनकी स्वतंत्रता को छीनना है। वहीं कोरोना के बढ़ते संकट से अभी विश्व उभर भी नहीं पाया था कि इसके नए वेरिएंट ने धीरे-धीरे विश्व को अपनी चपेट में ले लिया है। जिसके चलते ही सरकार को कड़े कदम उठाने पड़ रहे हैं।