world

अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद विदेशी निवेश कराने में सफल रहा क्यूबा

 अमेरिका और क्यूबा के बीच चल रहे कारोबारी युद्ध व  आर्थिक प्रतिबंधों का अंत कब और कहां जाकर होगा, यह कहना मुश्किल है। हालांकि यह जरूर है कि इस बीच दुनिया की अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान पहुंच चुका है। किसी देश के व्यापार पर बंदिश, अलग -अलग अंतरराष्ट्रीय शुल्कों में बढ़ोतरी, बैंकों के माध्यम से होने वाले वित्तीय लेन-देन पर रोक, कंपनी और व्यक्तिगत खातों को सील किया जाना आर्थिक प्रतिबंध होता है। जाहिर है कि इस तरह से उस देश की वित्तीय अर्थव्यवस्था को कमजोर करने की कोशिश की जाती है।  शक्तिशाली देश अक्सर  इस उपाय को अपनाते हैं।  मसलन सबसे बड़ी सैन्य और आर्थिक महाशक्ति अमेरिका ने क्यूबा, ईरान, उत्तर कोरिया जैसे देशों पर समय-समय पर प्रतिबंध लगाए हैं।

अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद क्यूबा ने  विदेशी निवेश में अच्छी उपलब्धि हासिल की है। क्यूबा में  करीब  1 . 9 बिलियन का विदेशी निवेश हुआ है। कैरिबियाई द्वीप राष्ट्र का लक्ष्य अपनी राज्य-संचालित अर्थव्यवस्था को अद्यतन करने के लिए अब दो बिलियन से  2.5 बिलियन सालाना निवेश कराने की दिशा में अग्रसर  है। क्यूबा ने कल आठ दिसंबर को कहा कि उसने संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रतिबंधों के बावजूद पिछले एक साल में  1.9 बिलियन का  विदेशी निवेश  किया है। व्यापार मंत्री रोड्रिगो माल्मिर्का ने एक ऑनलाइन  सम्मेलन में कहा कि क्यूबा निवेशकों के लिए आंतरिक बाधाओं को कम करना जारी रखता है। अक्टूबर 2019 से द्वीप पर स्वीकृत 34 निवेशों को संयुक्त राज्य के प्रशासन द्वारा छेड़े गए “आर्थिक युद्ध” के चलते काफी नुकसान हुआ। इसके बावजूद क्यूबा की उपलब्धि छोटी नहीं है।अमेरिकी  राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप  ने  कम्युनिस्ट नेतृत्व वाले क्यूबा के वेनेजुएला के तेल लदान पर प्रतिबंध, कैरिबियन द्वीप पर अमेरिकी यात्रा पर प्रतिबंध और कभी-कभी कठोर मुद्रा के शीर्ष स्रोतों में से एक, प्रेषण पर प्रतिबंध लगाए। वाशिंगटन के कड़े रुख ने अंतरराष्ट्रीय बैंकों को भी क्यूबा से जुड़े लेन-देन से बचने के लिए प्रेरित किया है।  इस वर्ष कोरोनो वायरस महामारी ने भी पर्यटन को बाधित किया और क्यूबा को आंशिक लॉकडाउन लागू करने के लिए प्रेरित किया। एक तरफ आर्थिक प्रतिबंध और दूसरी तरफ कोरोना। ऐसे में क्यूबा का प्रयास अच्छा है।

देश का लक्ष्य अपनी राज्य-संचालित अर्थव्यवस्था को बेहतर करने के लिए  सालाना 2 बिलियन  से 2.5 बिलियन  का निवेश आकर्शित करना है। माल्मिर्का ने कहा कि क्यूबा ने विदेशी निवेश में बाधाओं को और कम कर दिया है।  उदाहरण के लिए, प्राकृतिक संसाधनों और सार्वजनिक सेवाओं के बारे में केवल परियोजनाओं के लिए क्यूबा हितधारक की आवश्यकता होगी।

उन्होंने  देश की दोहरी मुद्रा प्रणाली के आसन्न उन्मूलन का हवाला देते हुए कहा कि जिसने अर्थव्यवस्था में विकृतियां पैदा की हैं उनमें  इस साल के निवेश के लिए तैयार अवसरों के पोर्टफोलियो में छोटे प्रोजेक्ट शामिल थे। जो छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों और विदेशों में रहने वाले क्यूबों के साथ-साथ बड़े प्रयासों को भी प्रभावित कर सकते थे।

ट्रंप प्रशासन क्यूबा के आयात पर प्रतिबंधों को थप्पड़ मारता  आया है।  अमेरिकी प्रतिबंधों के खिलाफ गठबंधन को चिह्नित करने के लिए क्यूबा और ईरान के एफएम क्यूबा के कलाकारों का कहना है कि अधिकारियों ने दुर्लभ विरोध के बाद बातचीत के लिए सहमति जताई है।

दरअसल आधुनिक युग में शक्तिशाली राष्ट्र अपने कूटनीतिक उद्देश्यों और महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति के लिए किसी दूसरे देश को सबक सिखाने के लिए  सैन्यबल का उपयोग करने में कतराने लगे हैं।  विशेषज्ञों की मानें तो आज शक्तिशाली देश समझ रहे हैं कि युद्ध समस्या का समाधान नहीं है और इसलिए सैन्य शक्ति के उपयोग से हटकर आर्थिक प्रतिबंधों का इस्तेमाल बेहतर है।

आर्थिक प्रतिबंध लगने से न सिर्फ छोटे देश प्रभावित होते हैं, बल्कि उसके साथ व्यापार कर रहे दूसरे देश भी चपेट में आ जाते हैं।  उदाहरण के लिए ईरान के साथ ऐतिहासिक परमाणु समझौते से पीछे हटते हुए अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 180 दिन में ईरान पर पुनः प्रतिबंध प्रभावी होने का ऐलान कर दिया था।  इस प्रतिबंध का असर भारत पर भी पड़ेगा क्योंकि ईरान से तेल खरीदना मुश्किल हो गया। भारत ईरान का दूसरा सबसे बड़ा तेल खरीदार देश है, जबकि भारत के लिए ईरान तीसरा सबसे बड़ा तेल बेचने वाला देश है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भुगतान मोटे तौर पर डॉलर में किया जाता है। ऐसे में अगर प्रतिबंध लगे तो भुगतान में मुश्किलें आती हैं और खरीदारी नहीं हो पाती है।

जब भारत पर लगे प्रतिबंध

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के काल में जब परमाणु परीक्षण हुए तो भारत पर कई देशों ने आर्थिक प्रतिबंधों की घोषणा की थी। लेकिन यह प्रतिबंध बेअसर रहा क्योंकि भारत की जनता इससे प्रभावित नहीं रही। इसके उलट नुकसान उन देशों को हुआ जिन्होंने प्रतिबंध लगाए और भारतीय बाजारों में अपने सामान बेच नहीं पाए। भारत के बाद जब पाकिस्तान ने परमाणु परीक्षण किया और वहां भी आर्थिक प्रतिबंध लगाने की घोषणा हुई  इसका कोई बड़ा असर वहां भी नहीं दिखा और पाकिस्तान की जनता  सरकार के साथ खड़ी दिखी।

आर्थिक प्रतिबंधों का असर सीधे तौर पर आम जनता पर असर भले ही न दिखाई दे लेकिन यह कई चीजों पर भारी असर डालता है जिसमें दवाएं शामिल हैं। प्रतिबंधों के साथ ही मुद्रा में गिरावट देखने को मिलती हैं और इससे विदेशी दवाएं दुर्लभ हो जाती हैं और उनकी कीमतों में भारी इजाफा हो जाता है। इन सबके बीच दिलचस्प यह है कि इन प्रतिबंधों का छिपते-छिपाते उल्लंघन भी होता है।

You may also like

MERA DDDD DDD DD