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म्यांमार में मुश्किल में लोकतंत्र, तख्तापलट का विरोध करने पर 20 साल की सजा

म्यांमार में इन दिनों राजनीतिक हालत काफी ज्यादा अस्त-व्यस्त हैं। सेना के द्दारा तख्तापलट के बाद वहां लोग हर दिन सड़कों पर सेना के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे है, लोग देश में दोबारा लोकतांत्रिक सिस्टम को बहाल करने के लिए मांग कर रहे है। सेना ने नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) पार्टी की नेता आंग सान सू के साथ उनके कई करीबी नेताओं को नजरबंद किया हुआ है। जिसकी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रिहाई की मांग उठ रही है। इसी को देखते हुए संयुक्त राज्य अमेरिका ने सेना के सभी नेताओं और उनके परिवार वालो के फॉरेन अकाउंट को भी बंद करने का आदेश दिया है। तख्तापलट पर सेना को कई बार जो बाइडन ने सख्ती से लताड़ा है।

इस दौरान प्रदर्शन कर रहे लोगों पर भी पुलिस ने कार्रवाई की है। प्रदर्शनों को अवैध करार दिए जाने के बावजूद लोग सड़कों पर उतरे और उन्हें हटाने के लिये पुलिस ने हवा में गोलियां भी चलाईं और उनपर पानी की बौछारें भी की। इससे कई लोगों को गंभीर चोटें भी आई हैं जबकि 100 से ज्यादा प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार कर लिया है। इसके साथ ही सेना ने अब ऐलान कर दिया है कि जो कोई भी तख्तापलट के खिलाफ आवाज उठाएगा, उसे 20 साल के कारावास की सजा दी जाएगी।

यही नहीं सेना ने अपनी चेतावनी में यह भी कहा है कि अगर कोई तख्तापलट नेताओं के खिलाफ नफरत फैलाएगा, उसे लंबी सजा होगी। इसके साथ ही उन पर जुर्माने की कार्रवाई होगी। म्यांमार में पिछले कई दिनों से लोग सड़कों पर सेना के खिलाफ विरोध कर रहे हैं और आंग सान सू समेत कई नेताओं की रिहाई के लिए भी कह रहे हैं। सेना का कहना है कि पिछले साल नवंबर में आम चुनाव में धांधली हुई थी। इसी के साथ सेना ने कार्यकारी राष्ट्रपति आपातकाल भी लगा दिया है। आपको बता दें कि म्यांमार में पूर्ण इंटरनेट लॉक डाउन है।

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