कोरोना महामारी ने पूरे विश्व को घुटनों पर लाकर खड़ा कर दिया है। हर देश कोरोना वैक्सीन का इंतजार कर रहा है। लेकिन अब अच्छी बात यह है कि इस इंतजार को ब्रिटेन ने खत्म कर दिया है। ब्रिटेन ने वैक्सीन को बनाने के लिए तकरीबन 10 महीनें लगा दिए। लेकिन देश की हेल्थ एजेंसी ने इस पर मुहर लगा दी है। यह पहली वैक्सीन है जिसे इतने बड़े पैमाने पर लोगों को दिया जाएगा। यह वैक्सीन 90 प्रतिशत असरदार और सुरक्षित है। अगले कुछ दिनों के भीतर ब्रिटेन इसका टीका लगाने की शुरूआत करेगा।
वैक्सीन को लाइसेंस देने वाली ब्रिटेन की मेडिसिन और हेल्थकेयर प्रोडक्ट रेगुलेटरी एजेंसी ने इसे सुरक्षित करार दिया है। वैक्सीन का टीका 2 करोड़ लोगों को दिया जाएगा। इसके लिए ब्रिटेन ने चार करोड़ डोज का ऑर्डर दे रखा है। हालांकि कोरोना वैक्सीन को लेकर ब्रिटेन के सामने कई चुनौतियां हैं। क्योंकि वैक्सीन के रख-रखाव की शर्ते काफी मुश्किल हैं। ये वैक्सीन mRNA यानी मेसेंजर RNA तकनीक से बनी है। ये शरीर में कोविड-19 से लड़ने की क्षमता पैदा करती है। इसके लिए वो कोविड-19 के वायरस से आनुवांशिक कोड के एक छोटे टुकड़े का इस्तेमाल करती है। इससे पहले कभी इंसानों को mRNA वैक्सीन देने की इजाजत नहीं दी गई थी। इस लिहाज से ब्रिटेन का ये फैसला ऐतिहासिक है।
इस वैक्सीन को लाने, ले जाने और दिए जाने तक -70 डिग्री सेल्सियस पर रखना होता है। वहीं mRNA तकनीक बेहद मुश्किल होती है, लिहाजा इस तरीके से बनी वैक्सीन काफी महंगी होती है। ब्रिटेन जैसे विकसित और ठंडे देश के लिए ऐसे इंतज़ाम करना और इतना खर्च उठाना मुश्किल नहीं। ऐसे में वैक्सीन के आने की खबर जहां ब्रिटेन और दुनिया के कई देशों के लिए अच्छी है, वहीं जानकारों के मुताबिक ऐसी वैक्सीन भारत की परिस्थितियों में कारगर नहीं है।
भारत में इसके रख-रखाव को लेकर चिंता जाहिर की जाती है। क्योंकि यहां कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक अलग-अलग तापमान है। सर गंगाराम अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. एस पी ब्योत्रा ने कहा, “मेरी जानकारी के मुताबिक इन्होंने 5 करोड़ वैक्सीन बनाकर रख दी है। सबसे ज्यादा अच्छी बात ये जो डिफरेंस है फाइजर और हमारी कि फाइजर को प्रिज़र्व करना बेहद मुश्किल है। माइनस 70 डिग्री से माइनस 80 डिग्री पर प्रिज़र्व करना पड़ेगा। भारत की वैक्सीन यहां के हिसाब से बनी है, क्योंकि इतने कम तापमान में प्रिजर्व करना काफी महंगा होता है।
वैक्सीन बनाने के मामले में भारत भी पीछे नहीं है। भारत में भी वैक्सीन का ट्रायल अंतिम चरण में है। हाल ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैक्सीन तैयार कर रहे इंस्टीट्यूट पर जाकर जायजा लिया था। कहा जा रहा है कि भारत भी अपनी वैक्सीन फरवरी तक बाजार में ला सकता है। वैक्सीन तैयार कर रहे देशों के लिए यह भी जरुरी है कि वैक्सीन सुरक्षित और असरदार हो। भारत के पुणे में सीरम इंस्टीट्यूट में वैक्सीन के तीन चरणों का ट्रायल पूरा हो चुका है। अब केवल सरकार की मंजूरी का इंतजार है।