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साइबर क्राइम मामलों में सबसे आगे भारत

पिछले कुछ सालों से भारत में साइबर क्राइम से जुड़े मामले अधिक सामने आ रहे हैं। जिसके चलते भारतीय लोग भय के साये में जी रहे हैं। हालही में आई आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस कंपनी ‘क्लाउड इसईके’ की रिपोर्ट के अनुसार साइबर हैकिंग के मामले उत्तरी अमेरिका के बजाय एशिया पैसिफिक और यूरोप में लगातार बढ़ रहे हैं। इतना ही नहीं विश्व भर के तमाम मामलों का 10 केवल एशिया से सामने आ रहे हैं। एशिया पैसिफिक में भी केवल भारत ही हैकर्स के निशाने पर लगातार दो सालों से बना हुआ है। आंकड़ों की माने तो ‘साइबर अपराधी और हैकर्स एशिया में सबसे ज्यादा टारगेट भारतीय बैंकिंग फाइनेंशियल और इंश्योरेंस सेक्टर (बीएफएसआई) को कर रहे हैं। 

 

दरअसल, रिसर्च फर्म क्लाउड इसईके की बीते हफ्ते आई रिपोर्ट में शेयर किए गए डाटा के मुताबिक, भारतीय बैंकिंग फाइनेंशियल और इंश्योरेंस सेक्टर (बीएफएसआई) के खिलाफ साइबर हमले बीते कुछ समय से कई गुना बढ़ गए हैं। फाइनेंशियल ईयर 2021-22 में दर्ज साइबर घटनाओं के आंकड़े इसी ओर इशारा करते हैं। भारत हैकर्स के निशाने पर है, हैकिंग के बढ़ते मामले इस बात की गवाही दे रहे हैं।

क्या कहते हैं आंकड़े 

 
भारत में वर्ष 2021 के अंतर्गत साइबर हैकिंग की 469 घटनाएं दर्ज की गई थीं, लेकिन वर्ष 2022 में बीएफएसआई ने साइबर हैकिंग के 283 मामले दर्ज किये गए हैं। बढ़ती आंकड़ों की संख्या को देखकर  कहा जा सकता है कि अब तक हैकर्स का सबसे बड़ा टारगेट उत्तरी अमेरिका नहीं बल्कि एशिया पर हैं और भारत उनका टारगेट बन चूका है।

केंद्र बन रहा भारत


रिपोर्ट के मुताबिक, 2022 में सामने आए हैकिंग के मामलों में से 7.4 फीसदी भारतीय उपमहाद्वीप की ओर टारगेट रहे हैं, यानी एशिया में साइबर हमलों के लिए नया केंद्र भारत बनता नजर आ रहा है। जिस तेजी से भारत में डिजिटलाइजेशन और ऑनलाइन गतिविधियां बढ़ रही हैं, हैकिंग का खतरा भी उसी तेजी से बढ़ता जा रहा है। रिपोर्ट की मानें तो ब्लॉकचेन और क्रिप्टोकरेंसी के अप्रत्याशित इजाफे ने साइबर फ्रॉड करने वालों की पहुंच बढ़ा दी है।

बैंकिंग और फाइनेंस सेक्टर में हैकिंग के मामलों से लाखों करोड़ रुपये का नुकसान होता है। इसके अलावा हैकर्स लोगों का पर्सनल डाटा भी बेचते हैं, जो गंभीर मुद्दा है। देश में कोरोना काल में ऑनलाइन लेनदेन, ऑनलाइन शॉपिंग का क्रेज बढ़ा है और इस मौके का हैकर्स द्वारा इसका फायदा उठाया जा रहा है। लगातार बढ़ते इस तरह के मामलों के बारे में जागरूकता बढ़ाये जाने की ज़रूरत है। 

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