हांगकांग में विवादित प्रत्यर्पण विधेयक से शुरू हुआ अनिश्चित कालीन प्रदर्शन बढ़ता ही जा रहा है। कार्यकर्ता ली चेउक-यान ने कहा कि यह एक दिन का प्रदर्शन नहीं है, हम इसे दीर्घकालिक बनाने पर रणनीति बना रहे हैं। अगर कैरी लाम हमारी पांच मांगें नहीं मानतीं तो लोग वापस आएंगे और संघर्ष जारी रहेगा।
चीन के स्वायत्त प्रांत हांगकांग में लगातार चल रहे ऐतिहासिक प्रदर्शन में प्रदर्शनकारियों को दूसरी बड़ी जीत मिली है।अब दबाव में आकर हांगकांग की सरकार ने मुख्य प्रदर्शनकारी जोशुआ वोंग को रिहा कर दिया है ।लेकिन यहां की सड़कों पर प्रदर्शनकारियों का प्रदर्शन जारी है। हांगकांग के लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ता माने जाने वाले वोंग लगातार हांगकांग मुख्य प्रशासक कैरी लाम के इस्तीफे की मांग उठा रहे हैं। जिसके कारण उन्हें हिरासत में ले लिया गया था। लगभग दस लाख प्रदर्शनकारियों ने लाम के इस्तीफे की मांग तेज कर दी है।
हांगकांग में पिछले हफ्ते प्रदर्शन शुरू हुआ था। सभी प्रदर्शनकारी मांग कर रहे थे कि हांगकांग सरकार ने प्रत्यर्पण संबंधी जो विधेयक प्रस्तावित किया है, उसे वापस लिया जाए। यह विधेयक स्वायत्त प्रांत हांगकांग से किसी को अपराधी बनाकर चीन भेजे जाने का रास्ता खोल सकता था। लगातार हुए प्रदर्शन से सरकार ने विधेयक निलंबित कर दिया, जो प्रदर्शनकारियों की बड़ी जीत थी।
विधेयक निलंबित किए जाने के बाद भी प्रदर्शनकारियों ने रैली की, जिसमें बीस लाख लोग शामिल थे। इस रैली में कैरी लाम के इस्तीफे की मांग उठी। जिससे दबाव में आयीं हांगकांग की मुख्य प्रशासक कैरी लाम ने सार्वजनिक रूप से माफी मांगी थी।प्रदर्शनकारियों ने कल हांगकांग की विधान परिषद के बाहर एकत्र होकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया और कहा कि उन्हें माफी स्वीकार नहीं है। सभी ने लाम के इस्तीफे की मांग करते हुए नारे लगाए। हालांकि प्रदर्शनकारियों ने धैर्य दिखाते हुए पुलिस से किसी भी तरह के टकराव से बचने की कोशिश की। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को सड़कें खाली करने को कहा तो वे पार्क की ओर रवाना हो गए।
प्रदर्शनकारियों ने हांगकांग निवासियों से अपील की है कि वे कार्य बहिष्कार करें। माना जा रहा है कि 20 लाख की संख्या तक पहुंच चुके प्रदर्शनकारियों के दायरे के बाद अब आम नागरिक यह अपील स्वीकार करके विरोध में शामिल होंगे।
चीन के सरकारी मीडिया ने इस पर पूरी तरह चुप्पी साध रखी है । प्रदर्शनों के बारे में न तो चीन के सरकारी प्रसारक सीसीटीवी के मुख्य समाचार बुलेटिनों में दिनभर कोई खबर आई और न ही सोशल मीडिया मंचों पर रैली का जिक्र या कोई तस्वीर दिखाई दी।
वर्ष 1842 में ब्रिटिश साम्राज्य का उपनिवेश बने हांगकांग को 1997 में चीन के हवाले कर दिया गया था। ब्रिटेन ने चीन संग हांगकांग पर आधिपत्य को लेकर 99 बरस का करार किया था जो 1997 में समाप्त हो गया था। हांगकांग वर्तमान में चीन द्वारा नियंत्रित एक स्पेशल जोन है जहां नागरिकों को चीनी नागरिकों से इत्तर विशेष अधिकार प्राप्त हैं। ब्रिटेन ने हांगकांग को चीन के हवाले करने से पूर्व एक सिनो-ब्रिटिश ज्वाइंट समझौता तैयार किया था जिसमें स्पष्ट है कि विदेश और रक्षा मामलों को छोड़कर हांगकांग अपना पृथक अस्तित्व बनाए रखने को स्वतंत्र है। हांगकांग के पास इसी प्रावधान के चलते अपना अलग संविधान है। चीन के कानून यहां लागू नहीं होते हैं। लेकिन चीन येन-केन-प्रकारेण हांगकांग पर अपना अधिकार क्षेत्र बढ़ाते जा रहा है। यही कारण है कि इस समय पूरा हांगकांग चीन के खिलाफ असंतोष की आग में झुलसने लगा है। 2 जून को शहर की सड़कों पर पांच लाख नागरिक चीन के खिलाफ हुए प्रदर्शन में शामिल हुए। यह प्रदर्शन प्रत्यार्पण कानून में चीन द्वारा एकतरफा संशोधन के खिलाफ आयोजित किया गया था। इस कानून के अनुसार यदि कोई शख्स अपराध कर हांगकांग भाग आता है तो उसे चीन वापस भेज वहां के कानून अनुसार दंडित किया जाएगा। इस संशोधन के मूल में ताइवान के एक व्यक्ति द्वारा अपनी प्रेमिका की हत्या कर हांगकांग भाग आना रहा है।
हांगकांग की कुल आबादी 74 लाख से कुछ अधिक है। ब्रिटेन के उपनिवेश रहे हांगकांग को साल 1997 में चीन के सुपुर्द कर दिया गया था। तब यहां अभूतपूर्व प्रदर्शन हुए थे। जिसके बाद हाल में जारी प्रदर्शन ऐतिहासिक हैं। माना जा रहा है कि भविष्य में हांगकांग में लोकतंत्र की मांग कर सकती हैं।
हालांकि हांगकांग की सरकार का कहना है कि केवल गंभीर अपराध करने वालों को ही चीन भेजा जाएगा। सरकार यह भी दावा कर रही है कि बोलने की आजादी और सरकार के खिलाफ धरना-प्रदर्शन करने वालों को इस कानून की जद से बाहर रखा जाएगा लेकिन हांगकांग की जनता का भरोसा अपनी सरकार से उठ गया है। अधिकांश हांगकांगवासियों का मानना है कि उनकी सरकार पूरी तरह चीन के हाथों गिरवी है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चीन के इस कदम पर चिंता व्यक्त की जा रही है।