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बुर्किना फासो में तख्तापलट

अफ्रीका के बुर्किना फासो में लगातार हो रहे आतंकी हमलों से वहां के लोगों को काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है। इन हमलों मे आम जनता की ही नहीं सैनिकों की भी मौतें हुईं हैं। सरकार द्वारा आतंकी संगठनों के खिलाफ कोई कार्यवाही न करने पर सेना में आक्रोश काफी समय से बढ़ रहा था। जिसके बाद बुर्किना में सेना ने तख्तापलट कर राष्ट्रपति को बंधक बना लिया है। साथ ही सेना द्वारा संसद को भी भंग कर दिया गया है। सैन्य अधिकारियों ने पिछले हफ्ते (24 जनवरी 2022) को सोशल मीडिया द्वारा जारी कर संदेश में कहा कि बताया कि ‘सेना ने मुल्क को अपने कब्जे में ले लिया है। आतंकी हमलों को देखते हुए सभी सीमाएं भी सील कर दी गई हैं।’

दरअसल, बुर्किना फासो में पिछले एक साल में आतंकी हमलों की बढ़ती संख्या के कारण वहां के हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। लेकिन सरकार इस गंभीर मसले पर कोई कदम नहीं उठा रही थी जिससे सैन्य शक्ति का आक्रोश भड़का और 23 जनवरी 2022 को देर रात से अगले दिन सुबह तक राष्ट्रपति आवास के पास गोलीबारी और सशस्त्र संघर्ष होते देखा गया। सरकारी टेलीविजन आरटीबी के कार्यालय के सामने भी भारी संख्या में सुरक्षाबलों को तैनात किया गया था। कुछ दिन पहले से देशभर में नागरिकों द्वारा भी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किए जा रहे थे। देश में इस्लामी चरमपंथ से सरकार के निपटने के तौर- तरीकों को लेकर हफ्तों से बढ़ते असंतोष के बाद राष्ट्रपति काबोरे से इस्तीफे की अपील करते हुए 23 जनवरी 2022 को भारी प्रदर्शन किया गया था। सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों ने काबोरे की पार्टी की एक इमारत में आग भी लगा दी थी। इस बीच, राष्ट्रपति आवास के पास गोलियां चलीं। यहां सशस्त्र संघर्ष काफी देर तक जारी रहा।

 

 

सेना ने तख्तापलट को सही करार देते हुए कहा है कि काबोरे सभी मोर्चों पर नाकाम रहे। उनके कार्यकाल में सुरक्षा व्यवस्था बदहाल हो गई थी। वह पश्चिम अफ्रीकी राष्ट्र को एकजुट करने में नाकाम रहे। न ही इस्लामिक विद्रोहियों के खिलाफ कुछ कर पाए और न ही उन से निपटारा करने में सक्षम रहे हैं। काबोरे 2015 से राष्ट्रपति थे। नवंबर 2020 से उनके खिलाफ सेना और जनता का गुस्सा बढ़ गया था। यह पिछले 18 महीने में तीसरा पश्चिमी अफ्रीकी देश है, जहां इस्लामी चरमपंथ से सरकार के न निपटने के कारण सेना ने तख्तापलट किया है। इसी साल सूडान में दो बार तख्तापलट की कोशिश हुई, एक बार वह विफल हो गया वहीं गिनी में भी सेना ने तख्तापलट कर दिया गया। बुर्किना में कुछ समय पहले राष्ट्रपति द्वारा देश के प्रधानमंत्री को बर्खास्त कर दिया था और मंत्रिमंडल के ज्यादातर सदस्यों को बदल दिया था। कभी शांतिपूर्ण रहे इस पश्चिमी अफ्रीकी देश में हिंसा की घटनाएं बढ़ती जा रही है, क्योंकि अलकायदा और इस्लामिक स्टेट समूह के हमले यहां बढ़ रहे हैं।

पिछली साल जून में जिहादियों ने बुर्किना के एक गांव में घुसकर सौ लोगों की हत्या कर दी गई। घर और बाजार आग के हवाले कर दिए गए। इतना ही नहीं इन संगठनों के द्वारा पिछले साल 19 जनवरी 2021 को भी बम से हमला किया गया जिसमें 6 सैनिकों की मौत हो गई थी, 24 दिसंबर 2021 को हमले में 35 नागरिकों की मौत, 6 अक्टूबर 2021 को भी 20 लोगों की मौत, 9 सितंबर 2021 को 29 आम नागरिकों की मौत, 28 जुलाई 2021 को 15 लोगों की मौत, 20 जून 2021 को 17 नागरिकों की मौत और 13 मई 2021 को भी आतंकवादियों द्वारा चर्च पर हमला किया गया जिसमें पादरी के साथ-साथ 5 लोगों की मौत हो गई थी। इन हमलों के पीछे अल-कायदा और इस्लामिक स्टेट समूहों का हाथ माना जाता है। इन हमलों में सैनिकों के साथ-साथ हजारों लोगों की जान जा चुकी है। फिर भी सरकार इन हमलों को न ही रोक पाई और न ही इनके खिलाफ कोई कार्रवाई करने में कामयाब रही है। इन्हीं कारणों के चलते सेना द्वारा सरकार के खिलाफ इतना बड़ा कदम उठाया गया है।

आक्रोशित बागी सैनिकों ने ‘एसोसिएटेड प्रेस’ से कहा कि सरकार, क्षेत्र में कार्य कर रहे सुरक्षा बलों से कट गई है। उनके साथी मर रहे हैं, इसलिए वे देश में सैन्य शासन चाहते हैं। एक बागी सैनिक ने कहा कि करीब 100 सैनिकों ने अगस्त में ही बगावत की योजना बना ली थी। लेकिन अब जाकर उस बगावत को अंजाम दिया गया है। सेना का कहना है कि टेकओवर शांतिपूर्ण ढंग से किया गया और गिरफ्तार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर रखा गया है।

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