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विश्वभर  में भारत की पहचान का ब्रांड एंबेसडर यदि कुछ है, तो वह है ‘भारत का लोकतंत्र।’ दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के मार्ग में कई बाधाएं आई लेकिन यहां की नीतियों और सराहनीय निर्णयों ने कभी लोकतंत्र के झंडे को झुकने नहीं दिया। हम वर्ष 1947 में आजाद हुए, लेकिन एक गरीब देश के रूप में। बंटवारे में जिस वक्त लोग एक-दूसरे के खून के प्यासे हो रखे थे उस दौरान भी संविधान सभा बैठकर संविधान की रचना में जुटी हुई थी।

आजादी के बाद वर्ष 1951 में पहला आम चुनाव हुआ। लोकतांत्रिक देश में आपातकाल का एक ऐसा कठिन दौर भी आया जब हर एक गरीब लोकतंत्र की बहाली के लिए जी-जान से लड़ गया। यहां तक कि जेलें भर गई। लेकिन वर्षों  से लोकतंत्र को बचाये रखने की भारतीय जनता की कोशिशों का प्रतिफल उसे सही रूप में नहीं मिल पाया है। हाल ही में स्वीडन स्थित वी-डेम इंस्टीट्यूट द्वारा जारी ताजा रिपोर्ट में भारत को इलेक्टोरल आॅटोक्रेसी की श्रेणी में रखा गया है। इस रिपोर्ट का हवाला देते हुए कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने भी 11 मार्च को कहा कि भारत अब लोकतांत्रिक देश नहीं रहा। उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर इस रिपोर्ट का एक स्क्रीनशाॅट साझा करते हुए लिखा, भारत अब लोकतांत्रिक देश नहीं रहा।

ब्राजील, भारत, अमेरिका, तुर्की में बढ़ी निरंकुशता

दरअसल, स्वीडन स्थित वी-डेम संस्था द्वारा ‘डेमोक्रेसी 2020’ नाम से एक रिपोर्ट जारी की गई है। इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत में लोकतंत्र कमजोर हो गया है। भारत के लोकतंत्र को लेकर रिपोर्ट में चिंता जताई गई है। अपनी स्टडी रिपोर्ट में गोथेनबर्ग विश्वविद्यालय के वी-डेम इंस्टिट्यूट ने पाया कि देश की मीडिया, नागरिक समाज और विपक्ष के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के दौरान लगातार सिमटती ही जा रही है। देश की आवाज को दबाया जा रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ‘निरंकुशता’ की ओर अग्रसर है। भारत गंभीर रूप से एक लोकतंत्र के रूप में अपनी स्थिति के लुप्त होने के रास्ते पर है।

रिपोर्ट में जी-20 देशों का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि ये देश बड़े स्तर पर निरंकुशता की ओर अग्रसर हैं जिसमें ब्राजील, भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका और तुर्की जैसे प्रमुख देश सम्मिलित हैं। पिछले दस वर्षों में हंगरी, तुर्की, पोलैंड, ब्राजील और भारत ‘निरकुंशता’ की ओर निरतंर बढे़ हैं।

श्रीलंका, नेपाल भारत से बेहतर


स्वीडन के गोटेनबर्ग विश्वविद्यालय से जुड़ी संस्था वी-डेम के मुताबिक, लोकतंत्र की भारत में लगातार बिगड़ती स्थिति बेहद चिंतनीय है। ‘उदार लोकतंत्र सूचकांक’ में 179 देशों में भारत 90वें नंबर पर है तो वहीं डेनमार्क पहले स्थान पर है। भारत के पड़ोसी देश नेपाल और श्रीलंका की स्थिति भारत से बेहतर है। श्रीलंका 70वें स्थान पर है और नेपाल 72वें पर है। पाकिस्तान को 126वां स्थान मिला है। 154वां स्थान बांग्लादेश का है।

लोकतंत्र के मजबूत स्तंभ माने जाने वाले मीडिया, मानवाधिकार और न्यायतंत्र की स्वतंत्रता में निरंतर गिरावट पर भी रिपोर्ट में चर्चा की गई है। प्रेस के खिलाफ उठने वाले लोगों के खिलाफ देशद्रोह से लेकर मानहानि तक की बढ़ती मुकदमेबाजी का भी उल्लेख किया गया है। वी-डेम ने अपनी रिपोर्ट का नाम ‘आटोक्रेटाइजेशन सर्जेज- रेजिस्टेंस ग्रो’ यानी‘निरंकुशता बढ़ी’ रखा है।

स्वीडन स्थित वी-डेम, वैरायटी आॅफ डेमोक्रेसी इंस्टीट्यूट, 2014 में स्थापित एक स्वतंत्र शोध संस्थान है। यह संस्थान दुनिया भर के 3,200 विशेषज्ञों के साथ मिलकर काम करता है। भारत में लोकतंत्र के बारे में चिंता के अलावा, रिपोर्ट में दुनिया भर के देशों में कमजोर हो रहे लोकतंत्र के बारे में भी विस्तार से चर्चा की गई है।

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