देश के पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव 2021 के लिए राजनीतिक पार्टियां दक्षिण-पश्चिम राज्यों में उतर चुकी है। आरोपों-प्रत्यारोपों का दौर चल रहा है। नेता-अभिनेता चुनाव मैदानों में जाकर अपनी-अपनी पार्टी को मजबूत करने में लगे हुए है। केरल कम्युनिस्टों का गढ़ है, 1957 में हुए बैलेट पेपर से चुनाव में केरल के लोगों ने कम्युनिस्ट सरकार को चुना था। अक्सर ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है जब राज्य या किसी अन्य चुनाव में कोई कंपनी या कार्पोरेट चुनाव में उतरा हो। देश का कार्पोरेट पार्टी को बैकफुट पर आकर स्पोर्ट जरूर करता है लेकिन कभी सीधे तौर पर फ्रंट फुट पर नहीं आता। पंरतु अब केरल की राजनीति में कार्पोंरट की एंट्री हो चुकी है। हालांकि यह एट्री 2015 के पंचायत चुनाव में हो चुकी थी, लेकिन अब विधानसभा चुनाव में भी कार्पोरेट उतर चुका है। केरल के कोच्चि से 25 किलोमीटर की दूरी पर किझाकम्बलम पंचायत चुनावों में लोगों ने एलडीएफ (LDF) और यूडीएफ (UDF) को नंकार कर नई पार्टी 20-20 को जिता दिया था। जिसके बाद पार्टी के हौंसले बुलंद हो गए और अब वह पार्टी विधानसभा चुनावों में भी एलडीएफ और यूडीएफ को ट्क्कर देने के लिए मैदान में उतर चुकी है।
पार्टी के चीफ कोऑर्डिनेटर और बिजनेसमैन के साबू एम जैकब ने विधानसभा चुनाव लड़ने की योजना तैयार कर ली है और विधानसभा चुनाव में 10 से 14 सीटों पर चुनाव मैदान में उतर सकते है। टवेंटी-टवेंटी पार्टी की शुरूआत केरल में हुए लोकल बॉडी के 2015 के चुनाव से हुई। पार्टी को किझाकम्बलम पंचायत चुनाव में 19 वार्ड में से 17 पर जीत मिली थी। किटेक्स गारमेंटस लिमिटेड नाम की इस कंपनी ने पहले इस पंचायत को गोद लिया था, और गांव में जनकल्याकारी योजनाओं और विकास से जुड़े काम यहां किए। इसके बाद 2015 के पंचायत चुनावों में कंपनी ने अपने प्रत्याशी उतारें और अपने राजनीतिक संगठन को नाम दिया ट्वेंटी-ट्वेंटी ।
पंचायत चुनाव में जीत के बाद किझाकम्बलम पंचायत के प्रशासन को ट्वेंटी-ट्वेंटी ने कॉर्पोरेट तरीके से चलाना शुरू किया। एर्नाकुलम जिले में पंचायत संचालन का यह मॉडल इतना लोकप्रिय हुआ कि दिसंबर 2020 में हुए लोकल बॉडी चुनाव में इस पार्टी ने किझाकम्बलम समेत 4 अन्य पंचायतों पर भी अपने प्रत्याशी उतारे और जीत भी दर्ज की। केरल में पंचायतों का आकार उत्तर-भारत की पंचायतो से बड़ा है। यहां पर एक पंचायत में 40 से 45 हजार वोटर्स होते है। किझाकम्बलम पंचायत काफी बड़ा क्षेत्र है देखने में वह पंचायत कम कोच्चि की कोई मिनी सिटी लगती है।
केरल में एलडीएफ और यूडीएफ दो बड़ी पार्टियां है। वैसे भाजपा ने भी पिछली बार की तुलना में इस बार अपना वर्चस्व बढ़ाया है। योगी आदित्यनाथ ने केरल के मैदान में उतर कर एलडीएफ को ललकार मार दी है। अब ट्वेंटी-ट्वेंटी विधानसभा चुनाव में क्या गुल खिलाएंगी यह तो आने वाला वक्त ही बताएंगा। लेकिन पार्टी प्रमुख ने कहा है कि बड़ी पार्टियां उनसे गठबंधन करने को कह रही है। केरल में एक ही चरण में चुनाव होगा, चुनाव की तारीख 6 अप्रैल है और दो मई को नतीजें आएंगे।