कई बीमारियों को जन्म देने वाले धूम्रपान के खिलाफ दुनिया भर के कई देशों ने कदम उठाए हैं। इस वजह से धूम्रपान करने वालों की संख्या में गिरावट आई है। दुनिया भर में धूम्रपान जहां साल 2007 में 22.8 फीसदी था ,वहीं साल 2021 में यह घटकर 17 फीसदी रह गया। हालांकि इस गति में विभिन्न देशों को और भी जरूरी कदम उठाने की जरूरत है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की गई है। जिसके अनुसार 560 करोड़ लोग ऐसे देशों में रहते हैं जहां तम्बाकू का प्रयोग घटाने के लिए डब्लूएचओ द्वारा बताई गई अनुशंसाओं का पालन किया जाता है। जिससे ऐसे देशों में धूम्रपान की कमी देखी गई है। रिपोर्ट मुताबिक यदि ये देश डब्लूएचओ द्वारा निर्देशित की गई सिफारिशों में से एक भी सिफ़ारिश लागू नहीं करते तो दुनिया में तकरीबन तीस करोड़ लोग और भी धूम्रपान कर रहे होते।
होने वाली मौतों को रोका जा सकता है
विश्व स्वास्थ्य संगठन के डायरेक्टर जनरल तेद्रोस अधनोम गेब्रयेसुस के कहने अनुसार ज्यादा से ज्यादा लोगों को तम्बाकू से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है। दरअसल दुनिया भर में तकरीबन 80 लाख लोगों की मौत का जिम्मेदार धूम्रपान है। वहीं 12 लाख लोगों की मौत का जिम्मेदार सेकेंड हैंड धूम्रपान हैं। ये ऐसी मौते हैं जिनको रोका जा सकता है। जिसमें डब्ल्यूएचओ द्वारा बताए गए उपायों में धूम्रपान के नुकसान और गंभीर असर के खिलाफ प्रचार -प्रसार करना शामिल हैं। सिगरेट के पैकेटों पर स्वास्थ्य चेतावनी देना और टैक्स बढ़ाना भी अहम अनुशंसाएं हैं।
तुर्की , ब्राजील , नीदरलैंड , और मॉरीशस जैसे देशों ने डब्ल्यूएचओ की अनुशंसाऐं लागू की हैं । इसके अतिरिक्त इथियोपिया, ईरान, आयरलैंड, जॉर्डन, मैडागास्कर, मैक्सिको, न्यूजीलैंड और स्पेन ने भी इसी राह में अपने प्रयास तेज किए हैं। वहीं 44 देश ऐसे भी हैं जहां धूम्रपान को रोकने का कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है। इन देशों की कुल आबादी करीब 230 करोड़ है। परम्परिक धूम्रपान के अलावा ई सिगरेट के बढ़ते चलन पर भी रिपोर्ट में चिंता व्यक्त की गई है। लगभग ऐसे 74 देश ऐसे हैं जहां वेपिंग उत्पादों के लिए कोई कायदे -कानून नहीं है। विश्वभर में आधे से ज्यादा देश हैं जहां ई- सिगरेट खरीदने की कोई न्यूनतम उम्र नहीं है।
जहां कई देशों में धूम्रपान के मामले में गिरावट आई है वहीं जर्मनी की स्थिति चिंताजनक है। डब्ल्यूएचओ में स्वास्थ्य से जुड़े प्रचार के निदेशक रूडिगर क्रेच का कहना है कि ,हम नहीं समझ पा रहे हैं कि तंबाकू नियंत्रण के उपाय लागू करने में जर्मनी के नेता इतने ढीले क्यों हैं.” रूडिगर खुद भी जर्मनी से हैं। वह बताते हैं, “इससे बहुत लोगों को तकलीफ होती है और देश की स्वास्थ्य व्यवस्था पर बहुत दबाव पड़ता है।
भारत में धूम्रपान की रोकथाम के लिए उठाए गए कदम
गौरतलब है कि भारत में भी धूम्रपान रोकने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। सार्वजनिक स्थानों सहित इनडोर कार्यस्थलों पर भी धूम्रपान को प्रतिबंधित किया गया है। जिसे 2 अक्टूबर 2008 से पूरे देश में लागू कर दिया गया था । तंबाकू उत्पादों के प्रयोजन और प्रचार पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है। इसके अलावा तंबाकू उत्पाद 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को नहीं बेचे जा सकते हैं। किसी भी शैक्षणिक संस्थान के 100 गज के दायरे में तंबाकू संबंधित उत्पाद नहीं बेचा जा सकता । तम्बाकू उत्पादों के पैकेटों में स्वास्थ्य चेतावनी का विनियमन। तम्बाकू पैक पर स्वास्थ्य चेतावनियों के लिए अंग्रेजी और एक और भारतीय भाषा का उपयोग किया जाएगा। चित्र के साथ स्वास्थ्य चेतावनियों को भी शामिल किया गया है।