दुनिया भर के ज्यादातर देशों में धर्म के आधार पर सामाजिक द्वेष पनपता है। ऐसी स्थिति देश में अक्सर हिंसात्मक रुख ले लेती है। इसी संबंध में अमेरिका ने दावा किया है कि दुनिया भर के ज्यादातर देशों की स्थिति धार्मिक स्वतंत्रता के मामले में खराब है। इसी मामले में अमेरिका द्वारा कई देशों का नाम नामांकित किया गया है। धार्मिक स्वतंत्रता की वर्तमान स्थिति के लिए चीन, ईरान, पाकिस्तान और रूस समेत 12 देशों को ‘विशेष चिंता वाले देशों’ के रूप में नामित किया गया है। इस सूची में बर्मा (म्यांमार), पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना, क्यूबा, इरिट्रिया, ईरान, निकारागुआ, उत्तर कोरिया (डीपीआरके), पाकिस्तान, रूस, सऊदी अरब, ताजिकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान को अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 1998 के तहत ‘विशेष चिंता वाले देशों’ के रूप में नामित किया गया है। वहीं निगरानी की सूची में अल्जीरिया ,मध्य अफ्रीकी गणराज्य ,कोमोरोस सहित वियतनाम को रखा गया है। अमेरिका के एक निजी अर्धसैनिक संगठन क्रेमलिन-संरेखित वैग्नर ग्रुप, जो सीरिया, अफ्रीका और यूक्रेन में सक्रिय है। इस ग्रुप को अमेरिका ने विशेष चिंता की संस्थाओं के रूप में नामित किया है। इसके अलावा अन्य भी ऐसे कई ग्रुप है। देश के विदेश मंत्री ब्लिंकन के कहने अनुसार वैगनर समूह को मध्य अफ्रीकी गणराज्य में अपनी गतिविधियों के लिए नामित किया गया है। गौरतलब है कि वर्ष 2020 में अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग द्वारा की पेश की गई एक वार्षिक रिपोर्ट में भारत को भी प्रमुख चिंता वाले देशों की श्रेणी में सूचीबद्ध किया गया था ।
यह भी पढ़ें : सबसे महंगे शहरों में शामिल हुए ये शहर
ब्लिंकन के मुताबिक इन्हें नामित करने की हमारी घोषणा राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा करने और दुनियाभर में मानवाधिकारों को आगे बढ़ाने के लिए है। यह घोषणा मूल्यों और हितों को ध्यान में रखते हुए की गई है। ब्लिंकन का कहना है कि जो देश प्रभावी रूप से धार्मिक स्वतंत्रता और अन्य मानवाधिकारों की रक्षा करते हैं, वे अधिक शांतिपूर्ण, स्थिर, समृद्ध और अमेरिका के ज्यादा विश्वसनीय सहयोगी हैं। ईरान के प्रदर्शनकारियों पर क्रूर कार्रवाई को लेकर वाशिंगटन ईरान पर दबाव बढ़ा रहा है। ईरान में 1979 की क्रांति के बाद ऐसा पहली बार हुआ है कि जब देश के नागरिकों ने सत्ता के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की है। अमेरिकी विदेश मंत्री ब्लिंकन के कहने अनुसार अमेरिका दुनिया भर के देशों में धर्म की स्वतंत्रता की स्थिति को सावधानीपूर्वक निगरानी करता रहेगा। साथ ही धार्मिक उत्पीड़न या भेदभाव का सामना करने वालों की वकालत भी करता रहेगा।